- केजीएमयू में कॉकरोच औरच्मच्छरों का प्रकोप

- विधानसभा में सीएम ने भी माना केजीएमयू में इनका प्रकोप

LUCKNOW: अगर मलेरिया के मरीज को काटकरच्मच्छर दूसरे स्वस्थ इंसान को काट ले तो उसे भी मलेरिया हो जाएगा। लेकिन, फिर भी केजीएमयू में मरीजों कोच्मच्छर और कॉकरोच परेशान किए हुए हैं। केजीएमयू प्रशासन ने इस बात को स्वीकार किया है कि मरीजों के इर्द-गिर्द कॉकरोच व अन्य कीड़े-मकोड़ों का प्रकोप मंडरा रहा है। वहीं, विधानसभा में भी एक सवाल के जवाब में सीएम अखिलेश यादव ने स्वीकार किया है कि केजीएमयू मेंच्मच्छरों और कॉकरोचेस मौजूद हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि समस्याओं की स्वीकारोक्ति ही क्या समस्याओं का हल है?

इलाज के साथ बीमारी मुफ्त में

नाम न छापने की शर्त पर एक माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट ने कहा कि कॉकरोच औरच्मच्छरों के कारण मरीजों को इलाज के दौरान दूसरी गम्भीर बीमारियां होने का भी खतरा रहता है। ऐसे में संभव है कि मरीज एक बीमारी का इलाज कराने आया और दूसरी बीमारी की गिरफ्त में फंस गया। इसके अलावा हॉस्पिटल एक्वायर्ड इंफेक्शन से होने वाली समस्या ऐसी हैं कि उससे पेशेंट्स की जान तक जा सकती है।

केजीएमयू ने स्वीकारी समस्या

गुरुवार को विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में जानकारी दी कि केजीएमयू में कॉर्डियोलॉजी विभाग के आईसीसीयू, वार्ड के बेड साइड लाकर में मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा रखी जाने वाली खाद्य सामग्री के कारण कभी-कभी कॉकरोच आ जाते हैं। कॉकरोच,च्मच्छर और अन्य इन्सेक्ट के नियंत्रण के लिए हर महीने दवा का छिड़काव किया जाता है। हालांकि, इस छिड़काव का व्यापक असर दिखाई नहीं पड़ रहा।

हर वार्ड मेंच्मच्छर और कॉकरोच

केजीएमयू के कॉर्डियोलॉजी हो या ट्रॉमा। हर जगहच्मच्छरों और कॉकरोच का प्रकोप है। गांधी वार्ड, न्यूरोलॉजी, पल्मोनरी मेडिसिन, सर्जरी, मानसिक रोग विभाग और स्त्री रोग विभाग के जनरल वार्डो मेंच्मच्छर और कॉकरोच का सबसे ज्यादा प्रकोप है। अगर केजीएमयू प्रशासन हर महीने दवा का छिड़काव करता है तो यह जाता कहां हैं। स्त्री रोग, पल्मोनरी मेडिसिन, जनरल सर्जरी और मानसिक रोग विभाग में तो यह हालत है कि रात मेंच्मच्छरों के कारण मरीजों और तीमारदारों का जनरल वार्ड में सोना मुश्किल हो जाता है।

रोका जाए इंफेक्शन

डॉ। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में माइक्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो विनीता मित्तल ने बताया कि लोहिया इंफेक्शन हॉस्पिटल से हॉस्पिटल एक्वायर्ड इंफेक्शन कांटेक्ट के कारण हो जाते हैं। नोजो कोमल इंफेक्शन की प्रिविलेज बढ़ती ही जा रही है। अब डब्ल्यूएचओ ने भी इस पर इम्पार्टेस पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। इसीलिए हॉस्पिटल इंफेक्शन कंट्रोल कमेटी होती है ताकि इंफेक्शन से मरीजों और अटेंडेंट्स को बचाया जा सके। इसीलिए समय-समय पर ओटी और वार्ड को विसंक्रमित किया जाता है।

हॉस्पिटल मेंच्मच्छर, मक्खी और कॉकरोच बीमारियां फैलाते हैं। यह पेशेंट को दूसरी बीमारी दे सकते हैं तो स्वस्थ आदमी को भी बीमार कर सकते हैं। हॉस्पिटल में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए इंसेक्ट वार्ड में न हो।

प्रो। विनीता मित्तल, एचओडी माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट, एसोसिएट प्रो।