बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि मायावती ने उसने पचास करोड़ रुपये मांगे थे। पैसा नहीं देने की वजह से उन्हें मायावती की मौजूदगी में उनके भाई और पार्टी उपाध्यक्ष आनंद कुमार, सतीश चंद्र मिश्रा ने टॉर्चर किया। उन्होंने मायावती द्वारा बार-बार पैसे मांगे जाने से संबंधित फोन कॉल्स की दस से ज्यादा रिकॉर्डिंग भी मीडिया को सुनाई जिनमें साफ पता चल रहा है कि दोनों के बीच पैसों के लेन-देन को लेकर बातचीत हो रही है। नसीमुद्दीन यहीं पर नहीं रुके और उन्होंने आरोप लगाया कि मायावती ने चुनाव में हारने के बाद मुसलमानों को गद्दार और अपशब्द कहे, जिसका विरोध करना उन्हें पार्टी की बर्खास्तगी के रूप में चुकाना पड़ गया।

सब बेच कर दो मुझे पैसा
नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि चुनाव में हार के बाद मायावती ने उन्हें बुलाकर कहा कि पार्टी को पैसों की सख्त जरूरत है इसलिए आप अपनी सारी संपत्तियों को बेच दो। मैं पार्टी में आपका कद बढ़ा दूंगी। इस पर मैंने कहा कि सब बेचने के बाद भी इसकी एक चौथाई रकम भी जमा नही हो पाएगी तो वे बोलींं कि अपने रिश्तेदारों से पैसा ले लो, सरकार मे जिन लोगों की मदद की है, उनसे भी मांगो। वहीं मध्य प्रदेश ना जाने के आरोप पर सफाई देते हुए कहा कि पैसों का इंतजाम करने और निकाय चुनाव नजदीक होने की वजह से मायावती ने खुद उन्हें जाने से मना किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि मायावती खुद बसपा को समाप्त करना चाहती हैं क्योंकि अब वह राज्यसभा जाने की हैसियत में भी नहीं हैं। वे इतिहास में एकमात्र चार बार दलित महिला मुख्यमंत्री के रूप में अपना नाम दर्ज कराने के लिए यह सब कर रही हैं। वहीं विरोधियों के इशारे पर सतीश चंद्र मिश्रा एंड कंपनी भी बसपा का खात्मा करना चाहती है।

 

 

'अभी 150 सीडी और हैं मेरे पास’
नसीमुद्दीन ने आक्रामक अंदाज में कहा कि मेरे ऊपर अगर एक और आरोप भी मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा ने लगाया तो मैं उनकी सारी पोल खोल दूंगा। मेरे पास ऐसी 150 सीडी और हैं जिनमें उनके कारनामों का जिक्र है। मुझे पता है कि किसको जान से मरवाने की प्लानिंग थी। इनकी संपत्तियों के बारे में मुंह खोल दिया तो भूचाल आ जाएगा। मुझसे ज्यादा मायावती को आनंद कुमार भी नहीं जानते हैं। मायावती के पास आग लगाने वाले, जान से मरवाने वाले, पिटवाने वाले, अपशब्द बोलने वालों का गिरोह है जो उनके इशारे पर काम करता है। वे मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों पर भी हमला करवा सकती हैं। यह गिरोह चैनल और अखबारों में बसपा के खिलाफ खबर चलने पर आग लगवाने और गाडिय़ां जलवाने का काम भी करता है। मैं इन गिरोहों के एक-एक सदस्य को जानता हूं। चुनौती दी कि अगर आगे कुछ कहा तो जान से मरवाने वाला ऑडियो भी जारी कर दूंगा।

