कर्जदार बना रहे थे मनोज पर जमीन बेचने का प्रेशर, पिता थे खिलाफ
घर के भीतर मिले लोगों के अलावा कोई नहीं गया था बाहर से
मनोज का पत्नी और बच्चों से मोह इस कदर क्यों भंग हो गया कि उसने चारों की हत्या के बाद खुद फांसी लगाने का फैसला ले लिया? यह सवाल शाहउर पीपलगांव मोहल्ले के हर सख्श की जबान पर था। पुलिस भी इसी सवाल का जवाब ढूंढने में लगी थी। थोड़ा-थोड़ा हिंट मिला लेकिन पूरा कारण नहीं। इस हिंट को बेस बनाकर घटना की तह तक पहुंचने की कोशिश में लगी पुलिस इसे वेरीफाई करने में लगी है। इसी के चलते पुलिस अफसर इस पर कुछ भी बोलने से साफ कतरा गये। पत्रकारों के सवालों को यह कहते हुए टाल दिया कि जांच के बात ही हत्या और उसका कारण पता चल सकेगा।
अच्छी खासी सम्पत्ति है परिवार के पास
मनोज के परिवार का कोई सदस्य किसी जॉब में नहीं है लेकिन इस परिवार के पास पुश्तैनी जमीन अच्छी मात्रा में है। पिता ने किसाने करते हुए तीनो बच्चों को जोड़कर रखा। मनोज और गोपाल खेती में उनका हाथ बंटाते थे। इससे होने वाली आय इतनी थी कि पूरा परिवार हंसते-खेलते वक्त बिताये। उनका एक मंजिल का मकान लम्बे-चौड़े हिस्से में बना हुआ है। यह इस परिवार की समृद्धि को बयां करता है। इसे देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि इस परिवार को कोई आर्थिक तंगी रही होगी।
घर में कोई बाहरी नहीं घुसा
देर रात मीडिया के सामने आए एसएसपी नितिन तिवारी ने बताया कि घर चारों तरफ से पैक है। पुलिस दरवाजा तोड़कर घर के भीतर पहुंची। घर के भीतर का हिस्सा खंगालने पर पता चला कि सब बंद है। उनका कहना था कि इससे स्पष्ट है कि कोई बाहरी घर के भीतर नहीं आया। उन्होंने कहा कि श्वेता और उसके तीनो बच्चों पर किसी धारदार हथियार से वार किये जाने के निशान नहीं हैं। जमीन पर पड़ी मिली बच्ची की नाक से खून निकल रहा था। आशंका है कि सभी को गला दबाकर मारा गया है। इसकी पुष्टि के लिए बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने जाने के बाद स्थिति पूरी तरह से साफ हो जाएगी कि हत्या कैसे की गयी।
खेतों पर लग गयी थी किसी की नजर
मनोज के पिता गुलाब चंद के पास खेतिहर जमीन ज्यादा है। इलाका शहर से लगा हुआ है इससे जमीन का रेट भी ज्यादा है और डिमांड भी है। मौके पर जुटे स्थानीय लोगों ने बताया कि मनोज की संगत खराब हो गयी थी। वह शराब के साथ जुए का आदी हो गया था। इस चक्कर में उस पर कर्ज का बोझ बढ़ गया था। कर्जदार उस पर पैसा चुकाने के लिए प्रेशर बना रहे थे। इसके लिए वह कुछ जमीन बेचना चाहता था। बंटवारा न होने से जमीन बेचना मुश्किल हो रहा था तो उस पर दबाव बढ़ने लगा था। प्रथम दृष्टया इसे ही इस वीभत्स कांड का कारण माना जा रहा है।
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चार की मौत का पता कैसे नहीं चला
हत्या का एक और कारण गोपाल की पत्नी की खामोशी पैदा करती है।
इस पर कोई एक शब्द भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं था
पुलिस वालों को भी यह प्वाइंट खटक रहा था
मकान के सभी कमरे एक-दूसरे से लगे हुए हैं
एक कमरे से दूसरे कमरे के बीच की दूरी इतनी नहीं है कि चीख सुनी न जाय
शाम के समय कोई इतनी गहरी नींद में कैसे हो सकता है कि उसे चार हत्याएं हो जाए और पता भी न चले
घटना शाम छह से रात आठ बजे के बीच होने का अंदेशा जताया जा रहा है
इस वक्त गोपाल की पत्नी को इतनी गहरी नींद कैसे आ गयी कि घर में चार हत्या का उसे पता ही नहीं चला।
पत्नी के साथ बच्चे भी गला दबाने पर चीखे और छटपटाएं होंगे
उन्हें फ्रिज में आलमारी में या सूटकेस में रखने के दौरान खटपट हुई होगी, उसका भी पता गोपाल की पत्नी को कैसे नहीं लगा
परिवार के लोग दरवाजा पीट रहे थे तब भी गोपाल की पत्नी की नींद कैसे नहीं खुली
दरवाजा तोड़ते समय भी उसने कोई खटपट नहीं सुनी, यह आश्चर्यजनक है
इन सवालों से गोपाल की पत्नी भी पुलिस के रडार पर आ गयी है।