सोमवार को विशेषज्ञ दल ने इस मामले में अपने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि उनके पास लिंग परीक्षण करने वाली तकनीक नहीं है, इसलिए अब इस मामले को किसी और अस्पताल में भेजा जाएगा। यह दूसरा मौका है जब विशेषज्ञ दल की जांच के बावजूद यह पता नहीं चल सका कि पिंकी महिला है या पुरुष।

पेशेवर एथलीट पिंकी पर उसकी ही लिव-इन पार्टनर रही एक तलाकशुदा महिला बलात्कार और शारीरिक अत्याचार का आरोप लगाया है। आरोपों के आधार पर 14 जून को गिरफ्तारी के बाद एक अदालत ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

पिंकी की गिरफ्तारी

गिरफ्तारी के तुरंत बाद उसे जांच के लिए एक निजी नर्सिंग होम में ले जाया गया था। वहां जांच के बाद पिंकी के पुरुष होने का दावा किया गया। हालांकि पिंकी शुरू से ही खुद को बेकसूर बताते हुए इस मामले को अपने खिलाफ साजिश करार दे रही है। पिंकी पुरुष है या महिला, इस मसले पर 29 जून को अदालत में रिपोर्ट पेश की जानी है।

पिछले सप्ताह 19 जून को उत्तर 24-परगना जिले में बारासात अस्पताल में लिंग परीक्षण से संबंधित सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाने की वजह से पिंकी के रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका था। इसके बाद पिंकी की जांच के लिए गठित मेडिकल बोर्ड ने पिंकी की जांच महानगर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम में कराने की सिफारिश की थी।

उसके बाद 11 विशेषज्ञों को लेकर एक अन्य समिति का गठन किया गया। सोमवार को भी इस अस्पताल में पिंकी की जांच के बावजूद मेडिकल बोर्ड उसके लिंग को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके।

'जटिल मामला'

एसएसकेएम अस्पताल की प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिंकी के लिंग परीक्षण का मामला बेहद जटिल है। उसके तमाम जांचों से भी इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी कि आखिर वह एथलीट महिला है पुरुष।

पिंकी के क्रोमोसोम परीक्षण के लिए अस्पताल में नमूने तो ले लिए गए। लेकिन मेडिकल बोर्ड ने उस नमूने को जांच के लिए कहीं और भेजने का फैसला किया है। उसे कहां भेजा जाएगा, यह अभी तय नहीं है। इस सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में भी इस जांच की कोई सुविधा नहीं है।

एसएसकेएम अस्पताल के अधीक्षक तमाल कांति घोष ने पिंकी की जांच के बाद कहा, “हमने पिंकी पर कई परीक्षण किए हैं। लेकिन क्रोमोसोम परीक्षण के लिए जरूरी कैरियोटाइपिंग जांच नहीं हो सकी। यहां वह सुविधा महज शोध के लिए है। उससे जांच नहीं हो सकती.”

लेकिन अब यह जांच कहां होगी? इस सवाल पर उनका कहना था, “दूसरे शहरों के अलावा मुंबई और हैदराबाद में भी यह सुविधा उपलब्ध है। हमने अभी इस बारे में फैसला नहीं किया है। हमें अदालत में 29 जून को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.”

एसएसकेएम में फोरेंसिक विभाग के प्रमुख और पिंकी की जांच के लिए बने मेडिकल बोर्ड के अध्यक्ष डा। विश्वनाथ कोहली कहते हैं, “पिंकी के तमाम परीक्षण किए गए हैं। लेकिन उसके लिंग को लेकर उपजी जटिलता फिलहाल सुलझ नहीं सकी है। उसके क्रोमोसोम परीक्षण के लिए नमूने ले लिए गए हैं। उसको जांच के लिए बाहर भेजा जाएगा.”

पिंकी पर लगे बलात्कार के आरोपों ने जहां इस मामले पर एक नई बहस छेड़ दी है, वहीं तमाम परीक्षमों के बावजूद अब तक उसका लिंग निर्धारण नहीं हो पाने की वजह से कोलकाता में सरकारी चिकित्सा सुविधाओं पर भी सवालिया निशान उठने लगा है।

इस बीच, पिंकी के वकील तुहीन राय ने सोमवार को पिंकी के महिला होने का दावा करते हुए उस पर लगे तमाम आरोपों को मनगढ़ंत बताया है। एसएसकेएम अस्पताल के बाहर पत्रकारों से बातचीत में राय ने कहा, “यह पूरा मामला मनगढ़ंत है और मेडिकल जांच से इस बात की पुष्टि हो जाएगी.”

नई बहस

दूसरी ओर, पिंकी के मामले ने राज्य में एक गंभीर बहस छेड़ दी है। अब सवाल उठने लगा है कि क्या अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नाम रोशन करने वाली महिला एथलीट के साथ ऐसा व्यवहार उचित है?

एक गैर-सरकारी संगठन से जुड़े प्रदीप मंडल सवाल करते हैं कि अगर मेडिकल जांच के बाद पिंकी के महिला होने की पुष्टि हो जाती है तो क्या पुलिस और कानून उसे उस मानसिक उत्पीड़न का मुआवजा दे सकता है जिससे वह बीते दो सप्ताह से गुजर रही है?

कालेज छात्रा सुदीप्ता सेनगुप्ता का सवाल है, “क्या किसी गुमनाम महिला के आरोपों के आधार पर बिना कोई जांच-पड़ताल किए पिंकी की गिरफ्तारी उचित है? वह कोई दागी अपराधी नहीं है। उसे गिरफ्तार किए बिना भी उसकी मेडिकल जांच कराई जा सकती थी.”

महानगर के अलावा राज्य के विभिन्न शहरों और पिंकी के गांव के लोग अब उसके समर्थन में खुल कर बोलने लगे हैं। लोगों का सवाल है कि जब पिंकी के माता-पिता और तमाम परिजनों के अलावा खुद वह एथलीट भी अपने महिला होने का दावा कर रही है तो आखिर किस आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया है?

बहरहाल, सोमवार को हुई ताजा चिकित्सा जांच की रिपोर्ट से साफ है कि अंतरराष्ट्रीय मैदानों में तमाम पदक बटोरने वाली पिंकी को अभी और कुछ दिनों तक बलात्कारी होने के तमगे के साथ जेल में ही रहना पड़ेगा।

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