- लक्ष्मण और रानी लक्ष्मीबाई खेल पुरस्कारों के नियमों में किया जाएगा बदलाव
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LUCKNOW : प्रदेश के बेहतरीन खिलाडि़यों का उत्साहवर्धन करने के लिए खेल विभाग जल्द उन्हें तोहफा देने की तैयारी कर रहा है। प्रदेश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार लक्ष्मण और रानी लक्ष्मीबाई की दावेदारी के लिए विभाग की ओर से कुछ छूट दी जायेगी। अब नेशनल या फिर इंटरनेशन लेवल पर पार्टीसिपेट करने वाले खिलाड़ी भी इन पुरस्कारों के लिए अपनी दावेदारी पेश कर सकेंगे, भले ही उनको कोई मेडल न मिले। वहीं इसके साथ ही कई खेलों को इन पुरस्कारों की लिस्ट से आउट किया जाएगा। जिन खेलों का कोई वजूद नहीं है, उन्हें पुरस्कार नहीं दिया जाएगा।
हर साल दिए जाते हैं यह पुरस्कार
खेल विभाग की देखरेख में हर साल लक्ष्मण और रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार उन खिलाडि़यों को दिए जाते हैं जिन्होंने प्रदेश के लिए खेलते हुए उत्कृष्ट प्रदर्शन किया हो। ओलम्पिक गेम्स, विश्व चैम्पियनशिप/ विश्व कप (जिनका आयोजन चार साल में एक बार होता है), एशियन गेम्स, एशियन चैम्पियनशिप एवं कॉमनवेल्थ गेम्स (चार साल में होने वाली), सैफ गेम्स और नेशनल चैम्पियनशिप में मेडल लाने वाले खिलाडि़यों को यह पुरस्कार दिया जाता है। ऐसे में कठिन परिश्रम कर नेशनल चैम्पियनशिप और नेशनल गेम्स तक सफर तय कर पहुंचे खिलाड़ी इन पुरस्कारों के लिए आवेदन नहीं कर पाते थे। ऐसे में खेल विभाग इन पुरस्कारों के लिए बने नियमों में बदलाव करने की तैयारी की है। अब इन नेशनल गेम्स और चैम्पियनशिप में टीम और इंडीविजुअल खेलों में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ी भी लक्ष्मण पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकेंगे। लक्ष्मण पुरस्कार उन्हीं खेलों को दिया जाएगा, जो खेल विभाग द्वारा निर्धारित खेलों की सूची में शामिल हो।
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नियमों में बदलाव किए जाने हैं। इसका मकसद उन खिलाडि़यों को भी सम्मान देना है जिन्होंने प्रदेश की टीम जगह बनाई और नेशनल लेवल पर बेहतर प्रदर्शन किया। इससे कॉम्पटीशन बढ़ेगा और अच्छे खिलाड़ी सामने आएंगे।
- डॉ। आरपी सिंह, स्पोर्ट्स डारेक्टर
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कैश प्राइज भी शामिल
इन खेलों के लिए चयनित पुरुषों को लक्ष्मण की महिला खिलाडि़यों को रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा के साथ 3,11,000 रुपए का कैश प्राइज दिया जाता है।
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गाइडलाइन तैयार
पुरस्कारों में पारदर्शिता लाने के लिए खेल विभाग ने एक गाइडलाइन तैयार की है। इसमें प्रतियोगिता के आधार पर नंबर दिए गए हैं। जिस खिलाड़ी के नंबर सबसे अधिक होते हैं, उसे पुरस्कार देने में प्राथमिकता दी जाती है।
गाइडलाइन
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं स्वर्ण पदक रजत पदक कांस्य पदक
ओलम्पिक गेम्स 60 55 50
विश्व चैम्पियनशिप/ विश्व कप (जिनका आयोजन चार साल में एक बार किया जाता है) 55 50 45
एशियन गेम्स 50 45 40
एशियन चैम्पियनशिप एवं कॉमनवेल्थ गेम्स (चार साल में एक बार आयोजित होने वाली) 40 35 30
सैफ गेम्स 15 12 10
राष्ट्रीय खेल 8 7 6
राष्ट्रीय सीनियर चैम्पियनशिप 7 6 5
इन नियमों का भी रखना होगा ध्यान
खिलाड़ी उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो, खिलाड़ी कम से कम तीन बार प्रदेशीय सीनयर टीम का सदस्य रहा हो और राष्ट्रीय खेल/राष्ट्रीय सीनियर चैम्पियनशिप में भाग लिया हो, साथ ही उस वर्ष जिसके लिए पुरस्कृत किए जाने की सिफारिश की जाती है, उस वर्ष में उसने पदक हासिल किया हो।
यह खेल हैं शामिल
खेल विभाग की लिस्ट में अब तक 40 गेम्स हैं जिनमें पुरस्कार दिए जाने हैं। इनमें तैराकी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, बॉक्सिंग, कैनोइंग एंड कैयाकिंग, साइकिलिंग, घुड़सवारी, तलवारबाजी, फुटबॉल, जिम्नास्ट, हैंडबॉल, हॉकी, जूडो, कबड्डी, खो-खो, रोइंग, शूटिंग, टेबल टेनिस, टेनिस, वॉलीबाल, वेटलिफ्टिंग, कुश्ती, तइाक्वांडों, याचिंग, विंटर गेम्स, गोल्फ, क्रिकेट, टेनिस बाल क्रिकेट, सॉफ्ट टेनिस शामिल हैं। इनमें भी बदलाव किया जाना प्रस्तावित है।
कोट
यह अच्छी शुरुआत होगी। ओलंपिक में पार्टीसिपेट करना ही अपने आप में गौरव की बात है। वहां पर संसार के सभी देशों का प्रतिनिधित्व होता है। ऐसे में वहां तक पहुंचने की राह भी आसान नहीं होती। पार्टीसिपेशन वाले खिलाडि़यों को भी अब इसमें शामिल किए जाने से उनका मनोबल ऊंचा होगा।
टीपी हवेलिया
उपाध्यक्ष, यूपीओए
यह खिलाडि़यों के लिए बेहतर कदम साबित होगा। ओलम्पिक में शामिल हो चुके कई खिलाडि़यों ने तो इसकी उम्मीद ही छोड़ दी थी। लेकिन नए नियमों से उनके सपने साकार हो सकेंगे।
दीपक चावला, सचिव, यूपी सॉफ्ट टेनिस एसो।
प्रदेश का सर्वोच्च पुरस्कार पाना हर खिलाड़ी का सपना होता है। बड़े-बड़े मंच पर सम्मानित होने के बाद भी खिलाड़ी अपने घर में यह पुरस्कार पाना चाहता है। पार्टीसिपेशन वाले खिलाडि़यों को पुरस्कार मिलने से अधिक से अधिक खिलाडि़यों को इसका लाभ मिल सकेगा।
आनन्देश्वर पाण्डेय, सचिव, यूपी हैंडबॉल एसो।