स्पेशल न्यूज

- 81 नालों के चोक होने की अधिकारियों ने की पुष्टि

- सफाई के लिए 1.5 करोड़ के बजट से खरीदे हैं वाहन, स्थिति जस की तस

BAREILLY:

मुंबई में सौ एमएम बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं। जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जो जहां है वहां ही फंस कर रह गया है। मुंबई की तरह बरेली में भी सौ एमएम बारिश हो जाए तो बरेली में बाढ़ के हालात बनने तय हैं। यह हम नहीं नगर निगम के अधिकारी खुद स्वीकार कर रहे हैं और अपनी नाकामी बता रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने मामले पर प्रत्येक वार्ड की पड़ताल की तो महज 10 एमएम बारिश में ही कई प्वॉइंट्स पर जलभराव का पता चला। सौ एमएम बारिश में शहर के क्या हालात रहेंगे आइए आपको बताते हैं

10 एमएम बारिश ही भारी

मानसून की शुरुआत में ही महज 10 एमएम बारिश से ही आधा शहर जलभराव का शिकार हुआ था। अधिकारियों के मुताबिक नगर निगम की सुविधाएं भरपूर हैं, लेकिन कई एरिया ऐसे हैं, जो ड्रेनेज सिस्टम से भी नीचे हैं। ऐसे में, वहां से जलभराव की समस्या आनी तय है। यहां दो से तीन दिन तक जलभराव रहता है। दूसरी ओर, नालों के चोक होने से जलनिकासी की समस्या है। मुंबई की आधी यानि 50 एमएम बारिश भी हुई तो शहर के कई इलाके हर हाल में बाढ़नुमा हालात दिखेंगे। क्या होगा इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है।

81 नालों से जलनिकासी नहंी

प्रशासन के निर्देश पर नगर निगम ने शहर के चोक नालों की सूची तैयार की है, जिसके मुताबिक शहर में 10 बड़े और 275 छोटे नाले हैं। जिसमें से 81 नाले चोक हैं। नए नाले बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया। वह मंजूर भी हुआ लेकिन अभी तक निर्माण शुरू नहीं हुआ। बता दें कि नगर निगम के अधिकारियों ने अपनी ओर से कवायद करते हुए विगत 5 वर्षो में करीब 15 करोड़ रुपए का बजट खर्च कर 65 नालों की मरम्मत कराई है। इन नालों के निर्माण कार्य में बड़े स्तर पर खेल किए जाने के आरोप भी लगे हैं।

मानसून ने खोली थी पोल

शहर के 80 वार्डो में 60 वार्ड ऐसे हैं, जहां नालों और नालियों पर निवासियों और व्यापारियों ने पक्का निर्माण कार्य करा लिए हैं। दर्जन भर वार्ड हल्की बारिश में भी डूब जाते हैं। नगर निगम ने मानसून से पहले नालों की सफाई का अभियान तैयार किया था। जिसकी हकीकत मानसून के शुरुआत में दो दिनों की 40 एमएम बारिश में ही दिख गई। शहरवासियों के लगाए गए कमीशनखोरी के आरोपों की पुष्टि कर दी थी। इसके बाद नगर निगम ने जलभराव से निपटने की योजना बनाई, लेकिन उस पर भी आरोपों के घेरे में आ गया है।

प्वाइंट्स जहां जलभराव तय

एजाजनगर, पुराना शहर, सुभाषनगर, कटरा चांद खां, फाल्तूनगंज, सिकलापुर, आंशिक मॉडल टाउन, आंशिक रामपुर गार्डन, इंग्लिशगंज, राजेंद्र नगर, नवादा शेखान, नवादा जोगियान, सन सिटी विस्तार, पवन विहार, गार्डन सिटी समेत नगर आयुक्त आवास और मेयर कैंप ऑफिस व अन्य कई सरकारी आवास और कार्यालय भी हल्की बारिश में ही डूब जाते हैं।

एक नजर में

- 80 वार्ड बने हैं परिसीमन के बाद

- 60 वार्डो में जलभराव की समस्या

- 276 छोटे, 10 बड़े नालों से जलनिकासी

- 81 छोटे 3 बड़े नालों के चोक हैं

- 13 करोड़ से हुई है नाला सफाई

- 1.5 करोड़ से खरीदे गए हैं कई वाहन

- 3 जेसीबी, 3 डंपर और 16 कूड़ा गाड़ी

- 65 नालों का हाल ही में हुआ सुदृढ़ीकरण

- अवस्थापना निधि से मांगा गया है बजट

नाला निर्माण, सफाई के नाम पर टीम ने खूब खेल किए हैं। नक्शे के मुताबिक नालों का निर्माण नहीं किया गया। हर साल सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है।

राजेश अग्रवाल, पार्षद

सिन्धुनगर हर साल बारिश में डूब जाता है। अधिकारियों को मामले की जानकारी है। पर वह इसके लिए कोई एक्शन नहीं ले रहे। निवासी खुद से जलनिकासी कराते हैं।

प्रमोद, बिजनेसमैन

10 एमएम बारिश हुई तो अधिकारी संभाल नहीं पाते, सौ एमएम में क्या करेंगे? मानसून की पहली बारिश ने ही कवायदों की खोल दी थी। अधिकारियों के घर डूब जाते हैं।

राजू शमीम, समाजसेवी

पुराने मोहल्लों में ड्रेनेज सिस्टम के अरेंजमेंट नहीं हैं। नई बसी कॉलोनी में भी बिल्डर ने कॉलोनी को लेवल से नीचे कर दिए हैं, जिसकी वजह से जलभराव होना तय है। बारिश के बाबत अधिकारियों को पूरी तैयारी के निर्देश दिए हैं।

राजेश कुमार श्रीवास्तव, नगर आयुक्त