सौतेली मां ने बेटी को जिंदा जमीन में दफनाया

आगरा। सिटी की शास्त्रीपुरम स्थित पश्चिमपुरी कॉलोनी में बुधवार को दिल दहलाने वाली घटना सामने आई। एक मां का कलेजा उस समय फट जाता है, जब कोई उसके बेटा या बेटी को जरा सा थप्पड़ भी मार दे, लेकिन यहां तो खुद एक मां अपनी बेटी की हत्यारिन बन गई। उसने पहले अपनी बेटी को गायब करने का ड्रामा रच दिया, लेकिन जब मासूम के भाई की मदद से राज खुला तो सुनने वालों की रूह कांप गई। सौतेली मां ने छह साल की मासूम को जिंदा जमीन में दबा दिया, इससे बेटी की मौत हो गई। इससे सुनने वालों में आक्रोश पनप गया। जमीन में दफन बच्ची को निकाला। सौतेली मां को पकड़ा। उसके पंडित पति की पिटाई भी लगा दी। लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

अचानक गायब हो गई

शास्त्रीपुरम पश्चिमपुरी में कालरात्रि देवी का मंदिर है। इसी मंदिर परिसर में पुजारी बुद्धि विलास तिवारी रहते हैं। उनकी छह साल की बेटी सुभिक्षा रविवार दोपहर घर से गायब हो गई थी। पिता उस दौरान मथुरा गए हुए थे। बच्ची के नहीं मिलने पर पूरे क्षेत्र में सनसनी बनी हुई थी। इस दौरान सौतेली मां अर्चना बच्ची के लिए परेशान होने का बहाना बनाती रही।

भतीजे ने खोला राज

गायब बच्ची को पिता और भतीजा विकास खुर्जा, बुलंदशहर तक घूम आए। आसपास देखने के बावजूद जब बच्ची का पता नहीं चला तो वह बुधवार को कोसी जाने वाले थे, लेकिन इससे पहले उन्हें बेटी की सौतेली मां पर कुछ शक हुआ। चूंकि मां की हरकतें पहले भी संदेह के घेरे में रहती थी, लिहाजा पिता और भतीजे ने अर्चना से बुधवार को सख्ती से पूछताछ की। दोनों की प्री-प्लानिंग कारगर सिद्ध हुई और मां ने सारा राज उगल दिया।

प्लानिंग कर खोला राज

दरअसल, विकास को कॉलोनीवासियों ने बताया कि अर्चना ने बेटी को पीटा था। इस पर विकास का माथा ठनका और उसने राज उगलवाने के लिए बेटी के पिता के साथ अर्चना से पूछताछ की। इस पर मां ने जो हकीकत बयां की, उसे सुनने वालों का दिल दहल गया। अर्चना ने बताया कि उसने मंदिर के कैंपस में अपने कमरे से दस-पंद्रह कदम दूर जमीन में जिंदा ही दफन कर दिया।

राज खुलते ही आया भूचाल

जैसे ही जिंदा दफन हुई बेटी का भेद खुला तो शांति और सुख देने वाले इस देवी के मंदिर में भूचाल आ गया। मौजूद लोगों ने तत्काल मां को पकड़ लिया। बच्ची को देखने के लिए उस जगह पहुंच गए, जहां दबाया गया था। आनन-फानन में गड्ढे को खोदा तो उसमें मासूम बेटी मरी हुई मिली। जिसे देख हर कोई स्तब्ध रह गया।

लोगों की भीड़ लगी।

मामला खुलते ही मौके पर पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने हत्यारिन मां को हिरासत में ले लिया। उस दौरान लोगों का हुजूम मंदिर में उमड़ रहा था। लोगों का कहना था कि ऐसी हत्यारी मां को तो पब्लिक के हवाले कर दो। मासूम की जान लेने वाली हत्यारी मां को नहीं छोड़ेंगे, लेकिन पुलिस ने माहौल को गर्म होने से बचा लिया।

