मुख्यालय समेत 16 ब्लाकों में लगे शिविरों में कराई थी नसबंदी

परिवार नियोजन महानिदेशक को भेजी गई रिपोर्ट

<मुख्यालय समेत क्म् ब्लाकों में लगे शिविरों में कराई थी नसबंदी

परिवार नियोजन महानिदेशक को भेजी गई रिपोर्ट

BAREILLY BAREILLY

डिस्ट्रिक्ट में परिवार नियोजन कार्यक्रम कैसा चल रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ख्0क्म् में डिस्ट्रिक्ट में महिला-पुरूष मिलाकर ख्क्0फ्म् ने नसबंदी कराई। इसमें से ख्9 महिलाएं प्रेग्नेंट हो गई। इसका पता तब चल ख्0क्म् में मुआवजे के लिए दावा पेश किया गया। ऐसे में नसबंदी फेल होने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग को इन महिलाओं को मुआवजे के रूप में 8.70 हजार रूपये देने होंगे। वर्ष ख्0क्7

में भी चार मामले नसबंदी फेल होने के सामने आ चुके हैं। मुआवजे की राशि के लिए स्वास्थ्य विभाग ने परिवार नियोजन महानिदेशक को रिपोर्ट भेज दी है।

मुख्यालय समेत ब्लाकों पर लगते हैं शिविर

परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सरकार की ओर से बड़े स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में मुख्यालय से लेकर ब्लाकों तक शिविर लगाकर नसबंदी कराई जाती है। ऐसे में इन शिविरों में नसबंदी कराने वाले लोगों को नसबंदी कराने के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।

विभागीय लापरवाही से फेल हो रही नसबंदी

परिवार नियोजन कार्यक्रम में कराई जा रही नसबंदी होने के बावजूद लेडीज प्रेग्नेंट हो रही हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। जानकारों की मानें तो नसबंदी बेहद सुरक्षित प्रक्रिया है। जिसके बाद प्रेग्नेंसी होने की चांसेज नहीं होते हैं, लेकिन इसके बाद भी लेडीज प्रेग्नेंट हो रही हैं।

प्रेग्नेंट होने पर मिलता है मुआवजा

नसबंदी कराने के बाद भी यदि कोई महिला प्रेग्नेंट हो जाती है। तो सरकार की ओर से उसे मुआवजे के तौर पर फ्0 हजार रूपये दिए जाते हैं। इसके लिए दंपत्ति को तीन महीनें के अंदर सीएमओ ऑफिस में मुआवजे के लिए फार्म जमा करना होता है।

इस वर्ष भी आ चुके हैं दावे

ख्0क्7 में जुलाई तक हुई नसबंदी में भी अभी तक कुल ब् दावे आ चुके हैं। इन फार्मो को स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल अपने पास जमा कर लिया है और आगे की कार्रवाई के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।

डिस्ट्रिक्ट का डाटा-

वर्ष ख्0क्म् में हुई नसबंदी-ख्क्0फ्म्

पुरूष नसबंदी- ख्क्0ब्

महिला नसबंदी - क्89फ्ख्

फेल हुई नसबंदी- ख्9

नसबंदी फेल होने के केस महिलाओं के ज्यादा रहते हैं। नसबंदी को सर्जन द्वारा कराया जाता है इसके विफल होने का आपरेशन में चूक होती है। सीएमएस, डॉ। केएस गुप्ता

सर्जन अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ता है। बॉडी में कोई कमी होने पर ही ऐसा होता है। इसको पेशेंट्स को समझाया भी जाता है।

डॉ। अनीता धसमाना,

सीएमएस जिला महिला अस्पताल