RANCHI : वर्म से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास रूक जाता है। बच्चे एनीमिया और कुपोषण के शिकार हो जाते है। आंकड़ों पर नजर डाले तो देशभर के आधे से अधिक बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। इसकी एक वजह वर्मिग भी है। इससे निपटने के लिए 10 अगस्त को नेशनल डीवर्मिग डे पर 8 लाख 92 हजार बच्चों को आज अलबेंडाजोल दवा खिलाने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान जो बच्चे छूट जाएंगे, उन्हें चिन्हित कर उन्हें 17 अगस्त को दवा खिलाई जाएगी। मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ एसएस हरिजन ने इसे लेकर बैठक की। इस मौके पर डॉ.अजीत, डॉ.नीलम चौधरी, डीपीएम महेश प्रसाद, एविडेंस एक्शन के कुमार अभिषेक के अलावा कई अन्य अधिकारी मौजूद थे।

2643 स्कूलों में टीचर्स को दी गई ट्रेनिंग

वर्म से निपटने के लिए आज स्कूलों में बच्चों को दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए रांची व आसपास के इलाकों में 2,643 स्कूलों का सेलेक्शन किया गया है। जहां बच्चों को दवा कैसे खिलानी है इसकी ट्रेनिंग टीचर्स को दे दी गई है। इससे बच्चों को अच्छे से दवा खिलाई जा सकेगी। जो वर्म को खत्म करने में कारगर होगी। इसके अलावा 2832 आंगनबाड़ी सहायिका भी आज बच्चों को दवा खिलाएगी।

बीमार बच्चों को नहीं देनी है दवा

डॉ। वीणा ने बताया कि अगर कोई बच्चा किसी भी बीमारी से ग्रसित है तो ऐसे बच्चों को अलबेंडाजोल की दवा नहीं दी जाएगी। इन बच्चों को चिन्हित करके रखा जाएगा और एक हफ्ते बाद 17 अगस्त को बच्चों को दवा खिलाने की योजना है। ताकि कोई भी बच्चा वर्मिग का शिकार न हो जाए। वहीं डॉ.अजीत ने बताया कि वैसे बच्चे जो दवा चबा नहीं सकते उन्हें टैबलेट को पाउडर बनाकर खिलाना है। जो काफी तेजी से काम करेगा। टैबलेट बड़ा होने के कारण यह बच्चों के गले में अटकने का खतरा रहता है। वहीं बड़े बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है।

पांच जिलों में दी जाएगी फाइलेरिया की दवा

डीवर्मिग डे पर जिलों में बच्चों को दवा देने की योजना है। इसके साथ ही राज्य के पांच जिलों में फाइलेरिया की भी दवा दी जाएगी। जिसमें खूंटी, गढ़वा, धनबाद, गोड्डा और दुमका में लोगों को इसके बारे में जानकारी भी दी जाएगी।