अप्रैल से जून 2016 तक पहली तिमाही में करदाताओं ने दिए 8.22 करोड़ रु

2015-16 की पहली तिमाही से 7 करोड़ ज्यादा, वसूली अभियान ठंडे बस्ते में

BAREILLY:

पिछले साल तमाम जागरुकता कार्यक्रम के बावजूद टैक्स जमा करने में आनाकानी करने वाली शहर की जनता इस बार बदले बदले रंग में नजर आ रही। फाइनेंशियल ईयर 2016-17 में टैक्स चुकाने के मामले में शहर के करदाता पहले से ज्यादा जिम्मेदार हुए हैं। नगर निगम की ओर से टैक्स वसूली अभियान चलाए बिना ही शहर के करीब 11 हजार करदाताओं ने 8.22 करोड़ रुपए से ज्यादा का टैक्स नगर निगम जाकर जमा कर दिया है। यह आंकड़ा इस फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही 1 अप्रैल से 30 जून तक का है। खास बात यह है कि नगर निगम टैक्स विभाग की लापरवाही और वसूली अभियान शुरू न करने के बावजूद टैक्स का ग्राफ पिछले साल की पहली तिमाही से करीब सात करोड़ रुपए ज्यादा है।

पहले से 7 गुना ज्यादा

नगर निगम में करदाताओं के लिए सेल्फ असेसमेंट सिस्टम लागू किया गया है। जिसमें करदाताओं को खुद से ही अपने भवन की नाप कर टैक्स कैलकुलेट कर निगम में जमा करना होता है। लेकिन शहर की 5 फीसदी जनता भी इस टैक्स सिस्टम को फॉलो नहीं करती। साल 2015-16 की पहली तिमाही 1 अप्रैल से 30 जून तक निगम को 1,23,19,870 रुपए की टैक्स वसूली हुई थी। वहीं इस साल की पहली तिमाही में ही निगम को 8,22,33,387 रुपए बतौर टैक्स मिल गए। जो पिछले साल की पहली तिमाही के मुकाबले कुल 6,99,13,967 रुपए ज्यादा है। जो करीब 7 गुना ज्यादा है।

टारगेट से भी दोगुना

पिछले साल नगर निगम ने लेटलतीफी से शुरू हुए वसूली अभियान के बावजूद करीब 55 करोड़ रुपए का टैक्स व रेंट कलेक्ट किया था। इस बार निगम ने सिर्फ करदाताओं से ही वसूले जाने वाले टैक्स की डिमांड 28.73 करोड़ रुपए तय की। पहली तिमाही में डिमांड के मुताबिक 15 परसेंट के हिसाब से 4.30 करोड़ का टारगेट रखा गया। इस वसूली को पाने के लिए निगम ने पहले 15 फीसदी और फिर 10 फीसद की छूट दी। करदाताओं ने भी छूट का फायदा उठाते हुए टैक्स अदा करने की जिम्मेदारी समझी और 30 जून तक निगम के खजाने में 8.22 करोड़ जमा किए। जो टारगेट के मुकाबले करीब दो गुना ज्यादा रहा।

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शुरुआत बेहतर, लेिकन अधूरी

आंकड़ों के हिसाब से नगर निगम के लिए पहली तिमाही में करदाताओं से मिला रिस्पांस बेहतर दिखता है। लेकिन 15 और फिर 10 फीसदी की छूट को देखते हुए मेयर डॉ। आईएस तोमर व नगर आयुक्त शीलधर सिंह यादव को इससे ज्यादा टैक्स वसूली की उम्मीद थी। निगम की ओर से अप्रैल में ही बड़े बकाएदारों से वसूली अभियान शुरू करने पर टैक्स का ग्राफ कहीं अधिक होता। शासन की ओर से निकायों को अपनी आमदनी के सोर्सेज बढ़ाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। वहीं स्मार्ट सिटी मिशन में भी साफ गाइडलाइंस हैं कि निकायों को डेवलेपेंट के लिए इनकम बढ़ाने और आत्म आर्थिक रूप से आत्म निर्भर होना पड़ेगा। इस लिहाज से निगम को अपने 1.42 लाख करदाताओं से टैक्स वसूली के लिए पहले से ही प्लानिंग और एक्शन लेना जरूरी है।

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