स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 कॉम्पटीशन पांच हजार अंकों का था। इसे चार भागों में बांटा गया था। हर भाग के लिए 1250 अंक निर्धारित किए गए थे। इनमें सर्विस लेवल, सर्टिफिकेशन, डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन और सिटीजन फीडबैक शामिल थे। सर्वेक्षण के बाद नगर निगम को कुल 2770.85 अंक मिले हैं।

सर्विस लेवल में मिले 503 अंक

स्वच्छ सर्वेक्षण ने एक भाग सर्विस लेवल का रखा हुआ था। इसमें नगर निगम द्वारा शहर के लोगों को दी जा रही सुविधाओं का आंकलन किया जाना था। टॉयलेट्स के रखरखाव, कूड़ा उठान, साफ-सफाई आदि बिंदुओं पर क्या व्यवस्था है, उसे देखा गया। इसमें नगर निगम को 1250 में से 503.95 अंक हासिल हुए हैं।

ओडीएफ के चलते मिले बेहतर अंक

कॉम्पटीशन का दूसरा प्रमुख प्वाइंट सर्टिफिकेशन था। इसमें नगर निगम को खुले में शौच मुक्त और कूड़ा मुक्त शहर में मिले स्टार रेटिंग को देखा गया। 250 अंकों के ओडीएफ में पूरे अंक निगम को मिले और एक हजार अंकों वाले कूड़ा मुक्त शहर के बिंदु पर नगर निगम को काफी कम अंक मिल पाए। इस भाग में निगम को कुल पांच सौ अंक ही मिले हैं।

डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन में पाए अधिकतम अंक

तीसरे भाग में डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन के बाद अंक दिए जाने थे। इसके लिए दिल्ली से टीम शहर आई थी। टीम ने करीब चार दिन यहां रुककर साफ-सफाई, शौचालय, व्यवसायिक क्षेत्र, मलिन बस्ती, स्कूल-कालेज, अस्पताल समेत अन्य स्थान देखे। इसके बाद अंक दिए। इस भाग में शहर को सबसे अधिक 998 अंक मिले हैं।

नागरिक प्रतिक्रिया ने किया निराश

करीब एक महीने तक सिटीजन फीडबैक के लिए साइट खुली रही। इसमें लोगों को स्वच्छता एप भी डाउनलोड करना था। दोनों के लिए मिलाकर 1250 अंक रखे गए थे। तय समय तक शहर से सिर्फ नौ हजार लोगों ने ही नागरिक प्रतिक्रिया दी। वही, करीब साढ़े पांच हजार लोगों ने ही अपने मोबाइल पर स्वच्छता एप डाउनलोड किया। इस भाग में शहर को 768.90 अंक ही मिल पाए हैं।