कुछ यूं हुई थी प्रोजेक्ट की शुरुआत

प्रोजेक्ट की शुरूआत भारतीय सरकार ने 2007 में की थी। युद्घ में तबाह हुए अफगानिस्तान से दोस्ती की प्रतिबद्घता को देखते हुए भारत ने यह कदम उठाया। दिसंबर 2015 तक अफगानिस्तानी संसद भवन बन कर तैयार हो जाएगा। जबिक इसका निर्माण नवंबर 2011 तक होना था। पिछले 4 सालों में तीन डेडलाइन फेल हुई हैं। शहरी विकास मंत्रालय के सिक्रेटरी प्रसाद ने हाल ही में संसद भवन की समीक्षा की थी। संसद की इमारत का 96 प्रतिशत से भी अधिक काम पूरा हो चुका है। प्रोजेक्ट टीम इमारत को फाइनल टच दे रही हैं।

शानदार होगी अफगानिस्तानी संसद की इमारत

अफगानिस्तानी संसद की इमारत के लिए सरकार ने दो अरब 98 करोड़ रुपये का बजट पास किया था लेकिन बाद में यह बड़ कर पांच अरब 97 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। संसद भवन में मुगल कलाकृति और आधुनिक आर्किटेक्ट का बेजेड़ संगम देखने को मिलेगा। इसमे एशिया का सबसे बड़ा गुंबद हैं। संसद भवन एतिहासिक लैंडमार्क किंग पैलेस दारूलमन और क्वीन पैलेस के पास बनाया गया है। इमारत में 294 लोग बैठ सकते हैं। अपर हाउस मे 190 सीटें है। साथ ही भवन में प्रवेश द्वार लाबी,आफिस,कॉफ्रेस रूम, डायनिंग हाल के साथ एक प्रेस रूम होगा। मीडिया रिपोर्ट की माने तो प्रधानमंत्री मोदी इस भवन का शुभरम्भ कर अफगानिस्तान में भारत की मजबूती को प्रस्तुत करेंगे।

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