प्रति मंजिल के हिसाब से निगम वसूलेगा टैक्स

निगम ने शुरु किया मल्टी स्टोरी भवनों का सर्वे

Meerut. नगर निगम अब अपनी आय के सबसे बड़े साधन यानी हाउस टैक्स के मद में इजाफा करने के लिए शहर में लगातार बढ़ रहे मल्टी स्टोरी भवनों पर लगाम कसने की योजना बना रहा है. निगम के टैक्स दायरे में आने वाले साढे चार लाख भवनों में से एक लाख करीब भवन ऐसे हैं, जो मल्टी स्टोरी होने के बाद भी सिंगल भवन के हिसाब से 15 से 20 साल पुराने टैक्स का भुगतान कर रहे हैं. इन भवनों से आज भी 50 से 100 रुपए टैक्स वसूला जा रहा है. ऐसे में निगम अब अपनी आय को बढ़ाने के लिए मल्टी स्टोरी भवनों का डाटा खंगाल रहा है.

प्रति मंजिल का हिसाब

निगम की नियमावली के अनुसार क्षेत्र वाइज प्रति वर्ग फुट के हिसाब से हाउस टैक्स निर्धारित है. इसमें भवनों की स्थिति के अनुसार मल्टी स्टोरी भवन या फ्लैट से अलग-अलग टैक्स वसूला जाना चाहिए, लेकिन निगम में सुस्ती के चलते मल्टी स्टोरी भवन भी सिंगल स्टोरी का टैक्स दे रहे हैं जबकि शहर में मल्टी स्टोरी भवनों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में निगम अब भवनों का सर्वे कराकर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग से अलग अलग टैक्स वसूलेगा.

पुरानी दरें भी होंगे रिवाइज

निगम के आंकडों मे करीब सवा लाख से अधिक भवन ऐसे भी हैं जो 15 से 20 साल पुराना वार्षिक टैक्स जमा कर रहे हैं. इन भवनों पर अभी भी 50 से 100 रुपए सालाना टैक्स लग रहा है जबकि टैक्स दरों में इजाफा हो चुका है. निगम की नियमावली के अनुसार प्रति 10 वर्ग मीटर एरिया के लिए 210 रुपए टैक्स निर्धारित किया जाता है. ऐसे में निगम अब पुरानी दरों से भुगतान करने वाले भवनों को भी अपडेट कर नई दरों से वसूली करेगा.

टारगेट 80 करोड़

निगम अपने दायरे में आने वाले करीब 4 लाख भवनों से यदि नियमानुसार हाउस टैक्स वसूली करे तो निगम को हर साल करीब 80 करोड़ रुपए टैक्स मिल सकता है लेकिन हाउस टैक्स की पुरानी दरों और मात्र 25 से 30 प्रतिशत भवनों से टैक्स वसूली के चलते निगम हर साल नुकसान में चल रहा है. इसी का नतीजा है कि इस साल 38 करोड़ की टैक्स वसूली की गई जो कि पिछले से करीब 10 करोड़ अधिक थी. लेकिन अभी भी निगम अपनी वास्तविक आय से काफी पीछे है.

हाउस टैक्स को बढ़ाने के लिए भवनों के मालिकों से स्वकर फार्म भरवाकर नई दरों के हिसाब से टैक्स वसूला जाएगा. जो भवन टैक्स से बचे हुए हैं उनको भी शामिल किया जाएगा.

राजेश कुमार, संपत्ति अधिकारी