आंकड़ों पर गौर फरमाया जाए तो नेता जी 1967 में पहली बार विधानसभा में पहुंचे और उसके बाद से आज 45 साल हो चुके हैं लेकिन उत्तरप्रदेश में उनकी राजनीति का दबदबा कायम है.

मुलायम सिंह को पहली बार उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का मौका सन् 1989 में मिला. उस समय तीन बार सीएम की कुर्सी में बैठ चुके कांग्रेस के नेता नरायण दत्त तीवारी को हरा मुलायम ने सीएम की कुर्सी  हथियाई थी.

इसके बाद मुलायम 1993 में फिर से उत्तरप्रदेश के सीएम बने लेकिन इस बार मुलायम की सितारे गिरदिश में थे और इसका असर उनकी कुर्सी पर भी पड़ा. दो ही साल बाद 1995 में सरकार गिर गई और भाजपा के समर्थन से बसपा को बहुमत मिला और मायावती उत्तरप्रदेश की पहली बार सीएम बनी.

इसके बाद मुलायम को सात साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी से वंचित रहना पड़ा. 2003 में फिर से नेता जी का सामना बहन जी से हुआ और इस बार हार का मुंह मायावती को देखना पड़ा और मुलायम सिंह तीसरी बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए.

2007 के विधानसभा चुनाव में फिर से मुलायम को फिर से मायावती से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। लेकिन पार्टी की नई पीढ़ी खासतौर से बेटे अखिलेश के कमान संभालने के बाद फिर से पार्टी में जान लौट आई है और इसी का नतीजा है कि आज चौथी बार फिर से उत्तरप्रदेश में सपा के झंडे गड़ गए है और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए तैयार हैं.

वैसे उत्तरप्रदेश में मुलायम सिहं अब मायावती की टक्कर में आ गए हैं. दरअसल मायावती यूपी की चार बार मुख्यमंत्री बन चुकी है वहीं कांग्रेस के चंद्र भानू गुप्ता तीन बार सीएम बने और कांग्रेस के नरायण दत्त तीवारी भी प्रदेश के तीन पर मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हो चुके हैं.

National News inextlive from India News Desk