- सरकार की कवायद को चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने ठहराया सही

>NANITAL: उत्तराखंड में नगर निकाय चुनावों को लेकर जारी सस्पेंस साफ हो गया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से निकायों के परिसीमन व सीमा विस्तार को लेकर जारी अधिसूचना को निरस्त करने संबंधी एकलपीठ का आदेश निरस्त कर दिया है। दोनों जजों की खंडपीठ ने सरकार के निकायों को अपगे्रड व उनके परिसीमन को लेकर की गई कवायद को सही ठहराया। माना जा रहा है कि अदालत के इस फैसले के बाद राज्य में निकाय चुनाव कराने का रास्ता अब साफ हो गया है।

सीमा विस्तार को दी गई थ्ाी चुनौती

हल्द्वानी, पिथौरागढ़ के दौला, खटीमा, टनकपुर, डोइवाला, रुद्रपुर, काशीपुर, भवाली, भीमताल, कोटद्वार, ऋषिकेश समेत 17 निकायों के सीमा विस्तार की अधिसूचना को अलग-अलग याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओं में कहा गया था कि सीमा विस्तार से संबंधित जारी अधिसूचना राज्यपाल की ओर से जारी होनी चाहिए थी। लेकिन, इसे शहरी विकास सचिव द्वारा जारी किया गया था। पिछले दिनों एकलपीठ ने इन याचिकाओं को स्वीकार करते हुए सरकार की परिसीमन संबधी अधिसूचना को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था। बदले में सरकार ने विशेष अपील दायर कर एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी थी। चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व सीएससी परेश त्रिपाठी ने जिरह की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल और राज्य सरकार को एक ही परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। खंडपीठ ने सरकार की दलीलों से सहमत होते हुए एकलपीठ का फैसला निरस्त कर दिया और सरकार की कवायद को संवैधानिक करार दिया।

आयोग की याचिका पर सुनवाई 24 को

राज्य निर्वाचन आयोग की जल्द चुनाव कराने के लिए सरकार को निर्देशित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई 24 मई को होगी। दरअसल, राज्य में कुल निकायों की संख्या 92 है। जबकि सीमा विस्तार 41 पर किया था।