रेलवे लगा रहा भारत स्वच्छता अभियान को पलीता

ट्रेन के कोचों में नहीं होती सफाई, जगह-जगह गंदगी

हर महीने सफाई पर खर्च होते हैं लाखों रुपये

आगरा. एक तरफ रेलवे द्वारा 'मॉय कोच क्लीन' योजना की दुहाई देते नहीं थकता, वहीं उसके कर्मचारी ही उसके इस स्लोगन को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं. इसका एक नजारा मंगलवार दोपहर पौने दो बजे आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला. दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने स्टेशन और ट्रेन के कोच का जायजा लिया. इस दौरान कोचों में हद दर्जे की लापरवाही नजर आयी. पेश है एक रिपोर्ट..

स्थान: आगरा कैंट

समय : दोपहर 1:41 बजे

प्लेटफॉर्म: 6

आगरा कैंट के प्लेटफॉर्म नं एक से छह पर पहुंचते-पहुंचते घड़ी की सुईयों ने डेढ़ बजे का संकेत किया. सूर्य की तपिश अपने चरम पर थी. प्लेटफॉर्म पर पैसेंजर्स के आवागमन का रेला अपने गंतव्य को जाने के लिए इधर-उधर तेज चहलकदमी करते हुए आगे बढ़े जा रहा था. ठेल-ढकेल, खोमचे वाले अपने सामान को पैसेंजर्स को खपाने के लिए कोच के मुख्य द्वार और विन्डो से सटकर खड़े हुए थे. घड़ी की सुईयां तेजी से समय को नापते हुए आगे बढ़ रही थीं. उसी दौरान हम भी प्लेटफॉर्म पर खड़ी ट्रेन के कोच में दाखिल हो गए. कोच के अन्दर का नजारा बेहद चौंकाने वाला था. चारों तरफ कोच में बर्थ सीट के नीचे, इर्द-गिर्द कचरा बिखरा पड़ा था. कोई में सफाई व्यवस्था दूर-दूर तक नजर नहीं आई. वहीं पैसेंजर्स ने डीलक्स टॉयलेट की दीवार को अस्थाई टॉयलेट बना रखा है. पैसेंजर्स दीवार से टॉयलेट करते नजर आए. प्लेटफॉर्म पर पेयजल की व्यवस्था भी मुकम्मल नहीं दिखी. ज्यादातर पैसेंजर्स पानी की पैक्ड बोतल खरीदते नजर आए.

'मॉय कोच क्लीन' को पलीता

हर बार रेलवे में कोच और टॉयलेट की सफाई का मुद्दा प्रमुख रहा है. 12 मार्च 2016 को तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने 'मॉय कोच क्लीन' योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत पैसेंजर्स द्वारा 58888 नम्बर पर मोबाइल से एसएमएस कर कोच में गंदगी की सूचना देने पर कोच की सफाई होने का दावा किया गया था, लेकिन चंद दिनों में योजना बिना प्रसार-प्रचार के अभाव में हवा-हवाई हो गई.

रेलवे की सफाई व्यवस्था पर एक नजर

-रेलवे हर महीने साफ-सफाई पर 13 लाख रुपये से ज्यादा खर्च करता है.

-कोच या ट्रेन में गंदगी फैलाने पर धारा 145 के अन्तर्गत 500 रुपये जुर्माना और जेल का प्रावधान

- ट्रेन में कोच की सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.

स्टेशन का नाम सफाई का प्रकार कंपनी का नाम टेंडर

आगरा कैंट मैकेनाईज्ड क्लीनिंग रैग्स पिकिंग व कचड़ा विशाखा कंपनी 8,24,274

आगरा फोर्ट उपरोक्त उपरोक्त 5,04,,000

मथुरा उपरोक्त उपरोक्त 7,75,000

सर्वे में सामने आई थी कोच में गंदगी की बात, लेकिन किया नजरदांज

रेलवे सूत्रों की मानें तो रेलवे बोर्ड ने गत मार्च-अप्रैल में अपने सभी जोन मंडल में कमर्शियल विभाग के अधिकारियों द्वारा सर्वे करवाया था. रेलवे द्वारा चलाई जा रही सुविधाओं का फीडबैक लेने के लिए यह सर्वे कराया गया था. सर्वे में जो रिपोर्ट सामने आयी, उसमें सबसे बड़ी समस्या गंदगी को लेकर थी. कोच और टॉयलेट में गंदगी की भरमार होती है. ऐसे में पैसेंजर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसी को ध्यान में रखते हुए रेलवे बोर्ड ने कोच मित्र को तैनात करने का फैसला लिया था. मौजूदा समय में 900 जोड़ी ट्रेनों में कोच मित्र तैनात किए जाने का दावा रेलवे का है.

एक ट्रेन में 8-9 कोच मित्र

एक ट्रेन में 8-9 कोच मित्र तैनात होने की बात कही गई थी. .एक कोच मित्र से तीन कोच की जिम्मेदारी संभालने का दावा किया गया था. रेलवे अफसरों का दावा था कि इनके तैनात होने से गंदगी की समस्या से पैसेंजर्स को निजात मिल सकेगी. उनकी एक कंप्लेन पर समस्या का निस्तारण हो सकेगा, लेकिन ये कवायद सफल नहीं हो पा रही है.