जांच का डर दिखाकर फंसाया
सतीश चंद्र मिश्रा से नाराज नसीमुद्दीन ने कहा कि उन्होंने मायावती को जांच और जेल जाने का डर दिखाकर अपने चंगुल में फंसा लिया है। सतीश चंद्र मिश्रा ने राज्य सभा में जो अपना एफिडेविट दाखिल किया है उसमें पिछले एफिडेविट के मुकाबले 200 करोड़ रुपये की अधिक संपत्ति दर्शाई गयी है। इतने कम समय में उनके पास दो सौ करोड़ रुपये कहां से आए, वे केवल इसका जवाब दे दें। उनकी बेनामी संपत्तियों और बाकी का हिसाब तो अलग है। दावा किया कि मायावती के कहने पर उन्होंने तमाम मामलों की जांच अपने ऊपर ले ली। वे मुझसे कहती थी कि तुम्हारे ऊपर मेरा नाम लेने का दबाव डाला जाएगा, लेकिन तुम अपना नाम ले लेना। ताज कॉरिडोर मामले में सीबीआई ने मेरी आय से अधिक संपत्ति का केस सही नहीं पाया जबकि मायावती के खिलाफ तमाम सुबूत पेश किए थे। इस मामले की जांच अभी जारी है।

पता था कि निकाल दिया जाऊंगा
नसीमुद्दीन ने कहा कि मुझे पता था कि मैं पार्टी से निकाल दिया जाऊंगा। मायावती लगातार मुझसे मेंबरशिप और हारे हुए प्रत्याशियों से पैसा लाकर देने को कह रही थीं जबकि ज्यादातर प्रत्याशियों को मैं जानता भी नहीं था। मैंने बसपा में 35 साल गुजारे, अपनी बेटी को भी कुर्बान कर दिया, इसलिए मैं खुद पार्टी को छोडऩा नहीं चाहता था। हाल ही में मायावती ने मुझे बुलाकर फिर पैसे मांगे। तभी आनंद कुमार और सतीश चंद्र मिश्रा आ गये और मुझे बेइज्जत करने लगे। मैंने मायावती से कहा कि आपके सामने मेरे साथ ऐसा बर्ताव हो रहा है।

मैंने नहीं बोले अपशब्द
वहीं स्वाति सिंह मामले को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में नसीमुद्दीन ने कहा कि मैंने स्वाति सिंह को कोई अपशब्द नहीं कहा था। हजरतगंज में हुए प्रदर्शन की पूरी रिकॉर्डिंग मेरे और प्रशासन के पास है, उसे चेक कराया जा सकता है। जो बात मै अपनी बहू-बेटी के बारे में नहीं सुन सकता, दूसरों के बारे में कैसे बोल सकता हूं। वहीं नसीमुद्दीन के साथ मौजूद जौनपुर से एमएलसी ब्रजेश सिंह ने कहा कि मायावती के घर मोबाइल और पेन लेकर नहीं जा सकते, लेकिन पैसे लेकर जा सकते हैं। वहां तमाम सरकारी अधिकारी भी सुरक्षा का काम देखते हैं। मेरा सीएम योगी आदित्यनाथ से अनुरोध है कि इसकी गहन जांच करायी जाए। वहीं आनंद कुमार मामूली नौकरी से हजारों करोड़ के मालिक कैसे बने, इसकी भी जांच होनी चाहिए।

गठबंधन की वजह से बंटे वोट
नसीमुद्दीन ने चुनाव के बाद की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मायावती ने उन्हें बुलाकर कहा कि मुसलमानों ने हमें वोट न देकर धोखा दिया है। मैंने उनसे कहा कि कांगे्रस और सपा के गठबंधन से पहले मुसलमान हमारे साथ था, गठबंधन के बाद वह कंफ्यूज हो गया जिससे वोट बंट गया। इसके बाद उन्होंने कहा कि अपर कास्ट और बैकवर्ड का वोट भी नहीं मिला, दलितों में पासी, धोबी, सोनकर, वाल्मीकि, कोरी ने भी वोट नहीं दिया। इस पर मैंने कहा कि लोगों का कहना है कि आप घोषणा पत्र जारी नहीं करती हैं। आपने कांशीराम का अपमान किया जो दलितों को अच्छा नहीं लगा। आपको लोगों से मिलना पसंद नहीं है। आपने चुनाव में सिर्फ 55 जनसभाएं की जबकि बाकी दलों के नेताओं ने 250 से ज्यादा सभाएं की। इस पर मायावती बोलीं कि क्या मैं अपनी जान दे दूं।

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