RANCHI(9 छ्वह्वठ्ठद्ग) : झारखंड नक्सल प्रभावित राज्य के तौर पर जाना जाता है। यहां नक्सलियों के 17 छोटे गुट सक्त्रिय हैं। 24 जिलों वाले इस राज्य में 20 जिले नक्सल प्रभावित हैं। ऐसे में पुलिस के साथ नक्सलियों की अक्सर मुठभेड़ होती रहती है। अगर पिछले तीन सालों की बात करें तो सुरक्षा बलों ने 50 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया है। नक्सली हिंसा के कारण 2000 से अब तक राज्य में 1200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।

पलामू में 12 नक्सली ढेर

पलामू जिले के सतबरवा थाना एरिया के बकोरिया में माओवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान 12 नक्सलियों को पुलिस ने मार गिराया है। सोमवार की देर रात 12 बजे से दो बजे तक पुलिस और माओवादियों के बीच यह मुठभेड़ चली। 2013 में लातेहार के कटिया में पुलिस पार्टी पर हुए नक्सली हमले में शामिल और शहीद बाबू लाल पटेल के पेट में बम प्लांट करनेवाला अनुराग उर्फ डॉक्टर भी इस मुठभेड़ में मारा गया है। वह इस इलाके में माओवादियों का एरिया कमांडर था, जिसपर पुलिस ने पांच लाख का ईनाम घोषित कर रखा था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गुप्त सूचना मिलने के बाद झारखंड पुलिस ने सीआरपीएफ के साथ मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। माओवादियों के खिलाफ पुलिस की इस बड़ी कामयाबी पर डीजीपी डीके पांडेय ने कहा कि यह तो शुरूआत है। अगर नक्सली मुख्यधारा में नहीं लौटेंगे तो उनके खिलाफ आगे भी ऐसी कार्रवाई चलती रहेगी।

खुफिया तंत्र रहा सफल

पुलिस के खुफिया तंत्र इंफॉर्मेशन मिली थी कि पलामू जोन से पलामू से खदेड़े जाने के बाद माओवादियों का जत्था लातेहार के जंगलों में कैंप कर रहा है। खुफिया विभाग की इस सूचना के बाद ऑपरेशन अनकोंडा के तहत सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर और जिला पुलिस की संयुक्त टीम माओवादियों की तलाश में जुट गई। इसी दौरान स्कॉर्पियों से जा रहे माओवादियों पर नजर पड़ते ही पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी। करीब तीन घंटे तक चली फायरिंग के बाद स्पॉट पर 12 माओवादी गिरे पड़े थे।

2013 में 12 जवान हो गए थे शहीद

2 माओवादियों का मारा जाना पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी है। दरअसल आठ जनवरी, 2013 को लातेहार जिले के बरवाडीह थाना क्षेत्र के अम्वाटीकर कटिया टोला में नक्सलियों के हमले में 12 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के दूसरे दिन जब पुलिस और सीआरपीएफ की टीम जवानों का शव लाने के लिए घटनास्थल पर गई थी तो नक्सलियों ने फिर फायरिंग की थी। इसके अलावा दुमका में 20 अप्रैल 2014 को नक्सलियों ने एक पुलिस वाहन को निशाना बनाया था। इसमें छह पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। उस वक्त लोकसभा का चुनाव हो रहा था।

मेंहदी भी नहीं छूटी थी शहीद बाबूलाल पटेल की पत्‍‌नी की

दो साल पहले 2013 में नक्सली हमले में शहीद बाबूलाल पटेल मूल रूप से इलाहाबाद के शिवलाल कापुरा के नबाबगंज इलहाबाद के रहनेवाले थे। सीआरपीएफ में उसकी पुलिस संख्या- 065022237 था। जब बाबूलाल पटेल ऑपरेशन अनाकोंडा के तहत नक्सलियों से लोहा ले रहा था, उस समय उसके शरीर पर चार गोलियां लगी थीं। मार्च में ही उसकी शादी हुई थी। उसने अपने पत्‍‌नी को फोन कर कहा था कि उसे चार गोलियां लगी हैं। वह अब जीवित नहीं बच सकेगा। इसके बाद उसका मोबाइल स्वीच ऑफ हो गया था। रिम्स में पता चला कि नक्सलियों ने उसका पेट चीरकरं बम प्लांट कर दिया था।