अरबपति उद्योगपति अंबानी भाइयों ने 2005 में अंबानी साम्राज्य के बंटवारे के बाद पहली बार हाथ मिलाया है. दोनों की कंपनियों ने दूरसंचार कारोबार में 1,200 करोड़ रुपए के सहयोग का करार किया है. इस डील के तहत बड़े भाई मुकेश अंबानी अपने नए दूरसंचार उपक्रम के लिए छोटे भाई अनिल की कंपनी के आप्टिक फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करेंगे. समझौता करीब 1,200 करोड़ रुपये का है.

4G नेटवर्क पर डील

इसके तहत मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की दूरसंचार इकाई रिलायंस जियो इन्फोकाम लिमिटेड चौथी पीढ़ी ‘4जी’ की सेवाओं की शुरुआत के लिए नेशनल पर रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करेगी.

फ्यूचर में होगी बड़ी डील

फ्यूचर में इस डील का और डेवलेपमेंट हो सकता है. इसके तहत छोटे भाई अनिल की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस अपने 20,000 दूरसंचार टावर रिलायंस जियो को लीज पर दे सकती है, जिसके तहत बड़े भाई मुकेश ब्रॉडबैंड के साथ वॉइस सर्विसेज की भी पेशकश कर सकेंगे.

दोनों कंपनियों ने अलग-अलग बयानों में कहा है कि देश की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को पारस्परिक आधार पर रिलायंस जियो के बनाए गए ऑप्टिक फाइबर ढांचे के यूज का अधिकार होगा. दोनों कंपनियों की भविष्य में दूरसंचार टावरों की भागीदारी की योजना है.

देश में सभी 22 सर्विस सेक्टर में 4जी स्पेक्ट्रम सिर्फ रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास है. वह रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क के इस्तेमाल के लिए 1,200 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. वहीं दूसरी ओर कर्ज के बोझ से दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस को इस सौदे से अतिरिक्त आमदनी जुटाने में मदद मिलेगी. पिछली 14 में से 13 तिमाहियों में रिलायंस कम्युनिकेशंस का मुनाफा घटा है.

बंटवारे के बाद पहली बार मिलाया हाथ

पिता धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों में 2005 में बंटवारा हो गया था. बंटवारे के तहत मुकेश के खाते में पेट्रोरसायन, रिफाइनरी और तेल एवं गैस कारोबार गया. वहीं अनिल को बिजली, वित्तीय सेवाएं और दूरसंचार कारोबार मिला. शुरुआती करार के तहत दोनों भाई एक दूसरे से सीधी प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते थे. प्रतिस्पर्धा की अनुमति न देने वाला यह करार मई, 2010 में समाप्त कर दिया गया.

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