मुंगेर मेड पिस्टल पर लोगो से धाक जमाते हैं कारोबारी व छात्र

एसटीएफ के हत्थे चढ़े एजेंट ने खोले राज, खरीदार अब होंगे बेनकाब

ashutosh.srivastava@inext.co.in

ALLAHABAD: मुंगेर में बनने वाली 'मेड इन यूएसए' पिस्टल की इलाहाबाद में जबर्दस्त डिमांड है। जो सीधे रास्ते से असलहों का लाइसेंस नहीं हासिल कर पाते, वह अपने जानने वालों के बीच 'मेड इन यूएसए' लिखी पिस्टल दिखाकर धाक जमाते हैं। मुंगेर में बनने वाली पिस्टल पर सिर्फ 'मेड इन यूएसए' ही लिखा भर होने पर 10 हजार रुपए तक एक्सट्रा मिल जाते हैं। यूएसए मार्का पिस्टल के दीवाने इलाहाबाद के कई कारोबारी हैं तो कुछ स्टूडेंट भी इसे रखने का शौक फरमाते हैं। बेचने वालों के पकड़ में आने के बाद एसटीएफ को कुछ खरीदारों के नाम भी मिल गए हैं। अब पिस्टल के 'दीवानों' की खबर लेने की तैयारी की जा रही है।

पर मंथ 200 से अधिक पिस्टल

मेड इन यूएसए मार्का पिस्टल की इलाहाबाद में जबर्दस्त डिमांड है। एसटीएफ व क्राइम ब्रांच के सोर्सेज का कहना है कि पर मंथ 200 से अधिक पिस्टल इलाहाबाद लाई जाती हैं। एक बार में कैरियर पांच से 10 पिस्टल तक लाता है। कैरियर प्रतापगढ़ जेल में बंद अली अहमद के गुर्गो को पिस्टल पहुंचा देता है। एक ट्रिप पर कैरियर को पांच हजार से 10 हजार रुपए तक मिलते हैं। 10 से 15 हजार रुपए तक में खरीदी गई पिस्टल आसानी से 25 हजार रुपए तक में बिक जाती है। जिस पिस्टल पर मेड इन यूएसए लिखा होता है, उसके लिए तो लोग 50 हजार रुपए तक देने को तैयार हो जाते हैं। पिस्टल की फिनिशिंग इतनी जबर्दस्त होती है कि आम आदमी तो क्या पुलिस वाले भी नहीं बता सकते कि यह मुंगेर में बनी है।

एडवांस होती है बुकिंग

एसटीएफ सूत्रों का कहना है कि पिस्टल तभी मंगवाई जाती है, जब डिमांड होती है। खरीदार पहले रुपए जमा करते हैं। जब रुपए मुंगेर के सौदागार के एकाउंट में ट्रांसफर हो जाते हैं तो इलाहाबाद से कैरियर रवाना होता है। आर्डर देने के छह से सात दिन के भीतर असलहे इलाहाबाद पहुंच जाते हैं। पिस्टल किसको देनी है, यह तक अली बताता है। हर पिस्टल पर उसको बैठे बिठाए 10 हजार रुपए तक मिल जाते हैं। हर पिस्टल के साथ दो कारतूस टेस्ट फायर के लिए फ्री दिए जाते हैं। बाकी के लिए अलग से रुपए लिए जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि अधिकांश लोग पिस्टल शौक पूरा करने के लिए खरीदते हैं। फायर तो केवल शादियों का किसी फंक्शन पर ही किए जाते हैं।

पूरे जिले में हैं खरीदार

मुंगेर के असलहों के खरीदार पूरे जिले में है। एसटीएफ को पता चला है कि पिस्टल सिटी, गंगापार व यमुनापार के कई कारोबारियों को बेची गई हैं। खरीदारों में कई स्टूडेंट लीडर, ग्राम प्रधान व उनके रिश्तेदार भी शामिल हैं। लास्ट ईयर 25 अगस्त, 14 सितंबर व नौ नवंबर को तीन बड़ी खेप पकड़ी गई थी। बीच में सख्ती बढ़ी तो तस्करी कुछ दिन के लिए रुकी लेकिन ढील मिलते ही धंधा फिर से शुरू हो गया। बुधवार को पकड़े गए लालापुर के मनोज निषाद के बारे में ही बताया गया है कि वह अब तक 50 से अधिक पिस्टल इलाहाबाद पहुंचा चुका है। पिस्टल के साथ ही रिवाल्वर की भी डिमांड है। अब एसटीएफ सौदागरों के साथ ही खरीदारों पर भी फंदा कसने की तैयारी कर रही है। इस मामले में कुछ अरेस्टिंग भी हो सकती है।

एसटीएफ की जांच जारी है। असलहों को लाने, बेचने वालों व खरीदारों के नेटवर्क के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

प्रवीण सिंह चौहान, सीओ एसटीएफ

पिस्टल का कारोबार

10 हजार रुपए तक में मुंगेर में मिलती है पिस्टल

20 से 25 हजार रुपए में पिस्टल बिकती है इलाहाबाद में

10 हजार रुपए तक मुनाफा कमाते हैं सौदागर

50 हजार रुपए तक में बिकती है मेड इन यूएसए लिखी पिस्टल

20 से 25 हजार रुपए देने पड़ते हैं रिवाल्वर के लिए

5 हजार रुपए हर ट्रिप के मिलते हैं कैरियर को

घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लेते हैं एजेंट