अक्सर भागते हैं मुंबई
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के बाद इलाहाबाद से बदमाश सीधे मुम्बई में शरण लेने पहुंचे हैं। कई बार तो बदमाश लूट को अंजाम देने के बाद मुम्बई में बार का मजा लेने पहुंच जाते हैं। ज्यादातर बदमाश मुम्बई तभी भागते हैं जब उनकी तलाश में यहां की पुलिस जुट जाती है। पिछले कुछ सालों में कई शूट आउट के बाद हत्यारों ने मुम्बई की शरण ली है। लेकिन हर बार पुलिस ने उन्हें ट्रेस कर पकड़ लिया और सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।  

सिम देता है पुलिस को सुराग
12 जुलाई 2010 को नंद गोपाल नंदी पर हमले में पुलिस ने राजेश पायलट को मेन शूटर बताया था। पुलिस ने राजेश का पता नहीं चलने पर ढाई लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया। शातिर राजेश पायलट की लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। राजेश को पता था कि अगर उसने मोबाइल यूज किया तो पुलिस उसे पकड़ लेगी। राजेश मुम्बई में हर बार अपना मोबाइल सिम कार्ड बदलता जा रहा था। बावजूद इसके एसटीएफ ने उसे एयरपोर्ट के पास से अरेस्ट कर लिया.

पहली बार फ्लाइट से पुलिस पहुंची मुम्बई
2010 में सिविल लाइंस के बिजनेसमैन चेतन सांवला का मर्डर हुआ था। बदमाशों ने उन्हें उनके घर के बाहर ही टारगेट बनाया और लाखों रुपए लूट कर भाग निकले थे। पुलिस को जांच में पता चला कि बदमाश मुम्बई भाग निकले हैं। पुलिस ऑफिसर ने तत्काल दो सब इंस्पेक्टर को पहली बार फ्लाइट से मुम्बई भेजा था। पुलिस को राहुल शुक्ला तो मिल गया था लेकिन देवी दयाल और भैया भाग निकले थे.

मुम्बई भाग कर बचाई थी जान 
शातिर अपराधी नीरज को पुलिस पेशी से लेकर लौट रही थी। उसके साथियों ने पुलिस टीम पर हमला कर कांस्टेबल धर्मेन्द्र और हरेराम की हत्या कर दी और ट्रेन से नीरज को भगा ले गए। पुलिस के साथ एसटीएफ भी इस केस में जुट गई। एसटीएफ ने नीरज को आगरा में मार गिराया। उसका एक और साथी एनकाउंटर में मारा गया। इस वारदात में शामिल शहर के अतरसुइया एरिया के विवेक ने मुम्बई भाग कर अपनी जान बचाई थी. 

मुम्बई में था शातिर शूटर 
बदमाशों ने पुलिस से बचने का हर तरीका सीख लिया है। धूमनगंज एरिया में भी बदमाशों ने घर में घुसकर फकीरा की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। फकीरा के घर वालों ने छोटा राजन के शूटर के नाम से कुख्यात बच्चा पासी और उसके साथियों पर एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस की जांच में पता चला कि बच्चा पासी मुम्बई में बैठा है। बच्चा ने एक बार फिर पुलिस को गच्चा दिया और दूसरे केस में अपनी जमानत तुड़वाकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया.

आसान है शरण लेना 
मुम्बई में छिपना सबसे आसान है। इलाहाबाद से हजारों लोग वहां जाकर जॉब करते हैं। बड़े अपराधियों का मुम्बई से काफी क्लोज रिलेशन है। मुम्बई में बैठे अपने साथियों के साथ मिलने के बहाने पहुंच जाते हैं। वहां उनके साथ रहते हैं और मस्ती करते हैं। इस बात की किसी को भनक भी नहीं लगती कि कोई बाहर से अपराध करके यहां छिपा हुआ है। मुम्बई में उन्हें आसानी से कोई ना कोई काम मिल जाता है जिससे उनकी रोजी रोटी चलने लगती है। अगर कोई सनसनीखेज मामला होता है तभी पुलिस उनका पीछा मुम्बई तक करती है। ज्यादातर केस में तो उसके लौटने का ही इंतजार होता है. 

