- बवाल के बाद ढाई महीने तक मिनी सदन की बैठक न होने से नहीं हो पाए नीतिगत निर्णय
- नगर निगम के पार्षदों में आपसी समन्वय न होने का खामियाजा झेल रही पब्लिक
VARANASI
24 मार्च को मिनी सदन की बैठक के दौरान हुए बवाल के बाद ढाई महीने का समय बीत गया लेकिन अब तक दोबारा बैठक नहीं हो पाई। इसका कारण सभी दलों के पार्षदों में समन्वय न होना है। ऐसे में शहर के तमाम विकास कार्यो पर ब्रेक लग गया है। विकास कार्यो की 30 करोड़ से ज्यादा की फाइलें धूल फांक रही हैं।
अफसरों की मनमानी
मिनी सदन की बैठक नहीं होने से शहर की कई व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। साथ ही विकास कार्यो सम्बंधी प्रस्ताव पास नहीं हुए। पब्लिक की शिकायतों पर भी ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। कर्मचारियों की समस्याएं नहीं दूर हो पा रही हैं। वहीं पार्षदों का आरोप है कि अफसर मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। नगर निगम एक्ट के अनुसार प्रत्येक दो महीने में एक बार बैठक बुलाने का प्राविधान है, लेकिन जरूरत पड़ने पर कभी भी बैठक बुलाई जा सकती है।
सुलझेगा मामला, बनी सहमति
दरअसल, 24 मार्च को सांस्कृतिक संकुल चौकाघाट में हुई मिनी सदन की पहली बैठक के दौरान बवाल हो गया था। इसके बाद कैंट थाने में केस दर्ज कराने और जेल भेजने से विपक्षी पार्षद आक्रोशित हो गए। उनका आरोप है कि पुलिस ने एकपक्षीय कार्रवाई की। बैठक न होने का यह प्रमुख कारण है। बिना केस वापस लिए विपक्षी पार्षद सदन नहीं चलने देना चाहते। वहीं सूत्रों की मानें तो विपक्षी पार्षदों के ऊपर से मुकदमा वापसी के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि पिछले दिनों मेयर मृदुला जायसवाल के साथ विपक्षी पार्षदों के साथ बैठक होने के बाद मिनी सदन की बैठक पर सहमति बनी है।
बैठक न होने से आई दिक्कतें
- नीतिगत निर्णय नहीं लिए जा सके
- विकास कार्यो की फाइलें लम्बित
- प्राथमिकता वाले काम शुरू नहीं
- विज्ञापन व टैक्स दरों का निर्धारण नहीं
- दूषित पेयजल आपूर्ति समस्या गहराई
- सीवर प्रॉब्लम से शहर हुअा बेजार
एक नजर
- 90 वार्ड हैं शहर में
- 24 मार्च को हुआ था बवाल
- 9 अरब है नगर निगम का बजट
- 2 माह में एक बार होनी चाहिए बैठक
शहर का विकास कराना प्राथमिकता है। इसके लिए सभी दलों के पार्षदों के साथ बैठक हुई थी। विकास को लेकर सभी पार्षद एकमत हैं। जल्द ही बैठक की डेट तय कर पार्षदों को सूचना दी जाएगी।
मृदुला जायसवाल, मेयर