-एक महीने से जलभराव का दंश झेल रहे हैं बरेलीवासी

-पानी निकासी के लिए ठोस इंतजाम नहीं कर सके नगर निगम के अफसर

बरेली:

पिछले एक महीने में हुई झमाझम बारिश के कारण शहर के तमाम इलाकों के लोग जलभराव का दंश झेल रहे हैं। संजय नगर समेत कई निचले इलाकों में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोग बेघर हो गए हैं। जलभराव की समस्या से पॉश कॉलोनियां भी अछूती नहीं रहीं। राजेंद्र नगर और आसपास की कॉलोनियों में भी पानी घरों के अंदर भर गया, लेकिन नगर निगम के अफसर जलभराव की समस्या का समाधान करने में पूरी तरह फेल साबित हो रहे हैं। नाले चोक हैं और सम्पवेल खराब पड़े हैं।

जलनिकासी के प्रबंध में फेल

जलभराव से पब्लिक की परेशानी इसलिए भी बढ़ती जा रही है। क्योंकि नगर निगम जलनिकासी का एक मास से कोई ठोस इंतजाम नहीं कर सका। थोड़ा बहुत जो प्रयास कर भी रहा है वह अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ चुका है। इसकी बानगी के तौर पर नगर निगम के मुखिया को ही लें, तो शहरवासी जलभराव के बीच फंसे हुए है, वह आए दिन छुट्टियों पर चल रहे हैं। यही वजह रही कि मानसून आने से पहले नाले ढंग से साफ नहीं हो सके। गाद नालों में ही जमा रह गई। सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च हुए तो महज कूड़ा-कचरा निकालकर जिम्मेदारी को पूरा कर दिया।

पम्प तो है पर डीजल नहीं

राजेन्द्र नगर में जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने पम्प तो लगवा दिए, लेकिन यहां भी बड़ा गोलमाल शुरू हो गया है। कागजों में पम्प तो चल रहे हैं। पर असल में पम्प के डीजल टैंक सूखे पड़े हैं। फ्राइडे को बारिश से जलभराव की समस्या गहराई, तो स्थानीय लोगों ने चंदा इकट्ठा कर डीजल खरीदा, तब कहीं, जाकर जलनिकासी का काम शुरू हो सका। बाशिंदों का आरोप है कि जब कभी भी नगर निगम के यह पम्प चलते भी है, तो उनसे दिन में ही पानी निकालने का काम होता है। रात में यह बंद पड़े होते हैं।

मलबा न निकालना भी पड़ रहा भारी

शहर को जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने नालों पर काबिज अवैध पक्के निर्माण का ढहा दिया था, लेकिन नालों से मलबा उठाने का काम नहीं किया। यहीं कारण है कि बारिश में इस बार समस्या और भी ज्यादा गहरा गई। नगर निगम की यही लापरवाही और भारी पड़ रही है।

घरों को छोड़कर छत पर बसेरा

संजय नगर में पानी घरों के अंदर भर गया है। बेडरूम से लेकर किचन तक सभी जगह पानी भरा हुआ है। ऐसे में लोगों को मकान की छतों पर पॉलीथिन की झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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नगर निगम से बोला तब तो पानी निकालने के लिए पंप लगाए गए। लेकिन उनमें भी रात में डीजल खत्म हो गया तो वो भी बंद हो गया।

अनिल रस्तोगी, राजेंद्र नगर

पूरी रात लोग अपने घरों के बहार बैठे रहे। बेडरूम में पानी घुस गया है और बिस्तर भी भीग गए हैं। कैसे सोते कहां जाते कुछ समझ नहीं आ रहा।

अनीता सोलंकी, राजेंद्र नगर

जब से बारिश शुरू हुई है। तब से छत पर ही डेरा डाला हुआ है। अगर तेज बारिश होने लगती है तो यहां भी रुकना मुश्किल हो जाता है।

लक्ष्मी देवी, संजय नगर