बुधवार को मिस्र की एक अदालत ने होस्नी मुबारक को सशर्त रिहा किए जाने का आदेश दिया था.

होस्नी मुबारक 2011 में उनका विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की हत्या में मिलीभगत के आरोपों का सामना कर रहे हैं.

मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति ने उनके खिलाफ़ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले में अपील की थी. अदालत ने यह फ़ैसला उसी मामले में सुनाया था.

बुधवार को अदालत का फैसला आने के बाद मुबारक के वकीलों ने उम्मीद जताई थी कि उन्हें गुरूवार को जेल से रिहा किया जा सकता है.

उनके वकील फरीद अल-दीब ने कहा था, "संभव है कि कल" उनकी रिहाई हो जाए. मुबारक के वकीलों ने बताया कि मुबारक मुक़दमा शुरू होने से पहले की लंबी अवधि क़ैद में बिता चुके हैं.

दोबारा सुनवाई

मिस्र: सेना ने दिए मुबारक की नज़रबंदी के आदेशमुबारक पर अपने ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने वालों की हत्या में मिलीभगत का भी आरोप है.

मुबारक ने 2011 में उन्हें सत्ता से बेदख़ल करने के लिए प्रदर्शन करने वालों की हत्या में मिलीभगत होने के आरोपों से भी मुक्त किए जाने की अपील भी की है.

85 वर्षीय मुबारक को पिछले साल आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. उनकी अपील पर इस मामले की दोबारा सुनवाई का आदेश दिया गया था.

इस मामले के दोबारा सुनवाई मई में शुरू हुई. लेकिन मुबारक इस मामले में सुनवाई से पहले की अधिकतम संभव अवधि पहले ही कैद में गुज़ार चुके हैं.

मुबारक के वकीलों और न्यायिक सूत्रों ने बताया कि अदालत ने बुधवार को मुबारक की रिहाई के आदेश दिए.

आपातकालीन स्थिति

मिस्र: सेना ने दिए मुबारक की नज़रबंदी के आदेशमिस्र में हुए संघर्षों में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं.

मिस्र की अदालत ने यह फ़ैसला उन आरोपों की सुनवाई के दौरान दिया, जिनमें कहा गया था कि पूर्व राष्ट्रपति ने सरकारी प्रकाशक अल-अहराम से उपहार लिए थे.

विश्लेषकों का कहना है कि अगर मुबारक रिहा होते हैं तो कई लोग इसे सैन्य शासन की वापसी के रूप में देखेंगे.

मिस्र इस समय आपातकालीन स्थिति से गुजर रहा है और राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सेना के हाथों अपदस्थ किए जाने का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग में काफ़ी लोगों की जान जा चुकी है.

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