स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को दी जा रही ट्रेनिंग, कुपोषितों को पहचानने में होगी आसानी

-जिले में बढ़ते कुपोषित बच्चों को देखते हुए चलाया जा रहा सर्च ऑपरेशन

ALLAHABAD: कुपोषण बच्चों की जान का दुश्मन बना हुआ है। कम उम्र में ही बच्चे इसका शिकार होकर अपने उज्जवल भविष्य से हाथ धो बैठते हैं। हालिया रिपोर्ट यही बयां कर रही हैं, लेकिन अब इस कुपोषण की सही पहचान की कोशिशें शुरू हो गई हैं। ताकि एक भी कुपोषित या अतिकुपोषित बच्चा छूट न जाए और उसे सही समय पर इलाज और भोजन दोनों उपलब्ध कराया जा सके।

सौंप दी गई बड़ी जिम्मेदारी

कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए सभी ब्लॉक्स में कार्यरत मोबाइल हेल्थ टीम, डॉक्टर, ऑप्टोमेंट्रिस्ट और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य काउंसलर ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका डाटा पोर्टल पर लोड करेंगे। इसके लिए टीम को बकायदा ट्रेनिंग भी दी जा रही है। सरकार यह कदम पिछले गंभीर आंकड़ों को देखकर उठा रही है।

नजर हाल के आंकड़ों पर

5.37 लाख बच्चों की पांच साल में जिले में हुई जांच

33फीसदी मिली अतिकुपोषित बच्चों की संख्या

10 हजार गंभीर बच्चे इलाज के लिए किए गए रेफर

15 लाख प्रदेश में कुल गंभीर अतिकुपोषित बच्चे

1.5 लाख इनमें से अति जटिल बीमारियों से ग्रसित बच्चे

अति गंभीर बच्चों के लक्षण

दस्त

बुखार

सांस तेज चलना या परेशानी होना

भूख न लगना

दोनों पैरों में गड्ढे वाली सूजन पड़ना

आंखों एवं त्वचा पर इन्फेक्शन

गंभीर एनीमिया आदि

ऐसे होगी सही पहचान?

-अभी तक आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के आयु के हिसाब से वजन लेकर उनको कुपोषित व अतिकुपोषित श्रेणी में पहचाना जाता था।

-जबकि ऐसे कई लक्षण हैं जिनकी पहचान होने के बाद भी इन बच्चों की सही पहचान की जा सकती है।

-यही कारण है कि ब्लॉकों में ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है।

-बाद में यही टीम गांव-गांव जाकर बच्चों की उचित पहचान करेगी।

-बता दें कि वजन के आधार पर चिन्हित 90 फीसदी बच्चों को अक्सर वापस घर भेज दिया जाता है।

यह बड़ा प्रोग्राम है। इसके लिए कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की सही पहचान की जा सकेगी। अक्सर सही तरीके से जांच नही होने पर बच्चे रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम से छूट जाते हैं। अब केवल वजन नहीं बल्कि दूसरे लक्षणों के आधार भी ऐसे बच्चों को सर्च कर उनका इलाज किया जाएगा।

-वीके सिंह, डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट मैनेजर, नेशनल हेल्थ मिशन इलाहाबाद