- आईडीपी के तहत नए सिरे में भवनों के हुए पुनर्मूल्यांकन में मिले तमाम बंद मकान

- नोटिस के बाद बकाया न जमा करने पर प्रशासन के सहयोग से होगी अधिग्रहण की कार्रवाई

VARANASI

इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम आईडीपी के तहत नगर निगम नए सिरे से भवनों का सर्वे करवा रहा है। इसमें तमाम मकान ऐसे मिले हैं, जो सालों से बंद हैं। ऐसे भवन स्वामियों पर नगर निगम का काफी हाउस टैक्स बकाया है। नगर निगम जोनवार ऐसे भवनों की लिस्ट तैयार करवा रहा है। इसके बाद पहले भवन स्वामियों को बकाया जमा करने की नोटिस दी जाएगी। निर्धारित समय में बकाया नहीं जमा करने पर मकानों को नगर निगम 'लॉक' करेगा। साथ ही डीएम की परमिशन लेकर मकानों के अधिग्रहण की कार्रवाई की जाएगी।

निजी कम्पनी के सर्वे में खुली पोल

दरअसल, नगर निगम अपने लेवल से हर साल मकानों का सर्वे करवाता है, लेकिन हाउस टैक्स वसूली में अपेक्षा के अनुरूप वृद्धि नहीं होने पर इस बार नई व्यवस्था शुरू की गई है। कुछ चिन्हित वार्डो में कैरिटॉस कम्पनी को पुनर्मूल्यांकन की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि अन्य वार्डो में नगर निगम खुद अपने जोनल अधिकारी, कर निर्धारण अधिकारी, राजस्व निरीक्षक व कर निरीक्षक के माध्यम से सर्वे करवा रहा है। सर्वे में 2700 से ज्यादा भवन ऐसे मिले, जो नगर निगम के रिकार्ड में आज तक दर्ज ही नहीं थे। इसमें जोनल अफसरों की साफ लापरवाही सामने आई। इसपर नगर आयुक्त डॉ। नितिन बंसल ने भेलूपुर, दशाश्वमेध, आदमपुर और कोतवाली जोन के जोनल अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। सर्वे के दौरान बंद पड़े मकानों की लिस्टिंग की गई। ऐसे मकानों में काफी जर्जर भी हो चुके हैं।

बड़े बकायेदारों से वसूली में निगम फिसड्डी

नगर निगम ने पिछले दिनों से प्रत्येक जोन में दस-दस बड़े बकायेदारों की लिस्ट जारी की। सभी जोनल अधिकारियों को हर हाल में 31 अगस्त तक ऐसे बकायेदारों से सौ फीसदी हाउस टैक्स की वसूली का टारगेट फिक्स किया, लेकिन निर्धारित तिथि करीब आने तक महज 15 फीसदी वसूली ही हो पाई है। चार जोनों की वसूली प्रगति काफी खराब है। सिर्फ वरुणापार जोन की वसूली कुछ हद तक ठीक है।

एक नजर

- 05 जोन हैं नगर निगम के शहर में

- 1.91 लाख भवन निगम के रिकार्ड में दर्ज

- 2700 मकान सर्वे में बिना रिकार्ड के मिले

- 600 से ज्यादा मकान बंद मिले सर्वे में

- 15 फीसदी टैक्स वसूली बढ़ी पिछले साल की अपेक्षा वर्ष 2017-18 में

कुछ जोनल अधिकारियों की वसूली प्रगति ठीक नहीं है। उन्हें चेतावनी दी गई है। अगर फिर भी उनका काम संतोषजनक नहीं मिला तो उनके खिलाफ शासन से निलम्बन की संस्तुति की जाएगी।

डॉ। नितिन बंसल, नगर आयुक्त