-टैक्स न देने वालों को सबक सिखाने के मूड में उतरा निगम

-जिस एरिया के लोग जैसे प्रॉपर टैक्स, वहां होगी जल्दी सुनवाई

-निर्माण कार्यो पर निगम के टैक्स व निर्माण विभाग में रहेगा कोऑर्डिनेशन

BAREILLY:

बात साफ है। बिना बजट के डेवलपमेंट नहीं हो सकता है। डेवलपमेंट न कराने के आरोपों से खिन्न नगर निगम भी अब अपने डेवलेपमेंट के फंडे को बदलने की तैयारी कर रहा है। फंडा यह है कि जब आप निगम को प्रॉपर टैक्स देंगे तो फिर आपके एरिया की समस्याओं को जल्दी दूर किया जाएगा। नहीं तो फिर लगाते रहिए गुहार, और करते रहिए वेट। तो समझ लीजिए, नेक्स्ट टाइम अगर आप अपनी कॉलोनी, मोहल्ले या वार्ड की कोई समस्या लेकर नगर निगम जा रहे हैं तो फिर बहुत संभव है कि निगम के कर्मचारी आपसे टैक्स की रसीद मांग लें। क्योंकि बिना नगर निगम को टैक्स अदा किए अगर आपने अपना दुखड़ा रोया, तो आपसे पिछली बार चुकाए गए टैक्स के बारे में सवाल पूछे जा सकते हैं। कुछ यूं समझ लीजिए कि निगम की ओर से शहर के विकास के लिए शुरू हुई नई व्यवस्था को टैक्स दो, विकास लो का नाम दिया जा सकता है।

यह है निगम की तैयारी

दरअसल, इस नई व्यवस्था के तहत निगम उन एरियाज को डेवलपमेंट कराने में ज्यादा फोकस करेगा, जहां के लोग वक्त से अपना टैक्स जमा करते हैं। कुछ एक हाथ दे, एक हाथ ले की तर्ज पर शुरू की गई नई व्यवस्था में नगर निगम का निर्माण विभाग शहर के जिन एरियाज में विकास कार्य कराएगा, उसकी रिपोर्ट टैक्स विभाग से साझा करेगा, साथ ही टैक्स विभाग भी अपनी रिपोर्ट निर्माण विभाग के साथ साझा करेगा।

मोटिवेशन भी चलेगा साथ-साथ

निगम के अफसर बताते हैं कि, इस व्यवस्था का मकसद लोगों को वक्त से टैक्स जमा करने के लिए प्रेरित करना है। इसके लिए

नगर आयुक्त की देख-रेख में टैक्स विभाग उन एरियाज में जाएगी, जहां पर निर्माण विभाग विकास कार्य करा रहा है। टैक्स टीम संबंधित एरिया के लोगों को टैक्स अदायगी के लिए मोटिवेट करेगी। साथ ही उस एरियाज के लोगों को जिम्मेदार नागरिक होने का पाठ पढ़ाते हुए उन्हें उनका बकाया टैक्स का बिल देगी। जिससे लोगों से शहर के विकास के लिए जरूरी हाउस, सीवर व वॉटर टैक्स वसूला जा सकें।

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टैक्स का ग्राफ बढ़ाने पर जोर

मेयर डॉ। आईएस तोमर ने थर्सडे को नई नीति के बारे में प्रभारी अपर नगर आयुक्त ईश शक्ति कुमार सिंह को निर्देश देकर इसे लागू कराने को कहा। नए फाइनेंशियल ईयर में निगम का सारा जोर शहर के हजारों बकाएदार करदाताओं की जेब से टैक्स वसूलने पर है। साल 2014-15 के लिए शासन से निगम को कुल 49.66 करोड़ का टारगेट दिया गया था। जिसमें से 23.45 करोड़ रुपए टैक्स वसूली के थे। निगम की टीम ने मार्च में चलाए अभियान में टारगेट से भी ज्यादा 25.91 करोड़ रुपए की टैक्स वसूली की। इस कामयाबी से प्रेरित हो निगम जून से ही कॉमर्शियल के अलावा नॉन रेजिडेंशियल करदाताओं से टैक्स वसूलने पर जोर दे रहा। इसी कड़ी में नए भवनों व करदाताओं को ट्रेस करने को सर्वे एजेंसी व टैक्स अधिकारियों को भी जुटाया गया है।

