ऐसा बोले पीएम मोदी
नरेंद्र मोदी ने ये कहा कि 2010 में IMF में कोटा संशोधन के बारे में बनी सहमति लंबे समय से लंबित थी। वह आखिर में प्रभाव में आ गई है। इसके बावजूद IMF कोटा वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं को प्रदर्शित नहीं करता है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां 'आगे बढता एशिया' विषय पर IMF और भारत की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

इसलिए खुश हैं प्रधानमंत्री
सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि कोटा में बदलाव कुछ देशों की 'ताकत' को बढाने से जुडा विषय नहीं है। यह निष्पक्षता और वैद्यता का विषय है। उन्होंने ये भी कहा कि ऐसी संस्थाओं की वैद्यता को गरीब देशों का सम्मान प्राप्त करने के लिए, उन्हें उम्मीद बनाए रखने में सक्षम होना होगा। मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इसलिए वह खुश हैं कि अक्तूबर 2017 तक आईएमएफ ने कोटा में सुधार के अगले दौर को अंतिम रूप देने का निर्णय किया है।

ये प्रदर्शित हुआ है कोटा सुधार से
नरेंद्र मोदी ने बताया कि जनवरी में लागू IMF कोटा सुधार से यह प्रदर्शित हुआ है कि विश्व अर्थव्यवस्था में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को ज्यादा तवज्जो मिली है। उन्होंने ये भी कहा कि इससे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को IMF के सामूहिक निर्णयों में अपनी आवाज उठाने का ज्यादा अधिकार मिल सकेगा। 2010 में प्रधानमंत्री ने किए गए फैसलों का अनुमोदन करने के लिए सभी सदस्य देशों को तैयार करने में IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लागार्दे की ओर से निभाई गई भूमिका की सराहना की।

ये देश हुए हैं शामिल
बता दें कि पहली बार IMF के 10 बडे सदस्यों में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स के चार देश ब्राजील, चीन, भारत और रूस शामिल हुए हैं। इन 10 सबसे बड़े सदस्यों में अन्य देश अमेरिका जापान, फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन शामिल हैं। इसको लेकर मोदी ने कहा कि भारत का बहु स्तरीय व्यवस्था में शुरू से काफी विश्वास रहा है। यहां ये भी बताना जरूरी होगा कि आईएमए का जन्म 1944 में ब्रिटेन वुड्स कांफ्रेंस में हुआ था और तब इसमें आर के शणमुगम चेट्टी भारत के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए थे। वह  स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री बने।

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