शहर की हालत ठीक नहीं होगी

जो भी हो, दोनों ही सूरत में शहर की हालत ठीक नहीं होगी। यह बॉइलॉज अगर नए कंस्ट्रक्शन से शुरू होता है, तो फिर पटना में इसका कोई खास असर नहीं दिख पाएगा, क्योंकि पिछले आठ सालों में जिस तेजी से और जैसे-तैसे कंस्ट्रक्शन हुआ है। उसके बाद कोई रास्ता अर्बन डिपार्टमेंट के पास नहीं बचता है कि वो कागजी बाइलॉज को पटना में ग्राउंड लेवल पर ला पाए। शहर के इंटरनल कंडीशन काफी खराब हो चुके हैं। सीवरेज, सप्लाय वाटर सिस्टम जैसी चीजें काम नहीं कर पायी हैं। इंजीनियर विजय कुमार ने बताया कि गलियों में अपार्टमेंट का निर्माण हो चुका है। एक छोटे घर की जगह पर मल्टी स्टोरे बिल्डिंग बन चुकी है। मोहल्ले के बीच में होटल बन चुके हैं। खास इमारत के चारों तरफ बहुमंजिली बिल्डिंग का निर्माण हुए कई साल बीत चुके हैं।

गलियों में बसा एक बड़ा शहर

बिल्डिंग बाइलॉज आमलोगों के बीच पहुंचने तक पटना पूरी तरह गलियों में तैयार हो चुका है। गलियों के बीच से होते हुए बहुमंजिली इमारत और सामने सड़कों पर बेतरतीब पार्किंग अब आम बात हो चुकी है। यह पुरानी बात है, पर चार सालों में हुए इलिगल कंस्ट्रक्शन ने तो बचा-बचाया सारा रास्ता ही बंद कर दिया है। मोहल्ले के एंट्री से लेकर एग्जिट प्वाइंट, पेट्रोल पंप से दूरी जैसी चीजों पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। बिल्डिंग की लंबाई और सड़क की चौड़ाई तक पर नजर नहीं रखा गया। आर्किटेक्चर्स ने सारे नियम को ताक पर रखकर यह पूरा खेल खेला और गवर्नमेंट देखते रह गयी। इंजीनियर विजय ने बताया कि अब जब सरकार जगी है तो यह अन्य जगहों के लिए फायदा पहुंचा सकता है।

इन हिस्सों से बने शहर को क्या कहेंगे?

पटना सिटी से कारगिल चौक तक का पुराना शहर आज लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। जाम और कचरे से इन एरिया की हालत बुरी है। नर्सिंग होम से लेकर हॉस्पीटल, घनी आबादी के बीच पेट्रोल पंप, हेरिटेज बिल्डिंग के बगल में कंस्ट्रक्शन सबकुछ हो चुके हैं।

गलियों में बसते चले गए घर और मार्केट

सैदपुर, नाला रोड, कदमकुआं, भट्टाचार्या रोड, न्यू डाकबंगला, एक्जीबिशन रोड, सब्जीबाग जैसे एरियाज में इलिगल कंस्ट्रक्शन से लेकर जरुरी सप्लाय तक प्रोपर नहीं हो पाता है। इन एरिया में अपार्टमेंट के बीच की दूरी नहीं के बराबर है। सैदपुर के शंकर चौधरी ने बताया कि गवर्नमेंट की जब तक नींद खुली है, तब तक सबकुछ हो चुका है।

बेली रोड के बाद सबसे अधिक कंस्ट्रक्शन

कंकड़बाग, हनुमान नगर, मलाही पकड़ी, डॉक्टर्स कॉलोनी, कंकड़बाग मेन रोड, गर्दनीबाग, जगदेव पथ, आशियाना रोड में कंस्ट्रक्शन काफी तेजी से हुआ है। इस दौरान न तो नाला, न ही सीवरेज और न ही आसपास के एरियाज को ही समझा जा रहा है। शिवपुरी, गर्दनीबाग सबसे अधिक कंस्ट्रक्शन हुआ है। अधिकांश जगहों पर घर को तोड़कर अपार्टमेंट बनाए गए हैं, जबकि बाइलॉज के हिसाब से यह अब संभव नहीं होगा।

नहीं था बायलॉज, इसलिए लग रहा जाम

हड़ताली चौक से बोरिंग केनाल रोड, बोरिंग रोड चौराहा, बोरिंग केनाल रोड होते हुए राजापुर, मैनपुरा, महावीर वात्सल्य, कुर्जी मोड़, पीएनएम मॉल, आईआईटी, पाटलिपुत्रा गोलंबर, अल्पनाा मार्केट, पानी टंकी, बोरिंग रोड, बोरिंग रोड चौराहा एरिया में न ही सीवरेज, पीने का पानी, पार्किंग जैसी सुविधा पर ध्यान नहीं दिया गया। शंकर सुमन बताते हैं कि अगर उस टाइम बाइलॉज होता, तो आज ऐसा नहीं होता।

