फराज हैदर ने बखूबी जताया है चाहे कितने भी पॉलिटिकल ड्रामे हों, मीडिया डिस्कशन हों या वॉर के कल्पिटस पर मीडिया ट्रायल हों पर सच्चाई यही है की जंग किसी मसले का हल नहीं है बल्कि और भी सीरियस इश्यूज की रीजन है. दो एक दूसरे को बखूबी जानने वाले शख्स कैप्टन राज(सरमन जोशी) और कुरैशी(जावेद जाफरी) जो अच्छे दोस्त और हमराज बन सकते थे, एक दूसरे के दुश्मन बन कर लड़ने के लिए मजबूर हैं क्योंकी राज इंडियन फौज में है और कुरैशी पाकिस्तान आर्मी में. ये दोनों जो अपनी पीस पोस्टिंग्स के दौरान एक दूसरे से जोक्स शेयर करते थे वो अब बुलेट्स शेयर कर रहे हैं. इनके घरों और शहरों की हालात एक जैसी प्रॉब्लम्स से जुड़े हैं, जंग का असर दोनों के जानने वालों के लिए एक सा है पर ये एक दूसरे से लड़ रहे हैं क्योंकी इनके देश अलग हैं. इसी दौरान आती है वॉर रिर्पोटर रुत दत्ता (सोहा अली खान) जो समझ ही नहीं पाती की दर्द की बाउंडरी कहां है और प्यार का बंटवारा किस जगह हुआ है.

हंसते हंसते आंसू आ जाना आपने सुना होगा और कभी एक्सपीयरेंस भी किया होगा लेकिन हंसी हंसी इतनी सीरियस बात जता देना और रुला देना ये इस फिल्म का ही कमाल है. वॉर छोड़ ना यार से अपना सोलो डायरेक्शनल डेब्यु कर रहे फराज हैदर बेहद फोकस रहे हैं. कहीं भी ऐसा नहीं लगा की वो अपने मुद्दे से भटक रहे हों. सरमन जोशी ने तो बार बार अपने आप को प्रूव किया है इस फिल्म में भी उनकी डॉयलॉग डिलीवरी और टाइमिंग काबिले तारीफ है जबकी उनके साथ जावेद जाफरी की ट्यूनिंग को भी फुल क्रेडिट दिया जाना चाहिए. जावेद भले ही अपनी अच्छी कॉमेडी के लिए जाने जाते रहे हों लेकिन उसे सामने वाले के पैरेलल रखना और उसकी टाइमिंग से मैच कराना सबके लिए आसान नहीं होता पर जावेद ने इसे बड़े इजीली किया है.



फिल्म का म्यूजिक लाइट है और फिल्म के साथ सूट करता है हालाकि बहुत लास्टिंग वेल्यु नहीं रखता. सोहा सो सो हैं. कुल मिला कर फिल्म एंटरटेनिंग है और देख्ने लायक है. वॉर छोड़ ना यार आपको सोचने के लिए मजबूर करती है लेकिन भारी नहीं लगती.      

     
Director: Faraz Haider

Cast: Sharman Joshi, Soha Ali Khan, Jaaved Jaaferi, Sanjai Mishra, Mukul Dev, Dalip Tahil

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