- 28 को मन माफिक फैसला न आया तो एएनएम करेंगी बहिष्कार

- आशा वर्कर्स पहले से ही कर रही हैं कार्य बहिष्कार

DEHRADUN : फ्0 अक्टूबर से देहरादून में शुरू होने जा रहा अब तक का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाला है। इस अभियान के तहत 9 महीने से क्भ् साल के बच्चों को मीजल्स और रूबेला की वैक्सीन दी जानी है।

हड़ताल पर हैं आशा वर्कर

स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशा वर्कर्स पिछले दो महीने से भी अधिक समय से हड़ताल पर हैं। आशा वर्कर्स ने पिछली बार पल्स पोलियो अभियान में भी हिस्सा नहीं लिया था। इससे यह अभियान ज्यादा दिन चलाना पड़ा था और कई जगहों पर बच्चों को दवा न पिलाये जाने की भी शिकायतें मिली थीं। आशा वर्कर्स ने एम-आर टीकाकरण अभियान का भी बहिष्कार करने का फैसला किया है।

एएनएम भी कर सकती हैं बहिष्कार

इस बीच अपनी वेतन संबंधी मांग को लेकर आंदोलन कर रही एएनएम को लेकर भी असमंजस बना हुआ है। एएनएम क्म् और ख्म् साल की सेवा पूरी होने पर विशेष वेतन वृद्धि की मांग कर रही हैं। सीएमओ ने एएनएम के साथ ख्भ् अक्टूबर को बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में इसे स्थगित कर अब ख्8 को बैठक बुलाई गई है।

बैठक का कर रहे इंतजार

उत्तराखंड मातृ-शिशु एवं परिवार कल्याण महिला कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष गुड्डी मटूड़ा ने बताया कि पूरा दरोमदार ख्8 अक्टूबर को होने वाली बैठक पर टिका है। यदि विभाग उनकी मांग पूरी कर देता है तो वे एम-आर अभियान में भाग लेंगी, वरना उसी दिन इस अभियान के बहिष्कार का फैसला किया जाएगा।

ड़्यूटी चार्ट पर भी असहमत

एएनएम एमआर टीकाकरण अभियान के लिए बनाये गये डयूटी चार्ट को लेकर भी असहमत हैं। संघ के प्रांतीय महासचिव पवन सैनी ने बताया कि उनकी डयूटी एक दिन में तीन-तीन बूथों पर लगाई गई है। कई जगह तो एक बूथ से दूसरे बूथ की दूरी क्0 किमी से भी ज्यादा दूर है। आने-जाने के लिए विभाग की ओर से कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। ऐसे में अभियान में काम करना उनके लिए कठिन हो जाएगा।

ये एक राष्ट्रीय अभियान है और इसमें किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एएनएम के साथ बातचीत सफल रहेगी। अभियान में कई एनजीओ भी हिस्सा ले रहे हैं, जिनके पास प्रशिक्षित कर्मचारी हैं। अभियान पूरी तरह सफल होगा।

-डॉ। यूएस चौहान, नोडल अधिकारी