बनता जा रहा है बेतरतीब आशियाना

राजा बाजार के डॉ। रत्नेश बताते हैं कि शेखपुरा, राजाबाजार, आईजीआइएमएस, खाजपुरा, आशियाना, आशियाना मोड़, जगदेव पथ, रूकनपुरा, आरपीएस मोड़, गोला रोड, सगुना मोड़, खगौल और दानापुर के रास्ते पर जो भी कंस्ट्रक्शन हो रहे हैं। सगुना मोड़ एरिया में लोकल से लेकर अपार्टमेंट कंस्ट्रक्शन की हालत काफी बुरी है। एक बड़ी आबादी इन एरियाज में शिफ्ट कर चुकी है, जबकि न सड़क, न रास्ता, न पानी की सुविधा और न ही ड्रेनेज की व्यवस्था है।

डॉक्टर से पैदल जाएं दिखाने

शहर में किसी नर्सिंग होम या क्लिनिक के आसपास पार्किंग स्पेस नहीं है। सुमन पांडेय ने बताया कि कई बार पुलिस और आसपास के लोगों से गाड़ी पार्क करने के नाम पर मारपीट तक हो जाती है। कंकड़बाग, अशोक रापजथ, बोरिंग रोड, राजाबाजार के नर्सिंग होम की हालत काफी खराब है। गलियों की दवा मंडी जीएम रोड बेतरतीब जाम, इलिगल कंस्ट्रक्शन पर किसी का जोर नहीं है। पटनाइट्स को अपनी गाड़ी पीएमसीएच में पार्क करनी पड़ती है।

होटल-रेस्टोरेंट जाएं, तो सड़क पर लगाएं गाड़ी  

कुमुद रंजन ने बताया कि यही नहीं पीएनएम मॉल से लेकर शहर के छोटे-बड़े होटल या रेस्टोरेंट की हालत तो और भी खराब है। सामने तिनके भर की भी जगह नहीं छोडऩे की वजह से जहां-तहां गाड़ी पार्क करनी होती है। ग्रीनरी पर यहां कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। बोरिंग रोड टू पाटलिपुत्रा, बोरिंग रोड टू राजापुर पुल एक उदाहरण है। राजाबाजार एरिया में होटल का कचरा भी सड़क पर ही फेंक दिया जाता है।

कोचिंग वाले भी नॉम्र्स को नहीं करते फॉलो

कंस्ट्रक्शन फील्ड में कोचिंग-इंस्टीच्यूट किसी से पीछे नहीं है। बड़ी-छोटी बिल्डिंग किसी भी नॉम्र्स को फॉलो नहीं करती है। बाजार समिति, कंकड़बाग, बोरिंग केनाल रोड, पाटलिपुत्रा सहित कई जगहों पर सैकड़ों की संख्या में सड़क स्टूडेंट की गाड़ी और साइकिल से इंक्रॉच्ड रहती है।

जब सजती है दुकान, तो लगता है जाम

अंटा घाट से लेकर मीठापुर मंडी, गर्दनीबाग बाजार, अनीसाबाद मार्केट, राजाबाजार, शिवपुरी मार्केट, पुनाईचक मार्केट की हालत काफी खास्ता हाल है। मार्केट लगने के साथ ही पूरा एरिया जाम से भर जाता है। इंजीनियर कुमार आनंद ने बताया कि इसके लिए प्लानिंग जरूरी है।

जो पुरानी बिल्डिंग बन चुकी है, उसका क्या होगा। नॉम्र्स तो सबके लिए लागू होगा। पार्किंग और इलिगल कंस्ट्रक्शन पर रोक तो हर हालत में लगनी चाहिए।

डॉ। राहुल कुमार

डायरेक्टर, सक्षम

आमलोगों को बिल्डर के कैटेगरी में नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि वे लोग छोटी जगहों पर भी छोटे कंस्ट्रक्शन करके रह लेते है। इनके कंस्ट्रक्शन पर उतनी सख्ती नहीं होनी चाहिए।

अनुग्रह नारायण सिंह

बिजनेसमैन

लोगों की राय सिर्फ गिने-चुने नहीं होनी चाहिए, जब इतना समय लगा है तो और लगे। नियम ऐसा होना चाहिए कि आम लोगों के लिए लचीला हो तो गलत करने वालों के लिए सख्त।

रोहन राज

स्टूडेंट