मान्यता है कि देवास के महाराजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था लेकिन मंदिर बनने के बाद से ही राजघराने में अशुभ घटनाएँ घटने लगीं. लोकलाइट्स बताते हैं कि यहाँ की राजकुमारी का अफेयर राज्य के सेनापति से था जो राजा को कई पसन्द नहीं था. फिर कुछ ऐसा हुआ कि राजकुमारी की मिस्चीरियस डेथ हो गई और सेनापति ने भी मंदिर में ही सुसाइट कर लिया.
कहा जाता है कि इस सब से मन्दिर अपवित्र हो गया और इसके बाद राजपुरोहित ने राजा को सलाह दी कि मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्ति को यहाँ से हटाकर कहीं और स्थापित कर दिया जाए. इसके बाद राजा ने मूर्ति को पूरे सम्मान के साथ उज्जैन के बडे़ गणेश मंदिर में स्थापित करवा दिया और मूर्ति की रेप्लिका को खाली जगह पर रख दिया गया. लेकिन इसके बाद भी इस मंदिर में होने वाली अजीबोगरीब घटनाओं में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई.
लोकलाइट्स बताते हैं कि इस मंदिर से अजीबोगरीब तरह की आवाजें आती हैं. कभी शेर के दहाड़ने की आवाजें आती हैं तो कभी घंटों का नाद सुनाई देता है. कभी सफेद साड़ी पहने किसी औरत की परछाई घूमती हुई दिखाई देती है. लोगों का कहना है कि दिन ढलने के बाद वे इस मंदिर की ओर रुख करने से डरते हैं.
गांव के लोग बताते है कि कुछ लोगों ने जमीन हड़पने के लिये मन्दिर को गिराने की की कोशिश की मगर उन सभी लोगों के साथ अजीबोगरीब घटनाएँ हुईं. यहाँ काम कर रहे मजदूरों को गुंबद से आग निकलती दिखाई दी. मंदिर को तोड़ने का काम बीच में ही रोक दिया गया. अब यह मंदिर सुनसान पड़ा रहता है.
अब यह कहना कठिन है कि ये सारे किस्से सच हैं या अफवाह पर मंदिर से जुड़े अजीबोगरीब किस्सों के कारण इस मंदिर की सुध कोई नहीं लेता. धीरे-2 यह मन्दिर अब यह खण्डहर में तब्दील होता जा रहा है. लोग आस्था ऐर विश्वासा की वजह से यहाँ दर्शन के लिए तो आते हैं लेकिन डर के चलते वे भी दिन ढलने से पहले ही मंदिर से बाहर निकल जाते हैं.
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