BAREILLY :

तीन तलाक और हलाला के बीच खुला के हक की मांग ने मुस्लिम धर्म गुरुओं के बीच खलबली मचा दी है। क्योंकि लोग तीन तलाक से वाकिफ तो हैं, लेकिन खुला को पर्दे में रखा गया। या फिर कहें कि मुस्लिम महिलाओं को उनके हक से वंचित करके रखा गया है। आम आवाज ऑर्गेनाइजेशन की संस्थापक फहीमा यासमीन ने पति को तलाक दिये जाने यानि खुला का हक महिलाओं को दिये जाने का मसला उठाया था। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने खुला पर चर्चा के लिए जब शहर के कई मुफ्ती और मौलानाओं से बात की, तो वह इस बारे में ऑन रिकॉर्ड कुछ भी बोलने से मना कर दिए।

इमाम, मौलाना से लेकर कई धर्मगुरु खमोश

खुला को लेकर धर्मगुरुओं की क्या राय है। शरीयत में यदि खुला का हक महिलाओं दिया गया है तो क्या उसे धर्मगुरु उसे लागू भी करा रहे हैं। इन सब सवालों के साथ दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जब शहर के प्रमुख इमाम, मौलानाओं व अन्य धर्म गुरुओं से सम्पर्क साधा तो सभी बड़ी सफाई के साथ खुला पर खुली चर्चा करने से कन्नी काट गए। एक-दो धर्मगुरुओं ने यह जरूर माना कि शरीयत में हुक्म है कि महिला भी अपने पति से तलाक ले सकती है और ऐसा होना भी चाहिए, लेकिन वह इस सवाल पर चुप हो गए जब पूछा गया कि क्या इसका हक महिलाओं को मिल रहा है या मिलेगा। कुछ धर्मगुरुओं ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि तीन तलाक, हलाला और खुला को लेकर जो शोर मचा हुआ है, उससे वह बेहद क्षुब्ध हैं।

इन्होंने चर्चा से िकया इनकार

-शहर काजी से जब इस संबंध में चर्चा की गई तो वह कुछ भी बात करने से मना कर दिए।

-दरगाह अशरफिया के मौलाना राशिद से खुला का जिक्र किया तो वह कहे मुझे कुछ नहीं कहना है।

-मुफ्ती खुर्शीद आलम से फोन पर बात की गई तो कुछ कहने से बचते हुए फोन किसी और को दे दिया, जो कुछ बोल नहीं सका।

-मौलाना शहाबुद्दीन ने खुला को शरीयत में माना लेकिन इससे आगे कुछ भी चर्चा से इनकार कर दिया।

पीएम और सीएम को भेजा ज्ञापन

आम आवाज आग्रेनाइजेंशन की अध्यक्ष फहीमा यासमीन ने इस मामले में पीएम और सीएम से भी महिलाओं को हक दिलाने की बात कही है। वह वह चाहती है कि जिस तरह शौहर महिला को उसकी बगैर मर्जी के तलाक दे सकता है तो महिला क्यों नहीं दे सकती है। महिला को भी उसके अधिकारों और शौहर को तलाक देने का अधिकार हाेना चाहिए।

शौहर नहीं दे रहा तलाक

आम आवाज संस्था की संस्थापक फहीमा यासमीन ने बताया कि पिछले दिनों मोहल्ला जगतपुर मोहल्ला की एक महिला मेरे पास आई थी। उसने बताया कि उसका निकाह छह वर्ष पहले मोहल्ले के ही युवक के साथ हुआ था। उसके एक बेटा है। शौहर शराबी है, और उसके साथ अक्सर मारपीट करता है। जब महिला शौहर से खुला के तहत तलाक मांगती है तो वह स्वीकार नहीं कर रहा है, जिससे महिला परेशान है। महिला जब अपना मामला लेकर आम आवाज संस्था के पास पहुंची तो मैंने उसे न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। इस संबंध में मैंने सीएम से लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से मदद मांगी है।

क्या है खुला

शौहर से तंग आकर पत्नी जब उसके साथ रहना नहीं चाहती है। इसके बाद बाबजूद भी शौहर पत्नी को तलाक न दे, तब ऐसी स्थित में पत्नी अलहदगी हासिल करने के लिए खुला (छुटकारा) ले सकती है।

क्या है तरीका

-खुला के लिए पत्नी शहर के किसी बड़े इस्लामिक संस्थान प्रमुख के पास जाएगी वहां पर प्रार्थना पत्र देगी। जिसमें उसे लिखना होगा कि वह किन कारणों से शौहर से खुला लेना चाहती है। महिला से प्रार्थना पत्र लेने के बाद मुफ्ती या काजी शौहर को तलब करेंगे और उसे बताएंगे कि आपकी पत्नी इन कारणों से अलहदगी चाहती है,और आप अपनी पत्नी को तलाक दे दो। लेकिन इसमें भी पत्नी अलहदगी के लिए शौहर को मेहर की रकम माफ करेगी या फिर कुछ और मुआवजा देगी ये बात दोनों की सहमति पर डिपेंड करती है। मुफ्ती या काजी की मध्यस्थता के साथ दोनों में सहमति अलहदगी करा दी जाती है। इस तरह महिला भी अपने शौहर से खुला का हक ले सकती है।