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तो पुराने शहर का रूक जाएगा विकास

टैक्स दो, विकास लो की नीति पर जनता की जेब से टैक्स वसूलने की निगम की योजना हकीकत की जमीन पर बिखरती नजर आती है। निगम के रिका‌र्ड्स में करीब 1.22 लाख करदाता रजिस्टर्ड है, लेकिन जानकार इनमें से महज 15 फीसदी करदाताओं के ही अपना टैक्स चुकाने की बात कह रहे। निगम यदि विकास के बदले टैक्स की नीति पर शहर में डेवलेपमेंट कराने लगे, तो इससे पुराने शहर में खासी दिक्कत आएगी। वजह विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पुराने शहर से निगम को न के बराबर टैक्स अदायगी होती है। ऐसे में टैक्स न देने पर अगर निगम ने पुराने शहर में विकास कार्य रूकवा दिए तो, जनता विरोध में सड़कों पर उतर जाएगी।

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अव्यवहारिक या तानाशाही

जानकारों को निगम की इस नई नीति के लागू होने से पहले ही कई छेद नजर आने लगे हैं। दरअसल निगम के सीमा पर बनी ज्यादातर कॉलोनीज व मोहल्लों से निगम को टैक्स नहीं आता। कुछ करदाताओं को छोड़ ज्यादातर टैक्स अदा नहीं करते। यही हाल उन पिछड़े व निचले इलाकों का हैं, जहां लोगों ने प्राइवेट सोसाइटी से जमीन खरीदकर घर बनाया, लेकिन कोई सुविधा न होने पर निगम से ही सीवर, पानी व सफाई की गुहार लगाते रहे। इन एरियाज से भी टैक्स न आने की शिकायतें रही। अब अगर ऐसे एरियाज में कुछ ने टैक्स दिया और कईयों ने नहीं दिया, तो निगम किस आधार पर यहां विकास कार्य को मंजूरी देने या मना करने का फैसला लेगा। यह भी मुश्किल है। वहीं पार्षद नेताओं ने तो निगम की नई व्यवस्था का विरोध किया है। साथ ही इसे तानाशाही करार देते हुए जनता को गुमराह करना व उनकी आंखों में धूल झोंकने का आरोप लगाया है।

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दबंग व ताकतवर लोग जो अपनी पहुंच से अपने एरियाज में विकास कराते हैं, उनसे निगम इस नई व्यवस्था के तहत कैसे निपटेगा।

ऐसे तो नई कॉलोनी व पुराने मोहल्लों में काम ही न होगा। यह तो जनता को गुमराह करने वाली बात हुई।

- राजेश अग्रवाल, सपा पार्षद नेता

जिनके अपने घर शीशे के हो, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए। मेयर में इच्छाशक्ति नहीं। निगम नए नियम से निगम लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहा। निगम का टैक्स वसूलने का यह रवैया तानाशाही भरा लगता है।

- विकास शर्मा, भाजपा पार्षद नेता

नए निर्देशों पर अभी निर्माण विभाग और टैक्स विभाग के अधिकारियों संग बैठक न हो सकी है। कुछ व्यवहारिक दिक्कतें तो आएंगी ही, लेकिन टैक्स वसूली में जनता को मोटिवेट करने के लिए इस तरह की पहल की जा रही है।

- ईश शक्ति कुमार सिंह, प्रभारी अपर नगर आयुक्त

करदाताओं से टैक्स वसूली के लिए एक हाथ ले, दूसरे हाथ ले की तर्ज पर काम होगा। निर्माण विभाग व टैक्स विभाग को-ऑर्डिनेट कर इसे पूरा करेंगे। जहां विकास कार्य होंगे, वहां टैक्स विभाग की टीम जाकर लोगों से टैक्स वसूलने का काम करेगी।

- डॉ। आईएस तोमर, मेयर