-निजी उद्यमियों को टैंकर से जलापूर्ति की अनुमति दे सरकार

-राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार की चेतावनी, दी सरकार को नसीहत

-मुख्यमंत्री रघुवर दास को लिखा पत्र, निगम की बैठकों का दिया हवाला

रांची : राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने जल संकट पर सरकार को ढेर सारे सुझाव दिए हैं। यह भी कहा है कि अगर बो¨रग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा तो झारखंड की हालत केपटाउन जैसी हो जाएगी। उन्होंने कहा है कि सभी शहरों में भीषण जल संकट को देखते हुए सरकार निजी क्षेत्र के उद्यमियों को टैंकर के माध्यम से जलापूर्ति की अनुमति दे। उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को इस बाबत पत्र भी लिखा है। जिसमें 16 मई को रांची नगर निगम बोर्ड की बैठक का हवाला दिया है। इस बैठक में जल संकट का मुद्दा ही छाया था। सभी पार्षदों ने अपने वार्ड में जल संकट की भयावह स्थिति से अवगत कराया था।

टैंकर से पानी पहुंचाता है निगम

महेश पोद्दार ने लिखा है कि अभी भी कई इलाकों में नगर निगम टैंकर के माध्यम से पानी पहुंचाता है। जलापूर्ति का कार्य कुछ निजी एजेंसियां ही कर रही हैं जिनका निगम के साथ अनुबंध है और वे कुछ शतरें के तहत निगम द्वारा नियंत्रित होती हैं। यह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। यदि इस कार्य को फ्री होल्ड करते हुए निजी उद्यमियों को मौका दिया जाए तो समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है। निजी उद्यमियों को बिना किसी प्रतिबंध के शहर या आसपास के बोरवेल, कूप, तालाब, नदी, जलाशय आदि से पानी लेने और उसे सशुल्क घर-घर तक पहुंचाने और बेचने की अनुमति दी जाए। इससे लोगों के पास विकल्प बढ़ेगा और रोजगार का एक नया क्षेत्र भी खुलेगा।

-------

गंभीरता से नहीं हो रहा प्रयास

महेश पोद्दार ने आशंका जताई है कि टैंकर से आपूर्ति के निर्णय की आलोचना हो सकती है। कहा जा सकता है कि सरकार को भूमिगत जलस्तर की चिंता नहीं है क्योंकि जलापूर्ति के मुक्त कारोबार के अस्तित्व में आने के बाद डीप बोरिंग की प्रवृत्ति बढ़ने का खतरा है। वैसे भी भूमिगत जलस्तर बनाए रखने और बढ़ाने का प्रयास बहुत गंभीरता से हो नहीं रहा है जिसका प्रमाण यह है कि कई साल पहले निगम बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बावजूद अबतक सार्वजनिक वाटर हार्वेस्टिंग की परियोजना पर काम शुरू तक नहीं हुआ है। राजधानी क्षेत्र में मुश्किल से 35 प्रतिशत लोगों ने ही वाटर हार्वेस्टिंग कराया है। भूमिगत जल का संरक्षण और बड़े-बड़े जलाशयों का गहरीकरण और डिशिल्टिंग कर पाइपलाइन के माध्यम से घर-घर तक पानी पहुंचाना जलापूर्ति की आदर्श स्थिति है लेकिन यह भी स्वीकार करना होगा कि हम इस आदर्श स्थिति को प्राप्त करने से बहुत पीछे हैं और मौजूदा जल संकट की भयावहता हमें आसानी से उपलब्ध विकल्पों पर निर्भर होने को विवश कर रही है।