सफाई इंस्पेक्टर से लेकर अपर नगर आयुक्त के पद पड़े हैं खाली

शिकायतों पर चक्कर लगा रहे लोग, गंदगी पर निगम पहुंचे फरियादी

BAREILLY:

समय के साथ ही नगर निगम भी अपनी सीमाओं का दायरा बढ़ा रहा है। शासन को 64 गांवों का नगर निगम सीमा में शामिल किए जाने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। प्रस्ताव पर मुहर लगते ही निगम पहले से बड़ा हो जाएगा। इसी के साथ निगम की आबादी भी बढ़ जाएगी और इनको मुहैया होने वाली जनसुविधाओं की जिम्मेदारी भी। लेकिन जब जिम्मेदार ही न रहें, तो जिम्मेदारी कैसे पूरी हो। नगर निगम के साइज में बढ़ोतरी के साथ ही इसके स्टाफ में जबरदस्त कमी आ रही। कर्मचारियों समेत अधिकारियों की संख्या में जबरदस्त टोटा पड़ गया है। जिसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। अधिकारियों की कमी के चलते जनता की शिकायतों की सुनवाई में ही देरी हो रही।

टॉप कटेगरी में ही टोटा

नगर निगम में टॉप कटेगरी से ही आला अधिकारियों की जबरदस्त कमी है। निगम में नगर आयुक्त के बाद अपर नगर आयुक्त के दो पद, उपनगर आयुक्त के दो पद और सहायक नगर आयुक्त के दो पद समेत कुल 6 पद हैं। लेकिन निगम में अपर नगर आयुक्त के दोनों पद खाली पड़े हैं। उप नगर आयुक्त के दो पद में से एक पर ईश शक्ति कुमार सिंह के रूप में तैनाती है। उन्हें प्रभारी अपर नगर आयुक्त का जिम्मा दिया गया है। वहीं सहायक नगर आयुक्त के दो पद भी मौजूदा समय में खाली है। निशा मिश्र पिछले करीब सवा साल से छुट्टी पर है। जबकि विकास सेन का चंदौसी नगर पालिका में तबादला हो गया है।

सफाई विभाग में सफाई

निगम का स्वास्थ्य विभाग सबसे अहम है। शहर की सफाई व्यवस्था इसी विभाग पर टिकी है। लेकिन यह विभाग खुद खालीपन का शिकार है। विभाग में जोनल सेनेट्री ऑफिसर का पद डेढ़ साल से खाली पड़ा है। वहीं सफाई इंस्पेक्टर्स के 10 पद हैं, लेकिन सिर्फ 5 पर ही तैनाती है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी के अलाव सिर्फ एक चीफ सेनेट्री इंस्पेक्टर व 5 सफाई इंस्पेक्टर्स ही बरेली शहर की सफाई व्यवस्था किसी तरह देख रहे। वहीं सफाई कर्मियों की तादाद में भी पिछले 10 साल में 30 फीसदी की कमी आई है। इसके चलते ही निगम में सबसे ज्यादा शिकायतें सफाई और गंदगी को लेकर पहुंचती है। जिनमें देरी से सुनवाई पर जनता निगम का घेराव करता है।

टैक्स वसूली-निर्माण में पिछड़े

निगम का टैक्स, निर्माण व जलकल विभाग भी अधिकारियों व स्टाफ की कमी की मार झेल रहा। टैक्स विभाग में करदाताओं से वसूली के लिए 14 टैक्स इंस्पेक्टर्स के पद पिछले कई साल से खाली पड़े हैं। जिसके चलते वसूली में निगम पिछड़ा रहता है। वहीं निर्माण विभाग में एक्सईएन के दोनों पद खाली पड़े हैं। एई गयूर अहमद को प्रभारी एक्सईएन का चार्ज देकर काम चलाया जा रहा। यही हाल जलकल विभाग का भी है। जलकल में 5 जेई के पद पर महज एक पर ही तैनाती है। इसके चलते पानी की लाइन फटने, पानी की किल्लत, नई पेयजल योजना से जुड़े निर्माण कार्यो की मॉनीटरिंग बुरी तरह प्रभावित रहती है।

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जनता लगाए निगम में हुंकार

सड़क निर्माण, गंदगी, टैक्स में गड़बड़ी और पानी की दिक्कत जैसे मुद्दे पर आए दिन जनता निगम में विरोध जताती है। अधिकारियों व स्टाफ की कमी के चलते जन समस्याओं पर देरी से काम होते हैं। अक्सर अधिकारी भी काम का बोझ ज्यादा होने का हवाला देकर जनता की समस्याओं का डिस्पोजल करने में समय लेते है। इसका खामियाजा जनता ही भुगत रही। सैटरडे को हजियापुर में मेडिकल कॉलेज के लिए चिह्नित जमीन पर मनाही के बावजूद कूड़ा फेंकने पर लोगों ने मेयर डॉ। आईएस तोमर का घेराव कर लिया। वहीं महेशपुरा में 500 मीटर लंबी सड़क पर जगह जगह एक से डेढ़ फीट गहरे गड्ढे होने से जलभराव व गंदगी की शिकायत लेकर पब्लिक निगम पहुंची। दोनों ही मामलों में कई बार कंप्लेन होने के बावजूद कार्यवाही न होने पर हंगामा हुआ।

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नगर निगम अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है। हर विभाग में अधिकारी व कर्मचारी मूल पद से कम रह गए हैं। शासन को इस बारे में अवगत कराया है। हम मौजूदा स्टाफ से मैक्सिमम काम कराने की कोशिश कर रहे।

- शीलधर सिंह यादव, नगर आयुक्त