एजुकेटेड क्लास ने इंट्रेस्ट नहीं दिखाया

शहर में सिविक एमेनिटीज की कर्ता धर्ता लोकल बॉडी, नगर निगम के इलेक्शन में जिले के सबसे एजुकेटेड क्लास ने इंट्रेस्ट नहीं दिखाया। सुबह सात बजे कूल वेदर के बावजूद वोटिंग की शुरुआत बेहद कोल्ड रही। वोटर लिस्ट में गड़बड़ी, फर्जी वोटिंग और मारपीट की कुछ घटनाओं के साथ शाम छह बजे तक करीब 39 वोटिंग ही हो सकी। मॉर्निंग नौ बजे 70 वार्डो में आठ परसेंट वोट ही पोल हुए थे। 11 बजे यह आंकड़ा 16 परसेंट, एक बजे 25 परसेंट, तीन बजे 32 परसेंट और पांच बजे 37.4 परसेंट तक पहुंच सका। वोटिंग खत्म होने के बाद टोटल परसेंटेज 39 परसेंट तक सिमट तक रह गया।

पिछली दफा से वोटर ज्यादा, पोलिंग कम

ईयर 2006 में हुए मेयर इलेक्शन में अंजू चौधरी टोटल पोल्ड वोट्स का 50.53 परसेंट वोट पाकर चुनाव जीती थीं। यदि जीत का लगभग परसेंटेज वहीं माना जाए तो इस बार इस बार एक लाख 56 हजार से अधिक वोट पाने वाला कैंडीडेट मेयर की चेयर हासिल कर लेगा लेकिन उसे गोरखपुर के केवल 20 परसेंट वोटर्स का समर्थन ही हासिल रहेगा। इसका सीधा मतलब निकलता है कि अगले पांच सालों के लिए गोरखपुर सिटी के हाईजीन एंड सैनिटेशन, ड्रिंकिंग वाटर, सड़क, बिजली, स्ट्रीट लाइट्स, ब्यूटीफिकेशन, गारबेज मैनेजमेंट और दूसरी सिविल एमेनिटीज पर डिसीजन लेने के लिए जिस नेता के हाथ में पावर होगा उसे शहर के 100 में से 80 लोग नहीं चुने होंगे। रिजल्ट जो भी हो लेकिन इस चुनाव के बाद गोरखपुर के हालात में इंप्रूवमेंट और इसके डेवलपमेंट को लेकर गोरखपुराइट्स की नीयत का साफ पता चल जाता है। कुल मिलाकर सिटी के लिए बेहद इंपार्टेर्ट इस इलेक्शन में गोरखपुराइट्स फेल हुए हैं।

50 परसेंट से ज्यादा लोगों ने आशा देवी को चुना था

वेंस्डे को नगर निगम इलेक्शन ओवर होने के साथ ही एक नया इतिहास बन गया। गोरखपुर नगर निगम के इलेक्शन हिस्ट्री में वेंस्डे को सबसे कम वोटिंग परसेंटेज रिकॉर्ड किया गया। ईयर 1989 में नगर निगम बनने के बाद कांग्रेस के पवन बथवाल को पार्षदों ने ही मेयर चुना था यानि उनका सीधा चुनाव नहीं हुआ था। इसके बाद 1995 के इलेक्शन में बीजेपी के राजेंद्र शर्मा नगर प्रमुख बने थे और बकौल शर्मा 1995 में 60 परसेंट वोट पड़े थे। ईयर 2000 में गोरखपुर की जनता ने पॉलीटीसियंस के खिलाफ निगेटिव वोटिंग की थी और निर्दल आशा देवी उर्फ अमरनाथ को मेयर बनाने के लिए 50 परसेंट से अधिक लोग बूथों तक पहुंचे थे। इसके बाद ईयर 2006 में हुए इलेक्शन में बीजेपी की अंजू चौधरी को मेयर चुना गया था लेकिन करीब 43 परसेंट लोगों ने ही वोट डाले थे। इन सबसे आगे जाते हुए इस बार के इलेक्शन में नगर निगम के केवल 38.3 परसेंट वोटर्स ने ही वोट डालना जरूरी समझा।