बाइक सुरेश चला रहा था

सुरेश चंद्र चौबे सिरसा दातागंज डिस्ट्रिक्ट बदायूं का मूल निवासी था। वह काफी समय से बीडीए कॉलोनी स्थित ब्लॉक नंबर 53 के मकान नंबर 5 में रह रहा था। उसकी कोटेदार की शॉप थी इसके अलावा वह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम भी करता था। संडे को उसके पड़ोसी सत्यपाल की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। सुरेश मंडे को अपने रिश्तेदार मुरली के साथ सत्यपाल के अंतिम संस्कार में शामिल होने चौपुला पुल की ओर आ रहा था। बाइक सुरेश ही चला रहा था। जबकि सर्वोदय नगर में रहने वाला मुरली पीछे बैठा था।

पीछे से आ रहा था ट्रक

पुरानी चुंगी के पास सड़क किनारे रेत बजरी पड़ी थी। उसी पर उनकी बाइक फिसल गई। बाइक रोड किनारे गिर पड़ी, जिससे पीछे बैठा मुरली तो किनारे गिरा जबकि सुरेश रोड के बीच आ गिरा। तभी पीछे से आ रहे ट्रक ने सुरेश को अपनी चपेट में ले लिया। सुरेश ट्रक के टायर के नीचे आ गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वहीं मुरली को भी काफी चोटें आईं।

और लगा दी आग

हादसे के बाद आसपास के लोगों ने गुस्से में आकर ट्रक में आग लगा दी। हादसे की सूचना मिलते ही सुरेश के परिजन भी मौके पर पहुंच गए और ट्रक ड्राइवर से मारपीट शुरू कर दी। हादसे की सूचना पर एसएसपी डॉ। संजीव गुप्ता, एसपी सिटी शिव सागर सिंह, सिटी मजिस्टे्रट शीलधर सिंह यादव, सीओ सेकेंड ओमप्रकाश यादव, सीओ थर्ड आनंद कुमार, कोतवाल राजा सिंह समेत कोतवाली, सुभाषनगर और किला थाने की पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। घटनास्थल पर फायर ब्रिगेड भी बुला ली गई। काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका।

जैसे-तैसे संभला मामला

इस दौरान सादी वर्दी में घटनास्थल पहुंचे सुभाषनगर के एसओ रंजीत सिंह यादव और एक प्रेस फोटोग्राफर के साथ भीड़ ने बदसुलूकी की। सुभाषनगर के एसओ रंजीत सिंह यादव ने मौके से किसी तरह आरोपी ट्रक ड्राइवर सुभाषनगर निवासी सुखपाल और मृतक की बॉडी को जीप में रखकर घटनास्थल से हटाया।

 

एनक्रोचमेंट भी एक वजह

मंडे को हुए रोड एक्सीडेंट की वजहों में एक सबसे बड़ी वजह बदायूं रोड के किनारे हुआ एनक्रोचमेंट है। एडमिनिस्टे्रशन सैकड़ों अभियान के बावजूद एनक्रोचमेंट पर काबू पाने में लाचार साबित हुआ है। मंडे को इसी एनक्रोचमेंट ने सुरेश चंद्र की जान ले ली। बदायूं रोड के किनारे कई जगह एनक्रोचमेंट है, जिसकी वजह से सड़कें पतली हो गई हैं। घटनास्थल पर भी कुछ ऐसा ही हाल है और रोड के किनारे रेता बजरी के ढेर लगे हुए थे, जिसने सुरेश की जिंदगी छीन ली। एनक्रोचमेंट की यह भीषण समस्या न जाने कब एडमिनिस्ट्रेशन को समझ आएगी।