- राजधानी में रहे नेपाली समुदाय के लोग बेचैन, नहीं मिल रही अपनों की कोई खबर

- फोन और सोशल मीडिया साइट पर ले रहे हालचाल

- मुल्क लौटने चाहते हैं, पर हालात से मजबूर हैं

LUCKNOW: अपने काम में ईमानदारी और शांत स्वभाव वाले नेपालियंस आज बहुत व्यथित हैं। अपनों के कुशलता के लिए हर पल बेचैन हैं। उनकी बस्ती में प्रार्थना सभाएं चल रही हैं। अपना देश छोड़ कर रोजगार के लिए हजारों नेपाली लखनऊ में हैं, लेकिन इस समय उनका दिल अभी भी नेपाल में बसा है। फोन की हर घंटी में उनकी धड़कन बढ़ जाती हैं। नेटवर्क ध्वस्त होने के चलते दिन भर में एक से दो बार ही उनके फोन कनेक्ट हो रहा है। हर कॉल पर बस यहीं सवाल होता है कि सब ठीक है। परिवार, परिचित और रिश्तेदारों का हाल पूछते है।

फोन घंटी से धड़कता है दिल

नेपाली समुदाय के हजारों लोग लखनऊ में रोजगार के लिए रह रहे हैं। हर गली और मोहल्ले में नेपाली समुदाय के लोग ईमानदारी से अपना काम कर रहे है। नेपाल में भूकंप के त्रासदी के बाद जब उनके दिल को टटोला गया तो वह पसीज गए। आंखों में आंसू और रूधे गले से बस यहीं आवाज निकली कि फोन की हर घंटी दिल धड़कता है। उनके कुशलता के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे है।

मौसम की खराबी बढ़ा रहा बेचैनी

नेपाल में आपदा के बाद मौसम की खराबी ने अपनों की चिंता और बढ़ा दी है। पहले भूकंप और फिर बारिश ने नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। नेपाली समुदाय के लोगों का कहना है कि भारत सरकार हर तरह से संभव मदद कर रही है, लेकिन आपदा में नेटवर्क का ध्वस्त होना एक और बड़ी समस्या लेकर आया है। नेपाल से दूर यूपी के अलग-अलग शहरों में हजारों नेपाली समुदाय के पुरुष और महिलाएं रोजगार के लिए अपने घरों को छोड़ कर रह रही है। भूकंप की जानकारी मिलने के बाद हर कोई अपनों के सकुशल होने की ईश्वर के प्रार्थना कर रहे है।

सोशल मीडिया साइट पर ले रहे अपडेट

नेपाल में रहने वाले अपने रिश्तेदार, परिवार और परिचितों की कुशलता की जानकारी नेपाली समुदाय के युवक सोशल मीडिया साइट पर भी ले रहे है। फेसबुक, ट्विटर पर कमेंट डालकर उनके बारे में जानकारी हासिल कर रहे है। सिटी में रहने वाले नेपाली युवकों का कहना है वहां के कुछ कमेंट भी आ रहा है। हालांकि बताया जा रहा है कि आपदा के चलते नेटवर्क प्रॉब्लम हो रही है। जिसके चलते लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। जब-जब नेटवर्क आता है लोगों से बात-चीत हो जाती है।

हमारे गांव नारायणघाट में भी भूकंप का असर पड़ा रहा है। हमारे परिवार के बहुत से लोग वहां फंसे है। हम लोग दिन भर फोन के जरिए उनकी कुशलता की जानकारी ले रहे है। हालांकि बारिश और मौसम खराब होने के चलते उनसे लगातार संपर्क नहीं हो पा रहा है।

- हरी थापा

सैटर्डे को जब भूकंप आया था। उससे कुछ देर पहले घर पर बात हुई थी। भूकंप की सूचना मिलने के बाद परिवार और दोस्तों के बारे में पता लगाने के लिए फोन किया, लेकिन रात भर फोन नहीं लग सका। दूसरे दिन फोन पर बात हुई। सब कुछ ठीक नहीं है। मेरी इच्छा है कि मैं वहां तत्काल जाऊ, लेकिन वहां के हालत भी ठीक नहीं बताए जा रहे हैं।

- किस्तम थापा

नेपाल से हम लोग परिवार छोड़ कर काम करने से आए है। परिवार के लिए पैसा कमा रहे हैं। अब इन हालात में उनके साथ न होना मजबूरी है। जब तक यह जानकारी नहीं मिल जाती कि हम लोगों के परिवार के लोग सुरक्षित है। तब तक मन नहीं लग रहा है। हर रोज उनके फोन का इंतजार करते हैं।

- मोहन थापा

भूकंप से नेपाल के कई शहरों में नुकसान हुआ है। हम लोग रोज वहां की जानकारी ले रहे है। अभी तक ये नहीं पता चल सका कि आखिर कितना जानमाल का नुकसान हुआ है। कौन-कौन लोगों आहत हुए है। लखनऊ में बड़ी संख्या में हमारे समुदाय के लोग है और उन सभी को अपने परिवार और परिचितों की चिंता सता रही है।

- सुजान थापा