-शहर में तीन सौ से ज्यादा जर्जर हो चुके भवन हादसे को दे रहे हैं दावत

-नगर निगम सिर्फ नोटिस जारी कर पूरी कर ले रहा है अपनी ड्यूटी

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VARANASI

स्मार्ट सिटी बनारस में जर्जर भवनों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है, लेकिन नगर निगम सम्भावित खतरे से अंजान बना हुआ है। यह हाल तब है जबकि निगम के सर्वे में शहर में तीन सौ से ज्यादा भवन ऐसे मिले हैं, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। ये भवन हर पल हादसे को दावत दे रहे हैं। बरसात में आशंका और बढ़ जाती है। ऐसे में आसपास रहने वाले लोग सहमे रहते हैं। इसके बावजूद नगर निगम ऐसे भवन स्वामियों को सिर्फ नोटिस जारी कर ड्यूटी पूरी कर ले रहा है।

कोतवाली बना 'डेंजर' जोन

नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक सिटी के कोतवाली जोन में सर्वाधिक जर्जर भवन हैं। इसके बाद दशाश्वमेध, आदमपुर, भेलूपुर और वरुणापार जोन का नम्बर आता है। खासकर गंगा घाटों के आसपास बड़ी संख्या में भवन जर्जर हो चुके हैं। कोतवाली जोन के जैतपुरा, रामकटोरा, बड़ी बाजार, डिगिया आदि जगहों पर सौ से डेढ़ सौ साल पुराने भवन गिरने के कगार पर हैं। इनमें कई भवनों का बारजा, बरामदा आदि हिस्से गिरकर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। कुछ ऐसा ही हाल अस्सी, दशाश्वमेध, मच्छोदरी, कज्जाकपुरा, आदमपुर आदि मोहल्लों में भी है।

ऐसे होती है गिराने की प्रक्रिया

नगर निगम एक्ट 331 (1) और (2) के तहत जर्जर हो चुके भवनों को गिराने के लिए निगम की ओर से सम्बंधित भवन स्वामी को नोटिस दी जाती है। उसे 15 दिन के भीतर भवन की मरम्मत कराने या ध्वस्त करने को कहा जाता है। ध्वस्तीकरण के समय निगम के अफसर और स्थानीय पुलिस मौजूद रहती है। एक्ट के तहत विशेष परिस्थितियों में ही नगर निगम को सुरक्षा उपायों को अपनाकर जर्जर भवन गिराने का अधिकार है।

भवन गिराने में आती हैं अड़चनें

दरअसल, शहर में जितने भी जर्जर भवन हैं। उनमें से 50 फीसदी से ज्यादा भवनों में आपसी बंटवारा, किरायेदारी विवाद आदि के मामले कोर्ट में लम्बित हैं। ऐसे में नोटिस देने के बावजूद मरम्मत या ध्वस्तीकरण की कार्यवाही नहीं हो पाती है। निगम के अफसरों के मुताबिक पिछले तीन साल में दस फीसदी स्वामियों ने अपने जर्जर हो चुके भवनों की मरम्मत कराई, जबकि इक्का-दुक्का मामलों में ध्वस्तीकरण हुआ। वहीं घाट किनारे जर्जर हो चुके भवनों को लेकर हाईकोर्ट का एचएफएल (अधिकतम बाढ़ बिन्दु) एरिया सम्बंधी आदेश आड़े आ जाता है। यहां किसी भी तरह का नए निर्माण और मरम्मत नहीं कराया जा सकता है।

ऐसे करते हैं चिन्हित

- नगर निगम का इंजीनियरिंग विभाग भवनों का सर्वे कराता है।

- कई भवन स्वामी मरम्मत या ध्वस्तीकरण के लिए आवेदन भी करते हैं।

- जर्जर भवनों के आसपास रहने वाले लोगों की शिकायत पर नोटिस दी जाती है।

जोन जर्जर भवन

कोतवाली 165

दशाश्वमेध 86

आदमपुर 29

भेलूपुर 18

वरुणापार 06

ऐसे बढ़ी संख्या

सन् भवन

2015-16 268

2016-17 291

2017-18 304

एक नजर

1.89

लाख टोटल भवन हैं सिटी में

304

जर्जर भवन हैं शहर में

15

दिन के भीतर नोटिस के बाद मरम्मत या ध्वस्तीकरण का है प्रावधान

28

भवन स्वामियों ने नोटिस देने पर कराई मरम्मत

200

से ज्यादा स्वामियों ने भवन गिराने के लिए किया है आवेदन

नगर निगम की ओर से जर्जर हो चुके भवन के स्वामियों को नोटिस जारी की गई है। इसमें निर्धारित अवधि में भवनों की मरम्मत कराने या फिर उसे ध्वस्त कराने को कहा गया है।

लोकेश जैन, एक्सईएन (निर्माण)