-दून के मशरूम की दिल्ली तक डिमांड

-मशरूम उत्पादक नए उत्पादकों की करेंगे मदद

DEHRADUN: युवाओं व महिलाओं के लिए मशरूम की खेती बेहतर रोजगार का जरिया बन सकता है। यही वजह है कि अब बी-टेक पास आउट व मर्चेट नेवी तक के अधिकारी रिटायरमेंट के बाद मशरूम उत्पादन में दिलचस्पी ले रहे हैं। खास बात यह है कि जिन किसानों ने मशरूम उत्पादन में सफलता हासिल की है, वे हर माह न केवल अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं, बल्कि दून को मशरूम हब बनाने के लिए प्रयासरत हैं। यही वजह है कि मशरूम की डिमांड अब दिल्ली व यूपी के तमाम शहरों तक से आ रही है।

मशरूम हब बनाने के प्रयास होंगे

कुछ सालों पहले तक दून में दूसरे राज्यों का मशरूम सब्जी मंडियों में उपलब्ध होता था। लेकिन दून के कई किसानों की मेहनत रंग लाई है। अब खुद दून में सैकड़ों किलोग्राम का मशरूम उत्पादन हो रहा है और खुद किसान हर माह हजारों की कमाई कर रहे हैं। मशरूम उत्पादन में बढ़ते रोजगार व आमदनी को देखते हुए अब खुद मशरूम उत्पादक एक जुट होकर दून को एजुकेशन हब की तर्ज पर मशरूम हब दिलाने के प्रयास पर जुट गए हैं। इसी क्रम में रविवार को बालावाला में तमाम युवा व महिला मशरूम उत्पादक एकत्रित हुए। बैठक में निर्णय लिया गया कि जल्द ही एक मशरूम समूह तैयार किया जाए। यह मशरूम समूह उन मशरूम उत्पादकों की यथासंभव मदद करेगा, जो इस क्षेत्र में या तो नए हैं या फिर वे उत्पादन के क्षेत्र में काम करना चाह रहे हैं।

निशुल्क तकनीक देंगे उत्पादक

पिछले कई सालों से मशरूम उत्पादन में आगे रहने वाले पूर्व सैनिक विवेक उनियाल के नेतृत्व में बैठक संपन्न हुई। जिसमें दीपक उपाध्याय, कुमुद विजलवाण, सुषमा नेगी, उज्ज्वल सिंह, कृष्णा रावत आदि ने भाग लिया। मशरूम उत्पादक किसान विवेक उनियाल के मुताबिक उनके पास बी-टेक तक के युवा व मर्चेट नेवी तक के सेवानिवृत्त अधिकारी मशरूम उत्पादन के गुर सीखने पहुंच रहे हैं। बैठक में निर्णय लिया गया कि जो मशरूम उत्पादन करना चाहे रहे हैं, उन्हें मशरूम समूह निशुल्क तकनीक उपलब्ध कराएगा।

-दून में डोईवाला, नकरौंदा, बालावाला, मियांवाला, नथुवाला व रानीपोखरी आदि क्षेत्रों में हो रहा मशरूम का उत्पादन।

-दून में फिलहाल तीन वेराइटीज मिल्की, ढींगरी व बटन मशरूम का हो रहा है उत्पादन।

-दिल्ली से सबसे ज्यादा आ रही दून के मशरूम की डिमांड।

-एक कुंतल भूसा में दो महीने के भीतर हो सकता है क्0 हजार रुपए का मशरूम।

-मशरूम उत्पादन में केवल टेंप्रेचर व ह्यूमिडिटी का रखना होता है ख्याल।

-असल में मशरूम उत्पादन के लिए सितंबर से शुरू हो जाता है सीजन।

-आयुर्वेद में मशरूम को आयुर्वेद मेडिसीन का दिया जा चुका है दर्जा।

-मशरूम शुगर व कॉलेस्ट्रोल के लिए साबित हो सकता है रामबाण।

-मशरूम के उत्पादन के लिए सुदूरवर्ती जिले गोपेश्वर तक से पहुंच रहे युवा।