पंडित को पीटा, लाठीचार्ज

फिर भी पब्लिक नहीं मानी। पब्लिक ने पंडित का विरोध किया। मंदिर से निकालने की मांग उठाई। कुछेक आक्रोशित लोग तो इतने गुस्साए कि उन्होंने पंडित जी के साथ मारपीट कर दी। ये भी कहा कि अब किसी फैमिली वाले को मंदिर की जिम्मेदारी नहीं सौपेंगे।

पिता की भूमिका भी बताई

वहीं कुछ लोगों का कहना था कि यह काम मात्र पत्‍‌नी का नहीं था बल्कि जरुर पति की भी शह रही होगी। वह जानबूझ कर बाहर चला गया था। लौटने पर अनभिज्ञता जाहिर कर दी। यह कहते हुए लोग पंडित पर भी टूट पड़े। उन्होने उसकी पिटाई करनी शुरु कर दी। उस दौरान पुलिस को लाठी चार्ज कर मंदिर के बाहर खदेड़ना पड़ा।

इस घटना को जिसने भी सुना वही दंग रह गया। शास्त्रीपुरम स्थित पश्चिमपुरी में रहने वाला हर एक शख्स अपने आपको मन ही मन सिर्फ इसलिए कोसता दिखा कि जिस मंदिर में वह मत्था टेक रहा है, उस मंदिर में इंसानियत का नहीं बल्कि हैवानियत की देवी अपना परिवार जमाए बैठी है। चूंकि आज से नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं, और उससे पहले हुई इस घटना ने लोगों के दिलों-दिमाग से मंदिर के प्रति अगाध आस्था को तोड़ दिया।

मां के सामने बच्ची को दफन किया

वारदात स्थल कालरात्रि मंदिर है। जहां काली माता की प्रतिमा है। उस मां के सामने छोटी बच्ची को मार दिया गया। हत्यारिन मां ने यह भी नहीं सोचा कि वह ईश्वर के सामने यह पाप कर रही है। एक बार भी उसके हाथ नहीं कांपे। उसने अंजाम की भी परवाह नहीं की।

बेटी की तरह पाला उसको

कॉलोनी निवासी संध्या कौशिक ने सुभिक्षा की मां की मौत हो जाने के बाद चार साल तक उसका पालन पोषण किया था। सुभिक्षा उनसे मम्मा कहती। बच्ची से उनका भावनात्मक लगाव था, लेकिन जब पंडित बुद्धि विलास तिवारी ने दूसरी शादी की तो वह बच्ची को अपने साथ ले गए। घटना के बाद से संध्या बदहवास हो गई। उनकी आंखों से आंसू नहीं थमे। उनका कहना था कि इससे तो वह बच्ची को उनके हाथ में ही नहीं देती तो यह दिन तो देखना नहीं पड़ता।

सगी बच्ची से ज्यादा माना था उसे

बच्ची के भाई विकास ने बताया कि बेशक संध्या कौशिक ने जन्म नहीं दिया, लेकिन उसे चार साल तक अपने सीने से लगाकर मां की तरह प्यार दिया। उन्होने ही बेटी का एडमिशन सैंट फ्रांसिस में कराया था। वह बच्ची को अपने पास रखना चाहती थी, लेकिन उसके पिता का मोह उसकी तरफ अधिक था।

पौधा लगाने को खोदा था गड्ढा

हत्यारी मां ने जो गड्ढा पहले से तैयार कर लिया था। जब उसने पहली बार गड्डा खोदा था, तब उससे पूछा तो उसने कहा कि वह तुलसी का पौधा लगाने को गड्ढा कर रही है। दो-तीन दिन में उसने गड्ढे को गहरा कर दिया। वह उसे पत्थर से ढक देती थी। इससे किसी को शक न हो। किसी को क्या मालूम था कि वह इसमें पौधा नहीं बल्कि छोटी सी जान को उसमें दफना देगी।