- प्रोटोकॉल तोड़ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने गुरुजनों के चरण छूकर मांगा आशीर्वाद

- शिष्य, सखा व गुरु बने राष्ट्रपति, गुरु दत्तात्रेय की परंपरा का निर्वहन

- राष्ट्रपति ने गुरुजनों को अपने आगे स्थान दिया, बताया महापुरूष

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KANPUR : प्रेसीडेंट रामनाथ कोविंद जब भी कानपुर आते हैं, वह यहीं की यादों में खो जाते हैं। यूं तो पूरा देश उनका है, लेकिन कानपुर को हर बार वह अपने दिल के बेहद करीब बताते हैं। लेकिन इस बार मिस्टर प्रेसीडेंट ने कुछ ऐसा खास किया कि कानपुराइट्स ही क्या बल्कि पूरे देश की जनता ने उन्हें 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' के खिताब से नवाजा। उन्होंने एक बार फिर गुरु दत्तात्रेय द्वारा शुरू की गई गुरु और शिष्य की परंपरा चरितार्थ कर दिया। राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल को तोड़कर उन्होंने एक शिष्य बनकर अपने तीनों गुरुजनों के पैर छुए और आगे बढ़ने का आशीर्वाद मांगा। अपने सखा को बुलाकर हालचाल पूछा और मौजूद बच्चों को गुरु बनकर ज्ञान भी दिया। राष्ट्रपति यहां बीएनएसडी शिक्षा निकेतन बेनाझाबर में आयोजित संयुक्त पूर्व छात्र सम्मेलन और वार्षिकोत्सव में मौजूद थे। इस मौके पर उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे।

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एक शिष्य के रूप में राष्ट्रपति

भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। राष्ट्रपति ने इन्हीं परंपराओं का निर्वहन करते हुए देश के सर्वोच्च पद पर होते हुए भी गुरु के चरणों में अपना स्थान पाया। अपने गुरु टीएन टंडन और हरि राम कपूर को मंच से नीचे बैठे देख फौरन ही गुरुजनों को मंच पर ससम्मान बुलाया और बैठने के लिए अपने आगे स्थान दिया। जब गुरु का सम्मान करने का मौका आया तो प्रोटोकॉल तोड़कर गुरुजनों के पैर छुए और आशीर्वाद मांगा। जब प्यारे लाल वर्मा बीमारी की वजह से मंच पर नहीं चढ़ पाए तो मंच से उतरकर राष्ट्रपति उनके पास पहुंचे, सम्मान किया और पैर छूकर आशीर्वाद मांगा।

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गुरु के रूप में राष्ट्रपति

शिष्य बनने के बाद राष्ट्रपति बच्चों के आगे गुरु की भूमिका निभाना नहीं भूले। अपने सामने मौजूद सैकड़ों स्टूडेंट्स को शिक्षा और जिंदगी का पाठ पढ़ाया। राष्ट्रपति ने थिंक पॉजिटिवली, एक्ट पॉजिटिवली और लिव पॉजिटिवली का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि आप देश के कितने ही सर्वोच्च पद पर पहुंच जाएं, अपने माता-पिता, गुरु और समाज के लोगों के प्रति उदार बने रहना चाहिए। क्योंकि आपकी तरक्की में सभी का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान होता है। शिक्षा का मूल उद्देश्य अच्छा इंसान बनना होना चाहिए, सिर्फ अच्छी नौकरी पाने तक सीमित न रहें.

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जब दोस्त का मिला साथ

राष्ट्रपति ने कानपुर आकर पुरानी यादों को ताजा किया। इस दौरान बीएनएसडी इंटर कॉलेज में 9वीं और 10वीं में उनके साथ पढ़ने वाले दामोदर नगर निवासी विद्यासागर शर्मा ने बताया कि राष्ट्रपति ने उनका हालचाल पूछा। राष्ट्रपति ने एक नजर देखकर उन्हें नाम से पुकारा। दोस्त ने भी घर आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। विद्यासागर ने बताया कि पिछली साल जून में उन्होंने राष्ट्रपति भवन बुलाया था और घंटों बातचीत हुई थी।

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पढ़ाई के दिनों को याद किया

राष्ट्रपति ने बताया कि 8वीं तक पढ़ाई करके 3 जुलाई 1960 को कानपुर आया था। मैकरॉबर्टगंज में बहन-बहनोई के साथ रहकर पढ़ाई करता था। तब वहां बिजली नहीं रहती थी तो स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ता था। 12वीं तक की पढ़ाई बीएनएसडी इंटर कॉलेज से की।