- मुजफ्फरनगर दंगे पर आयी विष्णु सहाय की रिपोर्ट पर नहीं थम रहा विवाद

- आईपीएस एसोसिएशन उठा रहा सवाल, लेखपाल की भी होती है इंटेलीजेंस की जिम्मेदारी

- रिपोर्ट आ अध्यन करने के बाद कोर्ट की शरण ले सकता है एसोसिएशन

LUCKNOW: मुजफ्फरनगर दंगे पर आयी विष्णु सहाय की रिपोर्ट पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि इस बारे में अभी कोई मीटिंग एसोसिएशन की नहीं हो पायी है लेकिन अंदर ही अंदर इस पर अधिकारियों में आक्रोश है। सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद इस रिपोर्ट को कोर्ट में चैलेंज भी किया जा सकता है।

एक ही अधिकारी क्यों?

दरअसल, एसोसिएशन को सबसे अधिक आक्रोश इस बात का है कि इतने बड़े दंगे के लिए जिसमें 68 लोगों की मौत हुई हो, उसके लिए सिर्फ एक आईपीएस अफसर और एक इंस्पेक्टर कैसे जिम्मेदार हो सकता है? आखिर डीएम, एसडीएम, तहसीलदार, लेखपाल की क्या जिम्मेदारी थी? दंगा चार जिलों में हुआ तो क्या सभी जिलों में हुए दंगे के लिए आईपीएस सुभाष दूबे ही जिम्मेदार हैं?

रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं?

आईपीएस एसोसिएशन के एक सीनियर अफसर ने सवाल उठाया है कि इतने बड़े दंगे में रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अफसरों की जिम्मेदारियों की जांच क्यों नहीं की गयी? उनका कहना है कि ग्रामीण स्तर पर अभिसूचना संकलन की जिम्मेदारी लेखपाल, कानूनगो, नायब तहसीलदार और तहसीलदार की भी होती है। यह जिम्मेदारी लिखा पढ़ी में इन अफसरों को दी जाती है। ऐसे में सिर्फ एक इंस्पेक्टर को ही इसका जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है।

कोर्ट में करेंगे चैलेंज

एसोसिएशन के एक अधिकारी का मानें तो रिपोर्ट के अध्ययन के लिए तीन अफसरों को जिम्मेदारी दी गयी है। इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि किसी दोषी को बचाया जाए। उनका कहना है कि रिपोर्ट में यह भी देखा जाएगा कि जांच में सभी पहलुओं को लिया गया है या नहीं? रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अफसरों के बयान और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में छानबीन की भी गयी है या नहीं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर इस रिपोर्ट को कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा। क्यों कि यह एक न्यायिक आयोग था, इस लिए इसे न्यायालय में ही चैलेंज किया जा सकता है। वहीं एसोसिएशन के अध्यक्ष रंजन द्विवेदी का कहना है कि दशकों बाद इस तरह के दंगे यूपी में हुए। ऐसे में इसकी जांच में सिर्फ एक एसएसपी को दोषी ठहराया जाना न्यायोचित नहीं लगता। उनका कहना है कि एक ऐसे अफसर जिसे एक हफ्ते पहले जिले में माहौल खराब होने के बाद भेजा गया हो, उसे ही पूरे दंगे का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। मेरा मकसद किसी दोषी को बचाना बिल्कुल नहीं है, बाकी लोगों की भी जिम्मेदारी फिक्स होनी चाहिए।