पुरुषोत्‍तम जोशी (अनुपम खेर) रिटायर हो गए हैं. वो एक गवरमेंट ऑफीसर थे जिसने पूरी जिंदगी ऑनेस्‍टी से जॉब किया. और अब वो चाहते हैं कि इसके बदले में उन्‍हें इतनी रेस्‍पेक्‍ट तो मिले की उसी ईमानदारी से उनके ड्यूज क्‍लियर हो जायें. पर यही तो ट्विस्‍ट है, आपकी ईमानदारी आपका प्राब्‍लम है दूसरों का नहीं, इसलिए आप उनसे कोई उम्‍मीद ना रखें. लोगों का ये एटिट्यूड पुरुषोत्‍तम को हर्ट करता है और उन्‍हें अटैक पड़ता है जिसमें लगता है कि उनकी डेथ हो गयी है. इस हादसे से पहले उनके लास्‍ट वर्ड थे कि उन्‍हें अपने ऑनर में 21 तोपों की सलामी चाहिए और अब ये उनके दोनों बेटों सुभाष जोशी (दिव्‍यांदू शर्मा) और शेखर जोशी (मनु ऋषि शर्मा) की जिद्द बन गयी है.

Proudcer: Abhinav Shukla, Anurradha Prasad Shukla

Director:  Ravindra Gautam

Cast: Anupam Kher, Neha Dhupia, Divyendu Sharma, Manu Rishi Chadha, Aditi Sharma

Rating: 3/5

अपनी इस कोशिश में वे दोनों करप्‍ट लीडर और उसकी कीप एस्‍पायरिंग एक्‍ट्रेस जयाप्रदा (नेहा धूपिया) से लेकर अजीब अजीब व्‍हाइट कॉलर गवरमेंट ऑफीशियल्‍स और सिस्‍टम में घुसे लोगों से टकराते हैं. पर ये वो प्रयास है जिसके पूरे होने के चांसेज ना के बराबर हैं. लेकिन इस कोशिश में जो कामेडी क्रिएट की कयी है वो आपको हंसायेगी तो जरूर पर सोचने के लिए भी मजबूर कर देगी.

ये हमारे सिस्‍टम में बसे बेईमानी के कीड़े पर एक मीठा सटायर है. जो हंसते हंसते कहीं गहरे चुभता है. इक्‍कीस तोपों की सलामी निश्‍चित तौर से वन टाइम वाच है जो सोचने के लिए मजबूर करती है पर बोझल नहीं होती.

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