- पिछले तीन सालों से फलफूल रहा कारोबार

आगरा। आधार कार्ड की सुरक्षा पर चार साल बाद यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) को याद आई है। उन्होंने अब कार्ड से सूचनाएं लीक होने की आशंका जाहिर की है। अवैध वेंडरों के माध्यम से प्लॉस्टिक के आधार कार्ड पर आपत्ति जताई है। इसके बाद अफसरों के कान खड़े हुए हैं। लेकिन इस बीच शहर में साढ़े पांच लाख से अधिक लोगों ने सड़क किनारे अवैध वेंडरों से आधार को प्लॉस्टिक कार्ड में बनवाया। इस डेटा को सुरक्षित करने में सरकार के पसीने छूट जाएंगे।

हर दिन बन रहे डेढ़ हजार कार्ड

केंद्र में मोदी सरकार के बाद वर्ष 2014- 15 से आधार कार्ड बनने शुरू हुए हैं। शहर में साल 2015 से प्लॉस्टिक के आधार कार्ड बनाने के लिए जगह-जगह कैनओपी लगाई गई। इस तरह की लगभग 50 अवैध वेंडरों ने प्लास्टिक के आधार कार्ड की दुकान खोल ली। एक वेंडर के मुताबिक एक दिन में कम से कम 15 कार्ड तैयार होते हैं। इस हिसाब से एक दिन में 750 और दो साल में 5 लाख 47 हजार 500 कार्ड बनाए जा चुके हैं। शहर के एक चौथाई लोगों के हाथों तक प्लॉस्टिक आधार कार्ड पहुंच चुका है और उनका डेटा असुरक्षित हाथों तक। इसे रोकना अब यूआईडीएआई के लिए बड़ी चुनौती है।

पहले भी लीक हो चुके हैं डेटा

राजस्थान के एक शहर के एक मोबाइल स्टोर से 15 करोड़ से अधिक यूजर्स का डेटा लीक हो चुका है। ये मोबाइल सिम लेने के लिए आधार कार्ड उपयोग से हुआ। इसके बाद अवैध वेंडरों से आधार कार्ड बनवाने की सूचना ने सरकार की नींद उड़ा दी है।