यह था मामला
20 सितंबर 2013 को कुख्यात योगेश भदौड़ा के भाई प्रमोद भदौड़ा के बेटे अजय उर्फ चीनू की कंकरखेड़ा के दुपहिया रोड पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मृतक अजय की मां ग्राम प्रधान कविता की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। जिसमें रोहटा के ब्लाक प्रमुख बिजेंद्र झिझोंकर, उसके भाई सतेंद्र और भदौड़ा सरुरपुर के रहने वाले सुशील फौजी व कृष्णपाल को नामजद किया गया था। वहीं अजय की हत्या के बीस दिन बाद कृष्णपाल के बेटे कपिल की हत्या भी कर दी गई थी.

कातिल आया सामने
इस हत्या में मृतक के परिजनों की ओर से योगेश भदौड़ा परिवार के लोगों को नामजद किया गया था। इसके बाद पुलिस ने काम करना शुरू किया और अजय की हत्या की जांच में सुशील फौजी, सिपाही रोहताश के बेटे अंकुर और उसके दोस्त मनीष का नाम सामने आया था। जिसमें आरोपी सुशील फौजी और अंकुर के वारंट जारी किए गए थे। शातिर सुशील फौजी ने अजय की हत्या का राज ना खुले इसलिए बागपत के मनीष को भी अजय के कत्ल के चंद घंटो बाद मौत के घाट उतार दिया था.

कोर्ट में हो गया सरेंडर
इसके बाद सुशील फौजी दो हत्याओं में वांटेड चल रहा था । पुलिस को जब पता चला कि सुशील सेना में फौजी है और श्रीनगर में तैनात है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए सेना को लेटर लिखकर भेजा था। जिसके आधार पर सेना के जवान सुशील फौजी को लेकर श्रीनगर से सीधे एसीजेएम कोर्ट में पहुंचे। जहां उसको पेश किया गया। कोर्ट ने इस बारे में जानकारी के लिए एसओ कंकरखेड़ा महावीर सिंह को बुलाया। जिसमें जानकारी के बाद सुनवाई हुई और सुशील फौजी को सीधे जेल भेज दिया गया.

दिल्ली से पहुंचा श्रीनगर

पुलिस के अनुसार सुशील फौजी की पिछले दो माह से तलाश थी। उसका मोबाइल नंबर भी सर्विलांस पर लिया हुआ था। इसके साथ ही सेना के अफसरों से भी संपर्क किया गया था। बताया गया कि जिस समय अजय भदौड़ा उर्फ चीनू की हत्या हुई थी उस समय सुशील फौजी दिल्ली में तैनात था। इसके बाद उसका ट्रांसफर श्रीनगर हो गया। इस हत्याकांड में सेना ने अपने स्तर पर जांच करने के बाद ही सुशील को सरेंडर कराया। जिसमें उसने दिल्ली में ऑन ड्यूटी होते हुए अजय उर्फ चीनू की हत्या को अंजाम दिया था.