-नगर निगम ने डेढ़ सौ जर्जर भवनों की बनायी है लिस्ट

-सभी को नोटिस देने के बाद भी किसी ने अब तक नहीं कराया मरम्मत

VARANASI

बारिश का मौसम जर्जर भवनों के लिए बहुत खतरनाक साबित होता है। इस मौसम में अक्सर मकानों के गिरने से भयंकर हादसे होते हैं। हर साल कई लोगों की जान भी जाती है। इसका कारण कहीं लापरवाही है तो कहीं विवाद है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर कैलाश सिंह का कहना है कि शहर में करीब डेढ़ सौ जर्जर भवनों को चिन्हित किया गया है। इन्हें नोटिस भी दी गयी है कि वह अपने भवनों को ध्वस्त करा दें या उसकी मरम्मत करा लें लेकिन नोटिस के बावजूद किसी ने अपने जर्जर भवन का अब तक मरम्मत नहीं कराया है।

जर्जर भवन से मौत का खतरा

लल्लापुरा में रविवार को जर्जर भवन के गिरने से जो हादसा हुआ वह शहर के लिए कोई नया नहीं है। सिटी के पक्का महाल एरिया में भी कई जर्जर भवन हैं जो वहां की पब्लिक के लिए कभी भी खतरा बन सकते हैं। विश्वनाथ गली में हर साल कोई न कोई मकान गिरता है। यहां इस तरह के हुए हादसों में अब तक कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। शहर के पुराने हिस्से में जर्जर भवनों की संख्या सबसे अधिक है।

आखिर क्या है वजह

- ज्यादातर जर्जर भवन मकान मालिक और किरायेदारी के विवाद में फंसे हुए हैं। इस कारण इनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है।

- कई भवन ऐसे हैं जिनके मकान मालिक बाहर रहते हैं इस वजह से इनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है।

- पक्का महाल में गंगा किनारे के दौ सौ मीटर के दायरे में भवन निर्माण व मरम्मत कार्य पर रोक के चलते है परेशानी।