एक्सक्लुसिव न्यूज

- चार शिकायतों चारों को नगर आयुक्त ने संबंधित की बजाय अन्य विभागों को भेजी

- सीएम के पास न्याय के लिए पहुंच रहे फरियादियों को नगर आयुक्त कर रहे 'गुमराह'

BAREILLY:

पब्लिक की शिकायतों का निस्तारण करने में नगर आयुक्त सीएम को ही 'गच्चा' देने से बाज नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि इंटीग्रेटेड ग्रीवांस रिस्पांस सिस्टम 'आईजीआरएस' से आने वाली शिकायतों को निस्तारण के लिए गलत टेबल पर फारवर्ड कर दे रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब नगर आयुक्त ने यह गलती की है। पहली बार जब गलती पकड़ में आयी थी, तो उन्होंने सुधार की बात कही थी और अब स्टेनो के सिर गलती का ठीकरा फोड़ रहे हैं।

प्रकाश विभाग बन रहा 'मोहरा'

पिछले दिनों आईजीआरएस पोर्टल से दो निर्माण विभाग, एक टैक्स और जलकल की चार शिकायतें नगर आयुक्त के पास आयी थी, जिनमें से तीन शिकायतें प्रकाश विभाग को ट्रांसफर कर दी गई। जबकि, इनमें एक भी शिकायत प्रकाश विभाग की थी ही नहीं। मामले पर प्रकाश विभाग अधीक्षक ने कहा कि कई बार उन्होंने इस प्रकरण की शिकायत की है। इसके बावजूद दूसरे विभागों की शिकायत उनके पास पहुंच रही हैं.सवाल उठता है कि प्रकाश विभाग को ही हर बार शिकायतें क्यों भेजी जा रही हैं।

अब तक कई शिकायत पेंडिंग

सेटेलाइट बस स्टेशन के पास सीयूजीएल पंप के सामने लगा जर्जर खंभा करीब माह भर पहले एग्जाम देने आई एक स्टूडेंट के सिर पर गिर पड़ा, जिसकी दो दिन बाद मौत हो गई। मामले पर एक जागरूक निवासी ने आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की, जिसमें मामले की सघन जांच कराकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई और मृतका के परिजनों को 5 लाख रुपए मुआवजा दिलाने की मांग की थी। शिकायत डीएम ने बिजली विभाग को प्रेषित की। बिजली विभाग ने नगर निगम को प्रेषित की, लेकिन करीब 25 दिन से अधिक गुजरने के बाद भी अब तक शिकायत नगर निगम नहीं पहुंची। नगर आयुक्त का कहना है कि शिकायत पहुंचे तो निस्तारण किया जाए।

नगर आयुक्त से सीधी बात

सवाल - शिकायत संबंधित विभाग को क्यों नहीं पहुंच रही?

जवाब - शिकायतें संबंधित विभाग को नहीं पहुंच रही इस मामले की जानकारी नहीं है। पता करता हूं कि आखिर क्यों शिकायत उस विभाग को प्रेषित नहीं की जा रही। यदि कोई गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई की जाएगी।

सवाल - खंभा गिरने से स्टूडेंट की मौत की शिकायत क्यों नहीं पहुंची?

जवाब - आईजीआरएस की शिकायत सीधे शासन स्तर से विभागों को पहुंचती है। एक विभाग जब दूसरे विभाग को भेजता है तो उसे पोर्टल पर मौजूद कर्मचारी उसे प्रेषित करते हैं। टेक्नीकल फाल्ट हो सकता है। शिकायत पहुंचेगी तो जांच और कार्रवाई की जाएगी।

सवाल - सीएम कार्यालय से प्रेषित शिकायत के ऐसे निस्तारण पर क्या कार्रवाई होगी?

जवाब - जो शिकायत नगर निगम पहुंचती है उसे स्टेनो देखते हैं और संबंधित विभाग को भेज देते हैं। शिकायत संबंधित विभाग को नहीं पहुंचकर दूसरे विभागों को मार्क होना गंभीर मामला है। यहा पता करुंगा और सख्त कार्रवाइर्1 होगी।

यह हैं मामले

केस वन - कर्मचारी नगर निवासी प्रदीप कुमार ने 5 सितम्बर 2017 को ट्रैफिक लाइट के संबंध में आईजीआरएस पर शिकायत हुई। जो अब पेंडिंग हैं। दूसरी शिकायत 15 मई 2018 को की गई। नगर आयुक्त कार्यालय से वह प्रकाश विभाग को भेज दी। जहां यह कहकर निस्तारण कर दिया गया कि मामला प्रकाश विभाग का नहंीं। बता दें कि ट्रैफिक लाइट लगाने और मेंटीनेंस का जिम्मा निर्माण विभाग का होता है।

केस टू - कर्मचारी नगर के पार्षद दीपक सक्सेना ने 26 मार्च को सड़क निर्माण संबंधी शिकायत की। जो नगर आयुक्त कार्यालय से निर्माण विभाग की बजाय प्रकाश विभाग को भेज दी गई। हैरत यह कि प्रकाश विभाग ने निस्तारण कर दिया। कहा, शिकायत एलईडी संबंधित है, जो जल्द ही ईईएसएल कंपनी लगाएगी। नगर आयुक्त के संज्ञान में मामला आया लेकिन अब तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

केस थ्री - सुभाषनगर निवासी रामतेज तिवारी ने 17 फरवरी को जलकल विभाग को सीधे कटघरे में खड़ा करते हुए पोर्टल पर शिकायत की। नगर आयुक्त कार्यालय पहुंची शिकायत जल निगम को निस्तारण के लिए भेज दी गई। जल निगम ने शिकायत का निस्तारण यह कहकर कर दिया कि मामला उनसे संबंधित नहीं है। जबकि नियमानुसार शिकायत का निस्तारण जलकल विभाग को ही सौंपनी चाहिए थी।

केस फोर - वीर सावरकर नगर निवासी सुमित खन्ना ने राजस्व विभाग के क्लर्क पर टैक्स जबरन बढ़ाने की शिकायत कर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायत नगर आयुक्त कार्यालय पहुंची और उसे निस्तारण के लिए प्रकाश विभाग को भेज दिया गया। प्रकाश विभाग ने निस्तारण में लिख दिया कि मामला उनसे संबंधित नहीं है। हैरत यह कि जब टैक्स का जिक्र है तो आखिर शिकायत क्यों अन्य विभाग को सौंपी गई?