जहरीली गैंसे मुख्य वजह

जनवरी 2016 में भले ही अब लोगों को ठंड का अहसास हो रहा है, लेकिन अभी महज 20 से 25 दिन पहले दिसंबर 2015 में मौसम का रुख लगभग गर्म ही रहा। ऐसे में हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन 'नासा' और अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्री व वायुमंडलीय शोध संस्थान (एनओएए) ने अपनी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की है। जिसमें यह बात सामने आई है कि साल 2015 काफी गर्म साल रहा है। पिछले 11 सालों में से पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। इसको लेकर नासा का मानना है कि वायुमंडल में छोड़े जाने वाली जहरीली गैसों की वजह से यह हालात बने हैं। अभी बीते साल तक 1850 के बाद 2014 को सबसे गर्म साल के रूप में देखा जा रहा था लेकिन अब 2015 इससे आगे निकल गया है।

दूसरी एजेंसियों ने भी माना

जिससे माना जा रहा है कि इस साल यह रिकार्ड 2016 में भी हो सकता है। आसारों के मुताबिक 2016 भी गर्म सालों के रूप में सामने आएगा। वैज्ञानिकों की मानें तो 1800 से 1900 के दौर में तो तापमान महज 1 से 2 डिग्री सेल्िसयस की तेजी से बढ़ा लेकिन अब तो रिकार्ड कायम हो रहा है। अगर यही स्थिति रही तो 21वीं सदी में तापमान 3-4 डिग्री बढ़ जाएगा। इससे संयुक्त राष्ट्र संघ ने जो पृथ्वी के तापमान को डेढ़-दो डिग्री सेल्सियस कम करने का जो लक्ष्य उठाया है वह भी अधूरा रहने की संभावना है। सिर्फ अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन 'नासा' और अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्री व वायुमंडलीय शोध संस्थान (एनओएए) ने ही और भी कई एंजेसियां की इसका ऐलान कर चुकी हैं।

ये साल भी तोड़गा रिकार्ड

इन सबका भी मानना है कि इस साल वैश्विक सतह तापमान भी 14 डिग्री सेल्सियस के 1961-1990 के औसत से करीब 0.75 डिग्री सेल्सियस ऊपर है। वहीं इस संबंध में क्लाइमेट मानिटरिंग एंड एट्रीब्यूशन के हेड पीटर स्टॉट कहना है कि यह भविष्य के लिए एक चिंतनीय विषय है। इसके लिए लोगों को जागरूक होना बेहद जरूरी है। आज के दौर में जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन भविष्य में यह नहीं हो सकेगा। इतना ही नहीं प्राकृतिक बदलावों से हर साल के तापमान पर असर काफी तेजी से पड़ता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि इस साल भी इसी तरह गर्म रहने की संभावना से साफ है, क्योंकि पर्यावरण में लगातार बदलाव आ रहे हैं।

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