अक्सर भागते हैं मुंबई

ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के बाद इलाहाबाद से बदमाश सीधे मुम्बई में शरण लेने पहुंचे हैं। कई बार तो बदमाश लूट को अंजाम देने के बाद मुम्बई में बार का मजा लेने पहुंच जाते हैं। ज्यादातर बदमाश मुम्बई तभी भागते हैं जब उनकी तलाश में यहां की पुलिस जुट जाती है। पिछले कुछ सालों में कई शूट आउट के बाद हत्यारों ने मुम्बई की शरण ली है। लेकिन हर बार पुलिस ने उन्हें ट्रेस कर पकड़ लिया और सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।  

सिम देता है पुलिस को सुराग

12 जुलाई 2010 को नंद गोपाल नंदी पर हमले में पुलिस ने राजेश पायलट को मेन शूटर बताया था। पुलिस ने राजेश का पता नहीं चलने पर ढाई लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया। शातिर राजेश पायलट की लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। राजेश को पता था कि अगर उसने मोबाइल यूज किया तो पुलिस उसे पकड़ लेगी। राजेश मुम्बई में हर बार अपना मोबाइल सिम कार्ड बदलता जा रहा था। बावजूद इसके एसटीएफ ने उसे एयरपोर्ट के पास से अरेस्ट कर लिया।

पहली बार फ्लाइट से पुलिस पहुंची मुम्बई

2010 में सिविल लाइंस के बिजनेसमैन चेतन सांवला का मर्डर हुआ था। बदमाशों ने उन्हें उनके घर के बाहर ही टारगेट बनाया और लाखों रुपए लूट कर भाग निकले थे। पुलिस को जांच में पता चला कि बदमाश मुम्बई भाग निकले हैं। पुलिस ऑफिसर ने तत्काल दो सब इंस्पेक्टर को पहली बार फ्लाइट से मुम्बई भेजा था। पुलिस को राहुल शुक्ला तो मिल गया था लेकिन देवी दयाल और भैया भाग निकले थे।

मुम्बई भाग कर बचाई थी जान 

शातिर अपराधी नीरज को पुलिस पेशी से लेकर लौट रही थी। उसके साथियों ने पुलिस टीम पर हमला कर कांस्टेबल धर्मेन्द्र और हरेराम की हत्या कर दी और ट्रेन से नीरज को भगा ले गए। पुलिस के साथ एसटीएफ भी इस केस में जुट गई। एसटीएफ ने नीरज को आगरा में मार गिराया। उसका एक और साथी एनकाउंटर में मारा गया। इस वारदात में शामिल शहर के अतरसुइया एरिया के विवेक ने मुम्बई भाग कर अपनी जान बचाई थी. 

मुम्बई में था शातिर शूटर 

बदमाशों ने पुलिस से बचने का हर तरीका सीख लिया है। धूमनगंज एरिया में भी बदमाशों ने घर में घुसकर फकीरा की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। फकीरा के घर वालों ने छोटा राजन के शूटर के नाम से कुख्यात बच्चा पासी और उसके साथियों पर एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस की जांच में पता चला कि बच्चा पासी मुम्बई में बैठा है। बच्चा ने एक बार फिर पुलिस को गच्चा दिया और दूसरे केस में अपनी जमानत तुड़वाकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया।

आसान है शरण लेना 

मुम्बई में छिपना सबसे आसान है। इलाहाबाद से हजारों लोग वहां जाकर जॉब करते हैं। बड़े अपराधियों का मुम्बई से काफी क्लोज रिलेशन है। मुम्बई में बैठे अपने साथियों के साथ मिलने के बहाने पहुंच जाते हैं। वहां उनके साथ रहते हैं और मस्ती करते हैं। इस बात की किसी को भनक भी नहीं लगती कि कोई बाहर से अपराध करके यहां छिपा हुआ है। मुम्बई में उन्हें आसानी से कोई ना कोई काम मिल जाता है जिससे उनकी रोजी रोटी चलने लगती है। अगर कोई सनसनीखेज मामला होता है तभी पुलिस उनका पीछा मुम्बई तक करती है। ज्यादातर केस में तो उसके लौटने का ही इंतजार होता है.