- 'अविश्वास' को लेकर विपक्षी को 'विश्वास'

- सोमवार को 11 बजे पेश किया जाएगा अविश्वास प्रस्ताव

- दो महीने के कार्यकाल में निर्णय के अनुपालन में फेल रहा निगम

- आज तक अटकी हैं कई योजनाएं, शहर में पसरा है गंदगी और कचरा

- निगम बोर्ड की बैठक में भी लगातार मचता रहा हंगामा

- मेयर और कमिश्नर के द्वंद्व ने पटनाइट्स को तबाह कर दिया

PATNA : दो सालों में क्म् साधारण बैठक और फ् विशेष बैठक की गई, लेकिन इसके बाद भी पटनाइट्स के लिए कुछ खास चीजें सामने नहीं आ पायी। बेसिक फैसिलिटीज के नाम पर कुछ नहीं मिला। न सफाई, न पानी और न ही सड़कों पर रोशनी की व्यवस्था हो पायी है। इसके लिए बोर्ड मेयर को जिम्मेवार मान रहा है, लेकिन मेयर और स्टैडिंग कमेटी इसके लिए निगम एडमिनिस्ट्रेशन को कटघरे में खड़े कर रही है। आरोप है कि एडमिनिस्ट्रेशन की मनमर्जी से काम पूरा नहीं हो पाया है। आपसी विवाद और हंगामे के बीच पूरे हुए दो साल में शहर नरक बन गया है। निगम अपना काम भूल चुका है। कर्मी दिखाई नहीं देता है। ऑफिसर्स अपनी मर्जी करते हैं। मेयर बोर्ड और एडमिनिस्ट्रेशन के बीच सामंजस्य बनाने में फेल हैं। नतीजा यह है कि अब विपक्षी अविश्वास प्रस्ताव लाने और मेयर को हटाने की तैयारी में जुटे हैं, लेकिन सवाल है कि अविश्वास काउंसलर से अधिक पब्लिक का बढ़ा है।

पॉलिटिक्स में पटनाइट्स तबाह

7ख् वार्ड की आबादी त्राहिमाम कर रही है। सड़कों पर कचरा पसरा है, घरों में शुद्ध पानी नहीं आता है, रात में सड़कों पर अंधेरा पसरा रहता है। काउंसलर कुछ कर नहीं सकता है, निगम के ऑफिसर्स सुनने को तैयार नहीं हैं। नाला की उड़ाही करके सड़कों पर छोड़ दिया गया है तो कहीं नाला उड़ाही तक नहीं किया गया है। सिटी स्थित किला रोड के राजेश साह ने कहा कि निगम को पानी, कचरा, लाइट का ही काम करना है, लेकिन इस पर भी ध्यान नहीं दे रहा है। फिर ऐसे नगर निगम की जरूरत नहीं है। राजेश साह, डॉ। सीता राम बरोलिया ऐसे लोग हैं जो निगम का होल्डिंग टैक्स रेग्युलर पे करते हैं। इसके बाद भी उन्हें बेसिक फैसिलिटी नहीं मिलती है।

दो सालों में कुछ नहीं हुआ, इसलिए है अविश्वास

- पेयजल आपूर्ति के संबंध में योजना पारित हुई कि प्रत्येक वार्ड में जल मीनार बनाया जाएगा। हर वार्ड में डीपीआर तैयार किया गया, लेकिन उसका फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किया गया। आखिरकार कह दिया गया कि क्8 वार्ड को छोड़कर कहीं जमीन नहीं मिली।

- वेस्ट मैनेजमेंट का काम सात साल पहले शुरू हुआ। चार साल से मेयर रहते हुए अब तक ग्राउंड लेवल पर इस पर काम नहीं हो पाया। डोर टू डोर कचरा उठाव और रामजी चक बैरिया का काम रुका पड़ा है।

- क्भ् लाख, म्.भ्0 लाख, फ्.भ्0 लाख, क्0 लाख जैसी योजनाएं ग्राउंड लेवल तक नहीं पहुंच पायीं।

- सात सालों से मलिन बस्ती राशि उत्थान की राशि पड़ी है, लेकिन चार साल से बने रहने के बाद भी इस पर कोई खास काम नहीं हो पाया।

- कार्यवाही में हमेशा छेड़छाड़ का आरोप इन पर लगता रहा है। इसमें वर्तमान कमिश्नर ने राज्य सरकार को रिपोर्ट भी दिया है।

