राष्ट्रीय शिल्प मेला के दूसरे दिन बिरहा और सुगम संगीत की हुई मनमोहक प्रस्तुति

ALLAHABAD: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के मुक्ताकाशी मंच पर सांस्कृतिक संध्या की दूसरी शाम बिरहा गायन व सुगम संगीत के नाम रही। शुरुआत संतोष पांडेय के सुगम संगीत से हुई। उन्होंने पहली प्रस्तुति भजन में हनुमान स्तुति 'मैंने मन में है मंदिर बनाया' से की। फिर गजल 'ये हकीकत है की होता है असर बातों में, मेरी सब कोशिशें नाकाम थी उसको मनाने की' सुनाकर समां बांधा।

इसके बाद श्री शुक्ला ने दूसरी गजल 'साथ छूटेगा कैसे मेरा आपका' की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को तालियां बजाने पर विवश कर दिया। मुन्ना लाल ने बिरहा गायन से अलग ही छटा बिखेरी। उन्होंने 'निरगुन सुगनवा के तोहरा संग जाई', 'बंगला के जंगला से संक ले किरिनिया हो की भोर भइल रे कोरवा छोड़ दे मोर बलमवा', 'जेके लागल नयन के बनवा मनवा घायल भइले ना' की मनमोहक प्रस्तुति की। केन्द्र की कार्यक्रम अधिकारी कल्पना सहाय ने कलाकारों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया।