अक्ल से काम लें अखिलेश: शिवपाल

शिवपाल यादव बोले, मुख्यमंत्री बनने की मेरी लालसा नहीं

- अखिलेश को बताया बेटा, कहा अमर सिंह को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं, अच्छाई-बुराई सब में

lucknow@inext.co.in

LUCKNOW : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ चली आ रही खींचतान खत्म होने के साथ इशारों-इशारों में उन्हें तमाम नसीहतें देकर अभी तल्खी बरकरार रहने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि मुझे मुख्यमंत्री पद की कोई लालसा नहीं है। चुनाव में यदि बहुमत मिला तो अखिलेश यादव को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव लाया जाएगा। मुझे मुलायम ने प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंपा है जिसे मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाऊंगा। अखिलेश मेरे बेटे की तरह है, परिवार में भी कोई झगड़ा नहीं है।

चार साल की उम्र से बेटे की तरह पाला

पिछले चौबीस घंटे से मीडिया से दूरी बनाए शिवपाल ने शुक्रवार को गोमतीनगर में एक खबरिया चैनल के कार्यक्रम में कहा कि अखिलेश को उन्होंने चार साल की उम्र से पाला है। पढ़ाई पूरी होने तक अखिलेश अपनी चाची के साथ ही रहे। आज वे सूबे की सबसे बड़ी कुर्सी पर विराजमान हैं। जिन बीच वाले लोगों के बारे में बातें हो रही है, वैसे लोग अखिलेश के साथ भी हैं। उनके मंत्रिमंडल में कुछ कैबिनेट मंत्री ऐसे भी हैं जो कोई काम नहीं करते। मैं 15 साल की उम्र से नेताजी के साथ हूं। बीच वालों के बारे में मुझे भी अनुभव है। अखिलेश को नसीहत देते हुए कहा कि पढ़े-लिखे हो, अक्ल से काम लो। सब नेताजी, अखिलेश और शिवपाल नहीं हो सकते। सबसे क्या काम लेना है, यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। सब अनुभवी हैं, उनसे सीखना है। खुलकर कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस पूरे प्रकरण के लिए अमर सिंह जिम्मेदार हैं, अखिलेश को भी यह बात समझनी चाहिए। सभी में कुछ अच्छाई होती है तो कुछ बुराई भी। जितना मैं अमर सिंह को जानता हूं, वह परिवार का नुकसान नहीं कर सकते हैं। अखिलेश के साथ भी ऐसे लोग हैं, किसी का नाम नहीं लेना चाहिए।

सीएम बनते ही आ जाता है अहम

शिवपाल इतने पर ही थमे और कहा कि मैंने यूपी के कई मुख्यमंत्री देखे हैं। तंज किया कि इस कुर्सी पर बैठकर लोग घूमने लगते हैं। उनमें अहम आ जाता है। अखिलेश को अभी अनुभव की जरूरत है। प्रोफेसर रामगोपाल यादव और अखिलेश को यह समझना चाहिए कि यदि मैंने कोई फैसला लिया है तो उसमें नेताजी की सहमति होगी। परिवार एक नहीं होता है तो नुकसान होता है। खुलासा किया कि जब दो दिन तक मेरे पास अखिलेश का फोन नहीं आया तो मैं खुद उनसे मिलने पांच, कालिदास मार्ग चला गया। उन्हें बताया कि मैंने प्रदेश अध्यक्ष बनने की इच्छा नहीं जाहिर की थी। मुझे तो जब लोगों ने बधाई दी तो इसका पता चला। नेताजी ने भी दो घंटे बाद फोन करके बताया। विभाग छीनने को लेकर कहा कि समाज कल्याण भी वापस ले लीजिए, मैं बिना विभाग का मंत्री बना रहूंगा। इसके बाद नेताजी को फोन करके सारी बात बताई और इस्तीफा देने की पेशकश की। नेताजी ने कहा कि कल दे देना लेकिन मैंने रात में ही दोनों पदों से इस्तीफा देना उचित समझा। अब मैंने नेताजी के सामने सारी बातें रख दी है। उनका संकेत मेरे लिए आदेश की तरह है। जितनी भी गलतफहमियां थी, वह अब दूर हो चुकी है।

रामगोपाल को भी नहंी बख्शा

शिवपाल ने बातों-बातों में प्रोफेसर रामगोपाल यादव को भी नहीं बख्शा। कहा कि यदि वे अखिलेश से मिलने आए थे तो उन्हें मुलायम से मिलकर पूरी बात बतानी चाहिए थी। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अभी अखिलेश को व्हाट्सएप कर भड़का रहे होंगे। पार्टी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अवैध कब्जेदारों, भूमाफियाओं को संरक्षण देते है। मैंने जो अभियान छेड़ा है, उसमें कार्रवाई होनी चाहिए चाहे कोई कितना ताकतवर व्यक्ति क्यों न हो। यह पूछे जाने पर कि ऐसे लोग कौन हैं, उन्होंने कहा कि बुद्धि लगाइए, समझ आ जाएगा। अखिलेश का प्रदेश अध्यक्ष छिनने पर रामगोपाल की प्रतिक्रिया पर बोले कि इसी तरह 2011 में जब मैं पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं की मीटिंग ले रहा था तो अचानक अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। मैंने तो उफ तक नहीं की थी। नेताजी का आदेश माना और पद छोड़ दिया। खुलासा किया कि जब 2012 में बहुमत मिला तो मेरी इच्छा थी कि नेताजी एक बार और मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लें। लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश को मुख्यमंत्री बना दिया जाए। मैंने अपने दिल की बात नेताजी को भी बताई थी।

खत्म हुई रार लेकिन तल्खी बरकरार

सपा और सरकार में पिछले चार दिनों से मचा घमासान शुक्रवार को कुछ थमता नजर आया। हालांकि दोनों पक्षों में तल्खी और नसीहत देने का सिलसिला शुक्रवार को भी चलता रहा। सुबह से शुरू सुलह की कोशिश देर शाम तक परवान चढ़ती दिखी। शनिवार को पार्टी की बैठक में समझौता फार्मूले पर सहमति के आसार है। शुक्रवार को सबसे पहले पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कार्यकर्ताओं की खचाखच भीड़ के सामने शिवपाल सिंह यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखने और मंत्रिमंडल के सारे विभाग वापस करने का ऐलान विवाद को थामने की कोशिश की। वहीं टिकट बंटवारे में अखिलेश की अहम भूमिका का भी भरोसा दिया। यही नहीं गायत्री प्रजापति को बदले विभाग के साथ मंत्रिमंडल में वापसी का रास्ता साफ कर दिया। अमर सिंह को पार्टी से बाहर करने के बाबत मुलायम सिंह यादव फैसला लेंगे। वहीं शाम को शिवपाल ने खुलासा किया कि मुख्तार को छोड़कर कौमी एकता दल का सपा में विलय होगा। चुनाव में टिकट बंटवारे में नेताजी का निर्णय ही माना जाएगा। पार्टी का पूरा फोकस अब आगामी विधानसभा चुनाव पर रहेगा ताकि बहुमत की सरकार बनाने का सपना साकार किया जा सके।