- जब टैक्स बढ़ोतरी के विरोध में काउंसलर थे तब भी प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। सीएम के हस्तक्षेप के बाद प्रस्ताव वापस लिया गया।

- ट्रेड लाइसेंस के मसले पर आधे से अधिक काउंसलर ने विरोध किया।

- बोर्ड की मीटिंग को सहजतापूर्वक नहीं लिया जा रहा।

- मेयर के चार साल के कार्यकाल में निगम कमिश्नर पंकज पाल को छोड़कर रेस्ट तमाम कमिश्नर श्रीधर सी, संजीव हंस, मनीष कुमार, दिवेश सेहरा, आदेश तितरमारे, कुलदीप नारायण तक से तालमेल बिठाने में असफल रहे।

नगर निगम विवादों का रहा साल

- साल भर से कम समय में मेयर और कमिश्नर के बीच विवाद शुरू हो गया।

- स्टैंडिंग कमेटी से लेकर बोर्ड की बैठकों में इसकी झलक दिखी।

- बोर्ड की बैठक में लगातार हंगामा हुआ, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

- स्टैंडिंग कमेटी और कमिश्नर के बीच लगातार टकराव होता रहा।

- वीडियो रिकॉर्डिग के मसले पर हंगामा हुआ, एक दूसरे पर आरोप लगे।

- स्टैंडिंग कमेटी की बातों को नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन इग्नोर करता रहा।

- यूरिनल और पीने के पानी का नहीं हो पाया अरेंजमेंट।

दो दिनों की छुट्टी फिर संडे बना मुसीबत

नगर निगम में मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव अब सोमवार को लाया जाएगा। क्योंकि दो दिन शुक्रवार और शनिवार बंदी है। इस दौरान ऑफिस बंद रहेगा, तीसरे दिन संडे है।

अविश्वास प्रस्ताव बोर्ड को हिलाने की तैयारी

संवैधानिक प्रक्रिया है, जो दो साल पूरे होने पर निगम बोर्ड के मेंबर यूज कर सकते हैं। अगर मेंबर को लगता है कि मेयर या डिप्टी मेयर काम नहीं कर रहे हैं, तो दो साल पूरे होते ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसमें एक तिहाई काउंसलर उनके विरुद्ध एकजुट होकर अविश्वास प्रस्ताव दे सकते हैं। इसके बाद मेयर एक वीक के अंदर बैठक बुलाते हैं और उसकी अध्यक्षता डिप्टी मेयर करते हैं। अगर डिप्टी मेयर बैठक नहीं बुलाते हैं तो फिर नगर आयुक्त के साथ मीटिंग होती है। उस मीटिंग में एक तिहाई काउंसलर अपना अध्यक्ष चुनते हैं। और वहां से फिर डीएम को लेटर लिखा जाता है। इसके बाद निगम भंग हो जाता है।

एमएलए से लेकर सीनियर लीडर तक लगे हैं

विपक्षी के लिए यह मुसीबत बनी है कि ख्ब् काउंसलर अपने साइन और बातों पर अडिग रहें, इसके बाद फ्7 काउंसलर अपना विरोध एक साथ दर्ज करवाएं, इसमें से एक भी दायां से बायां होता है तो अविश्वास प्रस्ताव खत्म हो सकता है। निगम बोर्ड के काउंसलर की गणित को समझने और समझाने के लिए बीजेपी, जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडी के विधायक और सीनियर लीडर भी मैदान में उतरे हुए हैं। हालत यह हो गया है कि 7क् काउंसलर में से फ्7 काउंसलर को एक जगह बनाकर रखना मुश्किल भरा काम है।

दो ग्रुप कर रहा अविश्वास की वकालत

दो ग्रुप अविश्वास प्रस्ताव लाने में लगे हैं। एक निशाना मेयर अफजल इमाम पर है, तो दूसरे ग्रुप की नजर डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता पर लगी है। इसको लेकर दिन भर जोड़ तोड़ की पॉलिटिक्स चल रही है।

नगर निगम के सामने बरसात बनेगी चुनौती

पटना नगर निगम के काम करने के रवैये की वजह से गर्मी में जहां पानी और कचरा के लिए लोगों को परेशान होना पड़ा वहीं बरसात में अब कचरा और जलजमाव बड़ी मुसीबत बनने वाली है। वार्ड काउंसलर दीपक चौरसिया ने बताया कि नाला उड़ाही सही से नहीं होने से जलजमाव और गंदे पानी से एक बार फिर से पटनाइट्स को दो चार होना होगा।